माता शबरी का फल खाना श्री राम हनुमान मिलन सुग्रीव मित्रता

माता शबरी का फल खाना श्री राम हनुमान मिलन सुग्रीव मित्रता

गाज़ीपुर। अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान लीला के 13वें दिन 29 सितंबर को शाम स्थानीय रामलीला मैदान लंका में में माता शेवरी का फल खाना श्री राम हनुमान मिलन तथा सुग्रीव से मित्रता लीला का मंचन किया गया। इसके पूर्व कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उप मंत्री लव कुमार त्रिवेदी, प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, उप प्रबंधक मयंक तिवारी तथा कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने प्रभु श्री राम का पूजन आरती किया। इसके पश्चात बंदे बाणी विनायकौ आदर्श श्री रामलीला मंडल के कलाकारों द्वारा पुरी भब्यता पूर्व माता शेवरी का फल खाना, श्री राम हनुमान मिलन, तथा सुग्रीव से मित्रता लीला का मंचन किया गया।
लीला के क्रम में दर्शाया गया कि प्रभु श्री राम सोने के मृग का शिकार करने के बाद अपने कुटिया में आकर सीता जी को न देखकर दोनों भाई राम लक्ष्मण बेचैन हो जाते हैं और विलाप करते हुए सीता की खोज करने के लिए जंगलों पर्वतों पर पता लगाते हैं वह पशु पक्षियों से पूछते हैं कि हे खग मृग हे मधुकर श्रे़नी। तुम देखी सीता मृग नैनी। वे जंगल के पशु पक्षियों से पूछते हैं आप लोगों ने हमारी भार्या सीता को कहीं देखा है इस प्रकार विलाप करते हुए जंगलों को पार करते हुए मूर्छित पड़े गिद्धराज जटायु के पास आते हैं जटायु ने श्रीराम को सीता का पता बताते हुए कहा कि लंका पति रावण आपके भार्या सीता जी को हरकर दक्षिण दिशा की ओर गया है। मैं सीता जी को लाख प्रयास किया फिर भी मैं सीता को नहीं बचा पाया। उसी पापी रावण ने मेरी यह दशा की है। इतना कहने की बाद जटायु ने प्रभु श्री राम के गोद में अपने प्राण को त्याग देता है। श्री राम अपने हाथों से जटायु का अंतिम संस्कार करके आगे चलते हैं थोड़े ही देर में प्रभु श्री राम माता शेवरी के आश्रम में पहुंचते हैं माता शेवरी श्री राम लक्ष्मण को देखते ही दोनों भाइयों को अपने आश्रम के अंदर ले जाकर सुंदर आसन लगा कर प्रभु श्री राम लक्ष्मण को बैठाया और कंदमूलफल लेकर प्रभु श्री राम को चीख चीख कर खिलाती हैं। प्रभु श्री राम बखान करते हुए बड़े भाव के साथ माता शबरी के हाथों दिए गए मीठे फल को खाते हैं। माता शेवरी प्रभु श्री रामसे जंगल में दर-दर भटकने का करण पूछती है प्रभु श्री राम ने सीता जी के हरण के बारे में सब कुछ बताते हैं इतना सुनने के बाद माता शेवरी ने उनसे कहा कि हे प्रभु आगे जाने ‌ऋष्यमूकपर्वत है। वहां बाली का छोटा भाई सुग्रीव अपने भाई बालि से छुप कर रहता है आप वहां जाएं और मित्रता का हाथ बढ़ाएं। उनके द्वारा सीता जी का पता लगाया जा सकता है। प्रभु श्री राम माता शेवरी के बतानेपर तथा उसके भक्ति को देखकर नवधा भक्ति का वरदान देते हुए शेबरी से आज्ञा लेकर सीता की खोज में निकल जाते हैं।
प्रभु श्री राम लक्ष्मण सीता जी की खोज करते हुए आगे बढ़ते हैं थोड़ी ही देर में ऋष्यमूक पर्वत पर पहुंचते हैं उधर बालि
का छोटा भाई सुग्रीव अपने भाई बालि के डर से ऋष्यमूक पर्वत पर एक कंदरा में छिप कर रहता था जब वह दो वीर पुरुष को देखकर डर जाता है उसने हनुमान को बुलाकर वीर पुरुष का परिचय जानने के लिए हनुमान जी को भेजता है। हनुमान जी ऋष्यमूक पर्वत पर ब्राह्मण के भेष में जाते हैं और उन दो वीर पुरुषो से परिचय और उनके आने का कारण पूछते हैं श्री राम ने उन्हें ब्राह्मण समझकर प्रणाम करते हुए कहते हैं कि यह ब्राह्मण देवता हम दोनों अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र राम और लक्ष्मण है मैं अपनी भार्या सीता की खोज करते हुए पर्वत पर आया हूं। मुझे पता चला है कि इस पर्वत पर महाराज सुग्रीव रहते हैं उनके द्वारा सीता का पता चल सकता है। इतना सुनते ही हनुमान जी अपने असली रूप में आकर श्री राम के चरणों में झुक कर प्रणाम करते हैं। वीर पुरुष श्री राम लक्ष्मण को अपने कंधे पर बिठाकर आकाश मार्ग से महाराज सुग्रीव के पास ले जाते हैं। वहां पहुंच कर प्रभु श्री राम ने अग्नि को साक्षी मानकर महाराज सुग्रीव से मित्रता करते हैं।
इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण, उपमंत्री पं0 लवकुमार त्रिवेदी, प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, उपप्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, सुधीरअग्रवाल, अशोक अग्रवाल, राजेश प्रसाद, कृष्णांश त्रिवेदी रहें।

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