श्रीराम को मनाने चित्रकुट पहुंच गए भरत और शत्रुघ्न

श्री भरत आगमन, मनावन, विदाईः-


गाजीपुर। अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में लीला के आठवे दिन श्री भरत जी गुरू वशिष्ठ व शत्रुध्न की शोभा यात्रा 28 सितम्बर के शाम 7 बजे हरिशंकरी स्थित श्रीराम सिंहासन से बाजे-गाजे के साथ शुरू होकर मुरली कटरा परसपुर, झुन्नु लाल चौराहा, आमघाट, राजकीय महिला महाविद्यालय, महुआबाग, पहाड़खाँ का पोखरा हेतु हुए सकलेनाबाद पहुँचा। लीला के दौरान भरत तथा शत्रुध्न गुरू वशिष्ठ के आदेशानुसार अपने ननिहाल कैकेय अपने प्रदेश लौटकर अयोध्या पहुंचे, वहाँ पहुँचकर उन्होंने पूरे अयोध्या वासियों को उदास देखा। वे माता कैकेयी के कक्ष में पहुँचकर पिता जी व बड़े भाई श्रीराम के बारे में जानकारी प्राप्त किये। जब कैकेयी ने बताया कि पिता जी स्वर्ग को सिधार गये और श्रीराम 14 वर्ष के लिए वनवास चले गये। इतना सुनते ही क्रोधित हो जाते हैं। थोड़ी समय बाद जब क्रोध शांत हुआ तो राजदरबार में पहुँच करके अयोध्या वासियों के साथ अपने बड़े भाई श्रीराम को मनाने के लिए चित्रकुट पहुंच जाते हैं। वहाँ पर पहुंचकर श्रीराम को दण्डवत प्रणाम करने के बाद वे अयोध्या चलने के लिए निवेदन करते हैं। श्रीराम ने भरत के बात को सुनकर अयोध्या जाने से इन्कार कर देते हैं तथा अपना चरणपादुका (खड़ाऊ) दे करके अपने छोटे भाई भरत जी को अयोध्या लौट जाने के लिए आदेश देते हैं। श्रीराम के आदेशानुसार महाराज भरत श्रीराम के खड़ाऊ को सर पर रख करके अयोध्या के लिए प्रस्थान करते हैं। इस दृश्य को देखकर पूरे दर्शनार्थी भावविघोर हो जाते हैं।
इस अवसर पर मंत्री ओमप्रकाश तिवारी (बच्चा), उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, प्रबंधक वीरेश राम वर्मा, उप प्रबंधक मयंक तिवारी, अजय कुमार पाठक, मनोज तिवारी, रामसिंह यादव, कृष्ण बिहारी त्रिवेदी आदि लोग उपस्थित रहे।

दिनांकः 28.09.2022
पं0 कृष्ण बिहारी त्रिवेदी

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