सूचना आयुक्त ने 80 प्रतिशत मामलों का किया निस्तारण, लगाई अधिकारियों को फटकार

गाजीपुर। राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती द्वारा जनपद से संबंधित द्वितीय अपीलों व शिकायतों की जनपद स्तर पर विकेन्द्रीकरण सुनवाई जिला पंचायत सभागार में बुधवार को 200 अपीलों शिकायतों में 80 प्रतिशत मामलों का निस्तारण कराया गया। इस दौरान जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने राज्य सूचना आयुक्त का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। समीक्षा बैठक एवं विशेष सुनवाई के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए जो वर्षों से लंबित थे। आयुक्त द्वारा 07 घंटे की सुनवाई के दौरान कई अधिकारियों को ससमय सूचना न उपलब्ध कराने पर फटकार भी लगाई। साथ ही जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आयोग द्वारा वादकारियों की सहूलियत के लिए जनपद भ्रमण कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इससे वादकारियों को लंबे समय से लंबित मामलों में विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त हो सकेंगी। इससे उनकी ऊर्जा, धन एवं समय की भी बचत होगी।

उन्होंने बताया कि जन सूचना अधिकार अधिनियम सभी लोक प्राधिकारियों पर लागू होता है। अधिकारी किसी भी स्तर का क्यों न हो, यदि जन सूचना अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करता है तो आयोग द्वारा कार्रवाई की जाएगी। उन्होने बताया कि  वर्ष 2022 व 2023  में लगभग 211 ऐसे मामलो में जनसूचना अधिकारियों पर अर्थदंड (लगभग 52 लाख 75 हज़ार) भी अधिरोपित किया गया है। उन्होंने अधिकारियों को सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत मांगी गयी सूचना वादी को त्वरित गति से  उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होेने कहा कि यदि किसी जनसूचना अधिकारी को अधिनियम की धारा 9(2) के तहत व्यक्तिगत उपस्थित होने का आदेश दिया जाता है तो वह आयोग के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करें अन्यथा उनके विरुद्ध अधिनियम के सुसंगत धाराओं के तहत कार्यवाही की जाएगी। प्रथम अपीलीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने निर्देश दिया कि वो अपने दायित्वों का पूर्ण रूप से निर्वहन करें अन्यथा की स्थिति में उनके विरुद्ध युक्तियुक्त कार्यवाही की संस्तुति की जाएगी। राज्य सूचना आयुक्त ने यह भी निर्देशित किया कि जनसूचनाधिकारी स्वयं उपस्थित हो या अपने सक्षम वरिष्ठ अधिकारी को भेजे। इसका अनुपालन न करने की स्थिति में कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।

 

उक्त सुनवाई में सूचना आयुक्त के साथ अनिल त्रिखा पेशकार, अंकीश पांडेय, निजी सचिव व ऋषभ सिंह, अशुलिपिक द्वारा सुनवाई करवाने में अहम भूमिका निभाई गई।

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