जिले की समृद्ध साहित्य परंपरा की यात्रा कार्यक्रम की हुई शुरुआत

गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्वाधान में इस वर्ष ‘गाजीपुर की समृद्ध साहित्य परंपरा की यात्रा’ कार्यक्रम के अंतर्गत एक श्रृंखलाबद्ध अनूठी पहल की शुरुआत की गई है। इस श्रृंखला का उद्देश्य जिले के साहित्यकारों के घर तक पहुंचकर छात्राओं को उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के विषय में जानकारी प्रदान करना है। इस श्रृंखला की पहली कड़ी की शुरूआत नवगीतकार डॉ उमाशंकर तिवारी के घर चलें’ कार्यक्रम से रविवार को हुई। इस साहित्यिक यात्रा को रवाना करते हुए प्राचार्य प्रो सविता भारद्वाज ने कहा कि यह एक अनूठा आयोजन हैं। नई पहल पुरानी जड़ता को तोड़ने की एक छोटी सी शुरुआत है। स्मृति शेष डॉ. उमाशंकर तिवारी के घर पहुंच कर छात्राओं ने स्वनिर्मित कविता पोस्टर से उनके घर को सजाया। उनकी पांडुलिपियों को देखा। वीडियो के माध्यम से उनको उनकी कविता पाठ को देखा और सुना। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत डा उमाशंकर तिवारी के चित्र पर माल्यार्पण कर उनके प्रति अपनी श्रद्धासुमन अर्पित करके हुई। तत्पश्चात इस कार्यक्रम के सूत्रधार डा निरंजन कुमार यादव ने इस कार्यक्रम के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “हिंदी के छात्र-शिक्षक क्लास रूम, नोट्स और पाठ्यक्रम-डिग्री तक सिमट जाएं, यह 21 वीं सदी में साहित्य और मानवता दोनों के लिए घातक है। साहित्य-कला को अब जड़ बुद्धिवाद के साथ साथ कृत्रिम बौद्धिक मशीन से चुनौती मिलने जा रही है। ऐसे में लेखक के परिवेश से जुड़ने का अर्थ साहित्यिक प्रतीक को सामाजिक गौरव में बदलना है, साहित्य के सामाजिक स्रोत से जुड़ना है, साहित्य और लेखक के रिश्ते का पुनर्पाठ करना है, साहित्य को एक जीवित संवेदनात्मक इकाई के रूप में जानना है।

डॉ उमाशंकर तिवारी के पुत्र डा संतोष कुमार तिवारी ने अपने पिता के साहित्यिक जीवन से जुड़े कई संस्मरण सुनाए और कहा कि “उन्होंने जीवन से जो कुछ भी सीखा, उसे ही अपनी कविताओं में अभिव्यक्त किया। इसकी अगली कड़ी में हिंदी विभाग की अध्यक्ष डा संगीता मौर्य ने कहा कि बनारस में पढ़ते हुए हम किसी भी साहित्यकार के घर नहीं जा पाए कम से कम गाज़ीपुर की छात्राएं अपनी साहित्यिक परंपरा को जानने से वंचित न रहे। डा शशिकला जायसवाल ने कहा कि यह परंपरा और आधुनिकता को जोड़ने वाली यात्रा है, जिससे हमारी संस्कृति समृद्ध होगी। छात्राओं ने नवगीतकार डॉ उमाशंकर तिवारी के घर पहुंच कर एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिससे छात्राएं उनके नवगीत का सरस पाठ किया। इस काव्य पाठ में हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता मौर्या एवं डॉ. शशिकला जायसवाल ने अपने कविता पाठ द्वारा संगोष्ठी में उपस्थित सभी व्यक्तियों का मन मोह लिया। इस अवसर पर स्वामी सहजानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के डा राकेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि इस तरह के साहित्यिक आयोजनों से शहर में एक संस्कृति की निर्मित होती है, जिससे हमारे मूल्य संरक्षित और संवर्धित होते हैं।सेवानिवृत्त आचार्य डॉक्टर श्रीकांत पाण्डेय जी ने कहा कि “उपन्यास के क्षेत्र में जितना महत्व प्रेमचंद का है, उतना ही महत्व नवगीत के क्षेत्र में रमाशंकर तिवारी का भी है।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग की शोधार्थी श्वेता यादव तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ संतोष कुमार तिवारी ने किया। एम ए की छात्रा किरन यादव एवं ज्योती शर्मा ने इस कार्यक्रम हेतु 20 कविता पोस्टर बनाएं। श्वेता यादव ने पूरे कार्यक्रम की रिपोर्टिंग की तथा किरन यादव ने इस पूरे आयोजन पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाया। इस अवसर पर एम ए तृतीय सेमेस्टर की छात्राएं उपस्थिति रहीं। मीडिया प्रभारी डा शिव कुमार जी ने कहा कि इस तरह के आयोजन से इस शहर में साहित्यिक जीवंतता के साथ कुछ रचनात्मक माहौल भी बनेगा।

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