दशरथ कैकेई संवाद श्री राम संवाद विदाई मांगने का लीला हुआ।
गाजीपुर। अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरि शंकरी के तत्वावधान में लीला के पांचवें दिन20 सितंबर रविवार के शाम 7:00 बजे दशरथ कैकेई संवाद, श्री राम संवाद, विदाई मांगने से संबंधित लीला का मंचन हुआ। इसके पूर्व श्री राम सिंहासन पर विराजमान श्री राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न का आरती पूजन कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण,उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी उपप्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने पूजन आरती किया। पूजन के बाद बंदे बाणी विनायकौ आदर्श रामलीला मंडल के कलाकारों द्वारा महाराज दशरथ कैकेई संवाद, श्री राम संवाद व विदाई मांगने से संबंधित लीला का मंचन किया।

लीला के माध्यम से दर्शाया गया कि एक समय महाराज दशरथ शाम के समय अपने दरबार से उठकर महारानी कैकई के कक्ष में जाते हैं वहां महारानी कैकेई को ना देख कर उन्होंने उपस्थित दास दासियो से कैकई के बारे में पूछते हैं तो दासियों ने बताया कि महारानी जी सारे गहने और वस्त्र उतार कर कोप भवन में चली गई है। महाराज दशरथ कोप भवन में जाकर के देखते हैं कि महारानी कैकेई सारे गहने व कपड़े को त्याग कर फटे पुराने कपड़े पहनकर कोप भवन में जाकर उदास हो जमीन पर लेटी थी। महारानी को उदास हो जमीन पर लेटे देखकर महाराज दशरथ कारण पूछते हैं महारानी कैकई महाराज के तरफ देखना तो दूर बात नहीं किया।

काफी प्रयास के बाद महारानी कैकई ने महाराज दशरथ का ध्यान आकृष्ट कराते हुए याद दिलाती है कि आपने मुझे देवासूर संग्राम मैं खुश होकर दो वरदान देने का प्रतिज्ञा किया था तो मैंने कहा कि यह दो वरदान आपके पास थाती स्वरूप पड़ा रहेगा मैं समय पर मांग लूंगी। जिसकी आज मुझे अति आवश्यक है महाराज दशरथ कहते हैं कि महारानी जी आप मुझसे दो वरदान के बजाय दो और वरदान मांग सकती हो इतना सुनने के बाद महारानी कैकेई ने कहा मुझे सिर्फ दो ही वरदान चाहिए पहले वरदान में अयोध्या का राज मेरे पुत्र भरत को देना होगा। दूसरे वरदान में तापस भेष विसेषि उदासी चौदह बरिस राम बनवासी।

और दूसरे वरदान में आपके बड़े पुत्र राम को तपस्वियों के भेष धारण करके चौदह वर्ष तक बन मे जाना होगा। इतना सुनते ही महाराज दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। उधर राज दरबार में राम के राज्याभिषेक का समय निकलता जा रहा था। महामुनि वशिष्ठ महाराज दशरथ केआने प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह आए और राज्याभिषेक का कार्य प्रारंभ हो लेकिन महाराज दशरथ के आने में ज्यादा विलंब हो गई तो उन्होंने मंत्री सुमंत को महाराज दशरथ बुलावा भेजते हैं। मंत्री सुमन कोप भवन में महाराज दशरथ को मूर्छित देखकर कैकई से महाराज मूर्छित होने का कारण पूछते हैं कैकई ने सुमंत को सब कुछ बता देती है।सारे बातों को सुनकर ज्योही मंत्री सुमन्त कोपवन के बाहर आते हैं तो वहांगैट पर उपस्थित पुरवासियों ने सुमंत जी से महाराज दशरथ के बारे में पूछा कि अभी तक महाराज सोए हुए हैं वहां दरबार में राम के राजतिलक की तैयारी पूरी कर ली गई है।

सुमंत जी मौन होकर दरबार में उपस्थित गुरु वशिष्ठ और श्री राम से महाराज के मूर्छित होने का खबर सुनाते हैं। खबर सुनते ही गुरु वशिष्ठ और राम कोप भवन में उपस्थित होकर के महाराज के मूर्छित होने का कारण महारानी कैकई से पूछते हैं राम के बात को सुनकर महारानी कैकई बोली कि हे राम महासुर संग्राम में आपके पिता महाराज दशरथ मुझे खुश होकर के दो वरदान दिए थे उसे आज हमने मांग लिया पहले वरदान में अयोध्या का राज हमारे पुत्र भरत को देना होगा और दूसरे वरदान में तुम्हें तपस्वी के भेष में चौदह वर्ष के लिए वनवास जाने के लिए मांग किया था इतने में महाराज दशरथ मूर्छित हो गए। श्री राम महारानी कैकई के बात को सुनकर अपने पिताजी महाराज दशरथ को किसी तरह होश में लाकर कहते हैं कि पिताजी आप व्यर्थ में चिंता ना करें यह तो मेरा सौभाग्य है कि मैं वनवास काल में ऋषियों मुनियों का दर्शन करते हुए आशीर्वाद ग्रहण करूंगा और पृथ्वी को असुरों से खाली करूंगा।

इसके बाद मैं सकुशल आपके पास लौट कर आ जाऊंगा इतना कहने के बाद श्री राम अपने माता कौशल्या के पास जाकर के उनसे बन जाने के लिए आजा लेते हैं राम के बात को सुनकर भार्या सीता और भाई लक्ष्मण दोनों राम के साथ बन में जाने की आज्ञा माता कौशल्या से लेकर माता कौशल्या के कक्ष से चल देते हैं और पुनः माता कैकई के कक्ष में जाकर अपने माता तथा पिता के चरणों में शीश झुका कर प्रणाम करते हैं और तपस्वी का भेष धारण कर श्री राम लक्ष्मण सीता बन के लिए प्रस्थान कर देते हैं राम की बन जाने के बाद महाराजा हे राम कहते हुए अपने प्राणों को त्याग देते हैं। उधर अयोध्या वासी भी श्री राम के साथ बन जाने के लिए तैयार हो जाते हैं श्री राम के लाख मना करने के बावजूद अयोध्या वासी श्री राम से कहते हैं कि हे राम जहां आप रहेंगे वही मैं रहूंगा वही मेरा अयोध्या होगा अतः हे राम आप मुझे अपने साथ बन जाने से मत रोके। इतना भावपूर्ण बात सुनकर श्री राम अंत में साथ में बन चलने के लिए अयोध्या वासियों को आज्ञा प्रदान करते हैं। इस दृश्य को देखकर लीला स्थल पर भारी संख्या में उपस्थित दर्शकों के आंखों आसू छलक उठता है।

इस अवसर मंत्री ओमप्रकाश तिवारी संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण मंत्री लव कुमार त्रिवेदी प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी उपप्रबंधक मयंक तिवारी कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल राम सिंह यादव राजकुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे।