शास्त्री जी के अपमान और उपेक्षा की कीमत भाजपा को चुकानी पड़ेगी:अरूण

गाज़ीपुर।2अक्टूबर को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के तत्वावधान में देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर शास्त्री नगर स्थित उनकी प्रतिमा स्थल पर माल्यार्पण एवं दीपदान कार्यक्रम के साथ साथ विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी आरंभ होने के पूर्व महासभा के सभी कार्यकर्ताओं ने प्रतिमा स्थल पर दीप जलाया और फिर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा शास्त्री जी के साथ सौतेलापूर्ण व्यवहार एवं उनकी उपेक्षा किये जाने पर आक्रोश व्यक्त किया।
महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव ने प्रदेश सरकार द्वारा गांधी जयंती पर जारी शासनादेश का जिक्र करते हुए योगी सरकार के रवैए पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि कायस्थ समाज शास्त्री जी का अपमान कत्तई नहीं बर्दाश्त करेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को गांधी जी की जयंती के साथ साथ सभी विभागों को शास्त्री जी की भी जयंती मनाने का आदेश देना चाहिए था लेकिन केवल गांधी जी की जयंती मनाने का आदेश भाजपा सरकार का शास्त्री जी की प्रति सौतेलपन की मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के इस रवैए से पूरा का पूरा कायस्थ समाज मर्माहत है। शास्त्री जी की उपेक्षा और उनके अपमान की कीमत भाजपा को चुकानी पड़ेगी।
माल्यार्पण एवं दीपदान करने के पश्चात पीजी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ आर एस लाल के आवास पर आयोजित गोष्ठी में महासभा के प्रान्तीय उपाध्यक्ष मुक्तेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए शास्त्री जी को देश का महान नेता बताया । उन्होंने कहा कि उनमें देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी हुई थी । उन्होंने अपना पूरा जीवन सरलता और सादगी से बिताया । उनका 18महीने का प्रधानमंत्रित्व काल गीता के 18अध्यायों की तरह पूरी तरह से पाक साफ था । सरकार के तमाम महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बावजूद उनके दामन पर कोई दाग नहीं था । वह अत्यन्त साहसी और बहादुर नेता थे । उन्होंने ही जय जवान जय किसान का नारा दिया था । उन्होंने गांधी जी के आह्वान पर बहुत ही कम उम्र में देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े और आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । वह बाहर से तो काफी उदार और विनम्र थे लेकिन अंदर से चट्टान की तरह दृढ़ थे । रेल मंत्री होने के दौरान एक रेल दुर्घटना होने पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए नैतिकता के आधार पर अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था । उनका त्याग पत्र स्वीकार करते हुए नेहरू जी ने कहा था कि उनका इस्तीफा मैं इसलिए नहीं स्वीकार कर रहा हूं कि वह इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है बल्कि मैंने इनका इस्तीफा इसलिए मंजूर किया कि इनका यह कदम देश की सियासत में काम करने वालों के लिए एक नजीर होगा और हम सबको संवैधानिक मर्यादा का पालन करने की प्रेरणा देगा । लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत है । हम सबको उनके जीवन से सबक लेकर सार्वजनिक जीवन में नैतिकता और ईमानदारी का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए और यही हम सबकी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से रमाशंकर लाल श्रीवास्तव,के पी श्रीवास्तव, प्रेम कुमार श्रीवास्तव,अनिल कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट,विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा के प्रतिनिधि पप्पू लाल श्रीवास्तव, संयुक्त राज्य कर्मचारी परिषद के जिलाध्यक्ष दुर्गेश श्रीवास्तव,चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव सत्यप्रकाश श्रीवास्तव, अशोक सिन्हा एडवोकेट,अजय कुमार श्रीवास्तव,अमरनाथ श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव,अनिल कुमार श्रीवास्तव , अतुल कुमार सिन्हा एडवोकेट, अरुण श्रीवास्तव उर्फ चुन्नू श्रीवास्तव, राजेश कुमार श्रीवास्तव, विपुल सिन्हा,कमल प्रकाश श्रीवास्तव एडवोकेट,शैल श्रीवास्तव,अनिल कुमार श्रीवास्तव, सुनील दत्त श्रीवास्तव, भाजपा नेता सुरेश चन्द्र श्रीवास्तव,चन्द्रप्रकाश श्रीवास्तव, शैल श्रीवास्तव, अमरनाथ श्रीवास्तव, विजय प्रकाश श्रीवास्तव ,नवीन श्रीवास्तव, अनूप श्रीवास्तव, अश्वनी श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे । इस गोष्ठी की अध्यक्षता महासभा के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव संचालन जिला महामंत्री अरूण सहाय ने किया ।

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