गाजीपुर। जीवनोदय शिक्षा समिति गाजीपुर, जे.एन. कॉलेज, पासीघाट, राजकीय महिला पीजी कॉलेज पीजी कॉलेज एवं आर्य महिला पी.जी. कॉलेज वाराणसी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘उत्तर-सत्य युग में भोजपुरी भाषा और साहित्य का पुनरावलोकन’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आज दूसरे दिन रविवार को भी जारी रहा। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ श्रीकांत पांडे ने किया । आपके अनुसार भोजपुरी भाषा को समृद्धि इसके प्रयोग से मिलेगी। अन्य भाषाओं के साथ इसके प्रयोग से इसका क्षेत्र व्यापक होगा। इसमें अभी भी बड़ा साहित्य सृजन नहीं हो पाया है । नेपाल भाषा आयोग के अध्यक्ष डॉ. गोपाल ठाकुर एवं सदस्य गोपाल ठाकुर ‘अश्क’ ने भोजपुरी भाषा के संवर्धन और संरक्षण में योगदान को रेखांकित किया। अपने नेपाल में 150 पुस्तकों के सृजन और ‘नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान’ का महत्व बताया। आपके अनुसार भोजपुरी में भारत से ज्यादा कार्य नेपाल में हो रहा है तथा यह भोजपुरी नेपाल की तीसरी भाषा है। डॉ संतोष सिंह ने भोजपुरी सिनेमा के विकास के साथ भोजपुरी संस्कृति के विकास में भोजपुरी की पहली फिल्म ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाइयबे’ तथा ‘तीसरी कसम’ की विशेष रूप से चर्चा की। इसके इसके सूत्रधार नासिर हुसैन भी गाजीपुर के ऊसिया क्षेत्र के रहने वाले थे। पटना से आई डॉ ज्योत्सना प्रसाद ने कहा कि भोजपुरी को अन्य भाषाओं के साथ जुड़े तो इसका विस्तार होगा तथा भोजपुरी को समृद्ध करने के लिए विभिन्न विषयों पर रचना की आवश्यकता भी बताया।

इस अवसर पर विविध वक्ताओं ने अपने शोध वक्तव्य भी दिए। डॉ सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय चेतना विग्रह नहीं बल्कि समन्वयक मूलक है। इसमें सकारात्मक चेतना के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। डॉ समरेंद्र मिश्रा ने भोजपुरी साहित्य में राम के चरित्र की चर्चा की। दीपक कुमार ने भोजपुरी में आंदोलन की आवश्यकता बताई तथा तकनीकी शब्दावली के अभाव की ओर अपना ध्यान आकर्षित किया। जबकि डॉ उदय प्रताप पाल ने भोजपुरी साहित्य के विविध पक्ष पर प्रकाश डालते हुए गडरिया जाति में भेड़ के गुणनारूप भोजपुरी नामावली की गहन चर्चा की। अमन मिश्रा ने भोजपुरी साहित्य में देशज वनस्पति चिकित्सा एवं देसी दवाओं के उपयोग पर चर्चा की। जबकि उदय नारायण सिंह ने वैदिक विचारों के साथ भोजपुरी की गायन शैली को वैदिक उच्चारण से जोड़ने का प्रयास किया किया। सत्र का संचालन डॉ जयशंकर सिंह ने किया। समापन सत्र की अध्यक्षता डॉ पृथ्वीराज सिंह ने किया तथा मुख्य अतिथि बी.एच.यू के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर वशिष्ठ अनूप रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉक्टर सुनील कुमार राय ने भोजपुरी में के व्यावहारिक प्रयोग पर बलिया तथा फूहड़ भोजपुरी फिल्म और संगीत को भोजपुरी के लिए बड़ा खतरा बताया। सत्र का संचालन दो विद्यानिवास मिश्र ने किया।

आभार ज्ञापन जीवनोदय शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ राम नारायण तिवारी ने किया। सेमिनार के अंतिम तीसरे सत्र के रूप में लोक कलाओं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन हुआ जिसमें पवन बाबू एवं संजीव अरुण कुमार के नेतृत्व में ममता ओझा, सरोज तिवारी, मृत्युंजय पांडेय, दयाशंकर देव, एवं अन्य नाम चीन भोजपुरी कलाकारों ने लोकगीत एवं लोक नृत्य प्रस्तुत कर भोजपुरी भाषा एवं संस्कृति की समृद्धि से उपस्थित जनमानस को परिचित कराया। कार्यक्रम की संयोजन में डॉ रामनारायण तिवारी, सुनंद के. सिन्हा, काजी फरीद आलम, डॉ. शेर खान, डॉ जितेंद्र नाथ राय, पवन बाबू आदि की उल्लेखनीय भूमिका रही। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वंदना दुबे डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ संजय चतुर्वेदी, डॉ सूर्यकांत पांडेय, डॉ गोरखनाथ कुशवाहा, डॉ बालेश्वर विक्रम, डॉ राम नगीना कुशवाहा, प्रोफेसर अजय सिंह, डॉ राघवेंद्र पांडेय, डॉ शिव कुमार, डॉ निरंजन कुमार उपस्थित रहे।
