महिला पीजी कॉलेज में संपादक राजेंद्र यादव की मनाई गई जयंती

गाजीपुर। अपनी बेवाक वैचारिकी से हिन्दी साहित्य में विमर्श को स्थापित करने वाले, नयी कहानी के संस्थापकों में से एक और हंस पत्रिका के संपादक राजेन्द्र यादव की जयंती पर राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग में एक लघु गोष्ठी आयोजित की गयी। इस अवसर पर सर्वप्रथम राजेन्द्र यादव के चित्र पर माल्यार्पण किया गया और एम ए की छात्रा खुशबू द्वारा उनकी प्रतिष्ठित कहानी’ जहाँ लक्ष्मी कैद हैं’ का पाठ किया गया। कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए डॉ. शशिकला जाय‌स्‌वाल ने कहा कि आज हिन्दी साहित्य में स्त्री लेखन की जो बहुलता दिखाई देती है, उसके पीछे निश्चित रूप से राजेन्द्र यादव का योगदान है। उन्होंने परस्परा से हट कर नवागत स्त्री लेखिकाओ को अपनी पत्रिका में खूब प्रकाशित किया। इस बात को मैत्रेयी पुष्पा, किरण सिंह, मन्नू भण्डारी जैसी प्रतिष्ठित लेखिकाओं ने भी स्वीकार किया है। विभागाध्यक्ष डॉ. संगीता मौर्य ने कहा कि यदि हिन्दी साहित्य में किसी लेखक पर यह कहावत’ घर फूक तमाशा देखना’ चरितार्थ होता है तो वह लेखक हैं – राजेन्द्र यादव । अपने जीवन में राजेन्द्र यादव जितने चर्चित थे उतने ही विवादित भी रहे। अपनी बेवाक टिप्पणी के लिए वह हमेशा हिन्दी साहित्य के केन्द्र में रहे। वह एक तरफ छद्म राष्ट्र‌वादी लेखको एवं संगठनों पर हमलाकर थे तो दूसरी तरफ जातिवादी प्रगतिशील लेखको एवं संगठनो की भी जमकर खबर ली है। हंस का संपाद‌कीय पढ़ी जानी चाहिए। इसी क्रम में डां निरंजन कुमार यादव ने कहा कि राजेन्द्र जी की वैचारिक लेखन के आगे हम उनके सृजनात्मक लेखन को उपेक्षित नहीं कर सकते। वह नयी कहानी आंदोलन के जनक हैं। उन्होने अपने कथा साहित्य के माध्यम से मध्यवर्गीय जीवन के यथार्थ और आदर्श के ढोंग को बहुत सूक्ष्म रूप से चित्रित किया है। वह मध्वर्गीय जीवन एवं शहरी विडम्बना बोध के सबसे बड़े कथाकार हैं। प्राचार्य प्रो अनीता कुमारी ने कहा कि मैने राजेन्द्र यादव के लेखन को तो नहीं पढ़ा है लेकिन सारा आकाश’ पर बनी फिल्म को देखी है। जिसमे एक स्त्री के जीवन की विडम्बना हो बहुत ठीक ढंग से दिखाया गया है। मीडिया प्रभारी शिवकुमार ने कहा कि राजेन्द्र यादव का व्यक्तिव हिन्दी साहित्य तक ही सीमित नहीं है; उनके व्याक्तित्व की परिधि में साहित्ता के साथ-साथ समाज और संस्कृति के विभिन्न बराबर स्पर्श करते रहे है। इस अवसर पर हिंदी की सुधी छात्राएं उपस्थित रहीं और उन्होंने भी अपनी बात रखी।

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