वसंतोत्सव कार्यक्रम का हुआ आयोजन

गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कल्चरल क्लब द्वारा सांस्कृतिक महोत्सव श्रृंखला में आज मंगलवार को ‘वसंतोत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्राचार्य ने बताया कि जब शक्ति का विस्तार होता है तो ज्ञान की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है। बसंत के उल्लास में चेतना का होना आवश्यक है।

यही कारण है कि एक तरफ, यह महीना कामदेव का माना जाता है तो दूसरी तरफ हम सरस्वती की पूजा करते है। सरस्वती अर्थात ज्ञान। यह पर्व ज्ञान के सम्मान और आदर का पर्व है। सरस्वती प्रतिमा की स्थापना हुई और सरस्वती पूजा के साथ ही ‘वसंतोत्सव’ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। किया मिश्रा और अनामिका ने वर दे वीणावादिनि और ‘रामचरितमानस’ का पाठ किया। वहीं मंतशा परवीन, लक्ष्मी राय एवं बुशरा अली के समूह ने कबीर भजन ‘जरा धीरे गाड़ी हाकों मेरे राम गाडीवाले’ गा कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

वंशिका सिंह ने ‘ होली को शुभकामनाएं तथा पूनम यादव ने ‘ होली पर्व’ कविता का पाठ किया। राजश्री ने’ होली आई रे कन्हाई’ गाने पर नृत्य किया। तथा सीमू राय ने झिझिया नृत्य प्रस्तुत किया तथा बी ए. प्रथम सेमेस्टर की छात्राओं ने रंग बरसे भींगे चुनर वाली ‘पर सामूहिक नृत्य कर दर्शकों की खूब तालिया बटोरी। एम. ए. हिन्दी की छात्राओं द्वारा कबीर के पद ‘ साहब है अंगरेज, चुनर मोरी रंग डाली’ का समूह गायन किया। मुंबई से आए प्रशांत किशोर ने कहाँ कि प्रतिभा अवसर के बिना खत्म हो जाती है। संस्कृति के प्रति इतना प्रेम और ज्ञान मुझे यहाँ आकर मिला है कि उसका वर्णन करना मुश्किल है। लोक साहित्य मर्मज्ञ प्रो राम नारायण तिवारी जी ने होली और बसंत के गीतों को अंतर बताते हुए कुछ गीतों के बोल सुनाए।

उन्होने बताया कि लोक का आज व्यापार हो गया है। असल लोक को जानने के लिए हमे लोक में जाना होगा। लोक और शास्त्र दो अलग-अलग चीजे हैं। आज शास्त्र को ही लोक परंपरा और संस्कृति बताने की होड़ चल रही है। कार्यक्रम के अंत में देश को शान्ति एवं मंगल हेतु ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें प्राचार्य, अतिथि एवं छात्राओ ने हवन किया। कार्यक्रम का संयुक्त रूप से संचालन डॉ शशि कला जायसवाल एवं डॉ निरंजन कुमार यादव ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय विद्यालय परिवार के सदस्य डॉ शंभू शरण प्रसाद, डॉ रामनाथ केसरवानी, डॉ संगीता मौर्य, डॉ नेहा कुमारी, डॉ शैलेन्द्र यादव, डॉ पीयूष सिंह, डॉ आनंद चौधरी सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।

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