हिन्दी के क्षेत्र में हैं रोजगार की असीम संभावनाएं

हिन्दी के क्षेत्र में हैं रोजगार की असीम संभावनाएं

गाजीपुर। महर्षि विश्वामित्र कल्चरल क्लब के निर्देशन में “रोजगार की संभावनाएँ और हिंदी” विषयक एकदिवसीय व्याख्यान पीजी कॉलेज मलिकपूरा में सम्पन्न हुआ।
हिंदी पखवाड़ा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह एवं अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन से किया गया। क्लब के प्रभारी डॉ. सर्वेश पाण्डेय ने बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए हिंदी भाषा की व्यवहारिक प्रासंगिकता और बदलते समय में उसकी रोजगारपरक उपयोगिता पर बल दिया।
मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो. डॉ. सुनील कुमार राय ‘विपुल’ ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए हिंदी में रोजगार की पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिंदी केवल अध्यापन या साहित्य तक सीमित न रहकर पत्रकारिता, अनुवाद, प्रशासन, मीडिया, आईटी, पर्यटन, विज्ञापन एवं कॉरपोरेट जगत में भी नए अवसर प्रदान कर रही है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे हिंदी को केवल भाषा न मानकर जीवन और करियर निर्माण का सशक्त साधन समझें। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. ए. के. राय ने कहा कि हिंदी राष्ट्र की आत्मा है और पत्रकारिता से लेकर जनसंपर्क तक इसके नए आयाम खुल रहे हैं। विश्व के अनेक देशों में हिन्दी का पठन पाठन चल रहा है और हिन्दी वैश्विक स्तर पर मजबूत हो रही है। विश्व स्तर पर इसमें रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।
महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. चंद्रभान सिंह ने अपने संबोधन में हिंदी की जीवंतता और उसकी व्यापक स्वीकृति पर विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. (डॉ.) दिवाकर सिंह ने की। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि हिंदी रोजगार की नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की भाषा है और हमें इसे नई पीढ़ी तक गर्व और गौरव के साथ पहुँचाना होगा। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अनुज कुमार सिंह ने प्रभावशाली ढंग से निभाया। आभार ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग की प्रभारी डॉ. पूजा साहू ने किया।

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