राज तिलक की तैयारी, मंथरा, कैकेयी, कोपभवन लीला



गाजीपुर। अतिप्राचीन लामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वाधान में लीला के चौथे दिन शनिवार को शाम 8 बजे वन्दे वाणी विनयको आर्दश रामलीला मंडल के द्वारा हरिशंकरी स्थित श्री राम चबुतरा पर लीला के दौरान राज तिलक की तैयारी, मंथरा, कैकेयी संबाद, कोपभवन लीला का मंचन किया गया। लीला के दौरान मंचन पर दर्शाया गया की जिस समय राजा दशरथ श्रीराम के विवाह के बाद बारात को लेकर अपने नगर अयोध्या के लिए प्रस्थान कर देते है। थोड़ी समय बीत जाने के बाद महाराज दशरथ ने अपने मन विचारा की अयोध्या का राज राम को दे कर भगवत भजन में शेष जीवन बिताया जा सके। इतना सोचकर व अपने कुल गुरू वशिष्ठ को बुलाकर अयोध्या का राज पाठ अपने बड़े पुत्र श्री राम को देने की बात जब गुरू वशिष्ठ को बुलवाकर अपने मन की बात कुल गुरू वशिष्ठ के समक्ष रखा। उनके बात को सुनकर महाराज दशरथ के द्वारा श्री राम को अयोध्या का राज तिलक देने के सम्बन्ध में सुना तो उन्होंने उसको सहस स्वीकार करते हुए कहा कि महाराज आपका विचार अति उत्तम है। अयोध्या का राज राम को ही दिया जाए। अतः महाराज दशरथ गुरू वशिष्ट के आज्ञा का पालन करते हुए मंत्री सुमन्त को राज तिलक की तैयारी करने का आदेश देते है। मंत्री सुमन्त राजा के आदेशानुसार अयोध्या नगरी को भब्य रूप से सजवाने का अपने अधिनस्त को आदेशित किया। नगर के सजावट को देखकर किन्हीं कारण वस दासी मंथरा घूमते हुए पहुची।



उसने देखा की पूरा नगर भब्य तरीके से सजाया जा रहा है। उसने उसका कारण पूछा तो उपस्थित लोगो ने कहां की महाराज अयोध्या का राज अपने बड़े पुत्र श्रीराम को देने का मूड़ बनाया है। इस लिए अयोध्या नगरी को सजाया जा रहा है। इतना सुनते ही दासी मंथरा से रहा नहीं गया व महारानी कैकेयी के पास आकर के कहती है की महारानी जी आपका दूर दिन निकट आ गया है। अयोध्या का राज तिलक कौशल्या नन्दन श्री राम को महाराज ने देने का संकल्प लिया है। आप हमारे कथनानुसार एक काम करे। महाराज दशरथ ने देवासूर संग्राम के समय आप ने महाराज दशरथ के रथ को किसी गढ़े से निकाला था। उसी समय महाराज ने आप को दो वरदान देने का वचन दिया था। जो आप ने उस समय स्वीकार नहीं किया। उसे आपने कहां कि महाराज जब समय आयेगा तो वह वरदान मैं आप से मांग लूगी। तब महाराज ने कहां की ठीक है। इतना कहने के बाद वह अपने राज के लिए प्रस्थान कर गयें। अब वह समय आ गया है। अतः वह वरदान आप महाराज से मांग ले। दासी के बात को सुनकर महारानी कैकेयी राजश्री वस्त्राभूषण को तथा गहने को उतारकर अपने कक्ष में बिखेर दिया तथा पुराने फटे कपड़ो को धारण करके कोपभवन में जा करके जमीन पर लेट जाती है। इस मौके पर कमैटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी (बच्चा) उपमंत्री लव कुमार त्रिवेदी बड़े महाराज, मेला प्रबन्धक बीरेश राम वर्मा (ब्रह्मचारी जी) उप मेला प्रबन्धक मंयक तिवारी कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल आय व्य निरीक्षक अनुज अग्रवाल, अजय पाठक एडवोकेट, अशोक कुमार अग्रवाल, राम सिंह यादव, राज कुमार शर्मा, पं0 कृष्ण बिहारी त्रिवेदी पत्रकार आदि उपस्थित रहे।





