राम केवट संवाद घरनैल द्वारा सुरसरि पार जाना



गाजीपुर। प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में लीला के सातवें दिन मंगलवार को शाम 7:00 बजे नगर के विशेश्वरगंज स्थित पहाड़ खां पोखरा पर लीला के क्रम में निषादराज मिलन, तमसा निवास, श्री राम केवट संवाद, घरनैल द्वारा सुरसरि पार जाने से संबंधित लीला का मंचन किया गया। इसके पूर्व कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष विनय कुमार सिंह मंत्री ओमप्रकाश तिवारी मंत्री लोक कुमार त्रिवेदी प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी उप प्रबंधक मयंक तिवारी कोषाध्य रोहित अग्रवाल द्वारा प्रभु श्रीराम की आरती किया।
लीला के क्रम में बंदे बाणी विनायकौ आदर्श श्री रामलीला मंडल के कलाकारों द्वारा निषाद राज मिलन, तमसा निवास,श्री राम केवट संवाद, घरनैल द्वारा सुरसुरि पार जाने से संबंधित लीला का मंचन किया गया।
प्रभु श्री राम वनवास काल में सर्वप्रथम तमसा नदी पर विश्राम करने के बाद श्रृंगवेरपुर पहुंचते हैं वहां उनके मित्र निषाद राज से भेंट होती है दोनों मित्रों में आपस में समाचार का आदान-प्रदान होता है। अपने मित्र निषाद राज को देखकर प्रभु श्री राम प्रसन्न होते हैं। इसके बाद निषाद राज प्रभु श्री राम से अपने राज्य में चलने का निवेदन करते हैं प्रभु श्री राम अपने मित्र निषाद राज के निवेदन को अस्वीकार करते हुए कहते हैं कि मित्र जिस राज्य को छोड़कर पिता के आदेश पर बन के लिए चले हैं मैं कैसे आपके राज्य में जा सकता हूं। अगर हो सके तो इसी बट वृक्ष के नीचे हम लोगो को ठहरने का व्यवस्था करवाने की कृपा करें। मित्र राम के आदेशानुसार निषाद राज केवट वट वृक्ष के नीचे प्रभु श्री राम के ठहरने का व्यवस्था कर देते हैं। रात्रि विश्राम करने के बाद प्रभु श्री राम निषाद राज से कहते हैं कि मुझे सुरसरि पर जाना है नावकी व्यवस्था करवाने की कृपा करें। श्री राम के आदेश का पालन करते हुए निषाद राज ने नाव की व्यवस्था करवाते हैं। निषाद राज केवट को बुलाकर कहते हैं कि हे केवटये दोनों राजकुमार राम लक्ष्मण अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र हैं। इन्हे गंगा पार करके बन प्रदेश जाना है केवट अपना नाव लेकर गंगा के बीचो-बीच खड़ा कर देता है। प्रभु श्री राम गंगा के किनारे से केवट को आवाज देते हैं कि हे केवट आप अपने नाव को किनारे लगाओ हम लोगों को गंगा पार जाना हैं। केवट नाव को गंगा के किनारे खड़ा करके कहते हैं किश्री राम मैं आपका बिना चरण पखारुगा अभी नाव पर बिठाऊंगा क्योंकि आपके पांव में जादू भरा है। अन्यथा नाव पर नहीं बैठ सकता हूं मैंने सुना है कि महामुनि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा के लिए उनके आश्रम जा रहे थे तो बीच में एक शिला देखकर महामुनि विश्वामित्र के आदेशानुसार अपने अपने चरण से उक्त शिला को स्पर्श कर दिया जिससे वह पत्थर से नारी बन गई। इसलिए हे प्रभु मैं आपको बिना चरण पखारे नाव पर नहीं बैठ सकता हूं अगर आपकी आज्ञा हो तो आप गंगाजल से आपका चरण पखार लूं। श्री राम ने केवट के भक्ति को देखते हुए आदेश देते हैं कि केवट राम रजायसु पावा। पानी कठौता भरि लै आवा। हे केवट तुम जल्दी कठौता में पानी भर करके लेआओ और मेरा पांव पखार लो। केवट ने प्रभु श्री राम की आज्ञा पाकर अति आनंद उमगी अनुरागा चरण सरोज पखारन लागा। केवट अपने घर से कठौता मंगवा कर गंगाजल लेकर बड़े आनंद के साथ प्रभु श्री राम का दोनों चरण पखारकर चरणामृत ग्रहण करके अपने पूर्वजों को तार देते हैं। और राम लक्ष्मण सीता को नाव पर चढ़ाकर धीरे-धीरे उस पर ले जाते हैं। और मां गंगा से कहते हैं कि हे मां गंगे। मेरे नैया में लक्ष्मण राम गंगा मैया धीरे बहो। इस प्रकार गंगा जी से प्रार्थना करते हुए प्रभु श्री राम को गंगा पार उतार देते हैं। प्रभु श्री राम गंगापार उतरकर केवट को नावउतराई में सोने की अंगूठी केवट देते हैं तो केवट प्रभु श्री राम के चरणों में लिपटकर कहता है कि हे प्रभु फिरति बार मोहिजो देवा सो प्रसाद मै सिर धरि लेवा। कहां कि प्रभु जब आप वन से लौटेंगे उस समय जो आप मुझे देंगे मैं उसको प्रसाद समझकर ग्रहण कर लूंगा। इसके अलावा उसने कहा कि प्रभु मैं छोटी सी नदी से आपको पर किया मैं जब आपके धाम में आऊंगा तो आप मुझे भवसागर से पार कर दीजिएगा। से उतराई नहीं लेता जब मैं छोटी सी नदी से आपको पर उतारा है मैं आपके धाम जब आऊंगा तो आप भवसागर से पार कर दीजिएगा। प्रभु श्री राम केवट के बात को सुनकर प्रसन्न हो जाते हैं और अविरल भक्ति का वरदान देकर केवट को विदा कर देते हैं। श्री राम लक्ष्मण सीता नाव से उतरकर रथ पर सवार हो भारद्वाज मुनि के आश्रम केलिए प्रस्थान करते हैं। इस लीला को देखकर दर्शक भाव विभोर होकर जय श्री राम हर हर महादेव के नारों से गूंज मान कर दिया।
इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उप यंत्री लवकुमार त्रिवेदी, प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, उपप्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, आदि रहे।