साहित्य में स्त्री अस्मिता की तलाश विषय पर हुआ शोध प्रबंध

गाजीपुर। राज‌कीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय महुआबाग में शनिवार को हिन्दी विभाग के शोधार्थी नागेन्द्र ने अपने शोध प्रबंध का आज जमा पूर्व प्रस्तुतीकरण किया। नागेन्द्र ने ‘नासिरा शर्मा के कथा साहित्य में स्त्री अस्मिता की तलाश ” विषय पर अपना शोध प्रबंध पूर्ण किया है। ये डॉ. निरंजन कुमार यादव के निर्देशन में शोध कार्य कर रहे थे । इन्होंने प्री. सबमिशन के अवसर पर अपने शोध प्रबंध के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शोध प्रबंध छ: अध्यायों में विभक्त है। जिसमें नासिरा शर्मा के कथा साहित्य और उस कथा साहित्य में उपस्थित स्त्री जीवन एवं अस्मिता की आलोचनात्मक पडताल है। जैसा कि हम जानते है कि भारत बहुलतावादी संस्कृति का देश है। इसे एक रेखीय रूप में नहीं जाना जा सकता। ठीक वैसे ही ‘स्त्री जीवन’ एक पद है लेकिन इस पद के साथ यह भी प्रश्न उठता है कि कौन सी स्त्री का जीवन ? हिन्दू स्त्री या मुस्लिम स्त्री का जीवन? या संवैधानिक भाषा में कहे तो सामान्य, ओबीसी, अनुसूचित या अनुसूचित जनजाति की स्त्री का जीवन?


तब यह सवाल थोड़ा जटिल हो जाता है। इस मामले में नासिरा शर्मा का लेखन स्त्री जीवन को पूरेपन में देखने की कोशिश की करता हैं। जहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों समाज की स्त्रियाँ अपने वजूद और संघर्ष के साथ उपस्थित हैं। यह नासिरा शर्मा का हिन्दी साहित्य को दिया गया वह अवदान है जिससे हिन्दी साहित्य कुछ हद तक भारतीय समाज में स्त्री जीवन को पूरेपन के साथ उपस्थित करने का एक सुन्दर प्रयास करता है. वह भी बिना किसी वैचारिक आग्रह और विभाजन के। प्राचार्य प्रो. अनीता कुमारी कहा कहा कि कि हिन्दू समाज को स्त्रियों के दुःख-दर्द तो सार्वजनिक है लेकिन मुस्लिम जीवन की स्त्रियों के दुःख और संघर्ष को चित्रित करना साहस का काम है। इस अवसर पर हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. संगीता, डॉ शशिकला जायसवाल, डॉ निरंजन कुमार यादव, पीयूष सिंह, नेहा कुमारी, अनुश्री एवं महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थित रहीं। शोधार्थी ने अपने शोध की एक प्रति प्राचार्य को पुस्तकालय हेतु प्रदान किया ।इस आयोजन का धन्यवाद ज्ञापन मीडिया प्रभारी डॉ शिव कुमार ने किया।

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