जो समय की कीमत नहीं समझता, समय उसकी कीमत नहीं समझता:डा. मंगला राय

जो समय की कीमत नहीं समझता, समय उसकी कीमत नहीं समझता – डा. मंगला राय पूर्व डीजी

वार्षिक पत्रिका ‘कर्मभूमि’ का विमोचन एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

गाज़ीपुर। पीजी कॉलेज मलिकपूरा एवं महर्षि विश्वामित्र कल्चरल क्लब के संयुक्त तत्वावधान में “ग्रामीण भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के निर्माण में स्थानीय अभिभावकों का योगदान” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने अभिभावकों की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन से पूर्व, अतिथियों ने महाविद्यालय प्रांगण में स्थित संस्थापक बाबू भगवान सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण और सेमिनार हॉल में मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इसके उपरान्त महाविद्यालय के प्राधिकृत नियंत्रक डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा के संरक्षकत्व एवं प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह की अध्यक्षता में संचालित कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार द्वारा मुख्य डॉ. मंगला राय, पूर्व महानिदेशक, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद और विशिष्ट अतिथियों क्रमशः प्रो. हरिकेश सिंह, पूर्व कुलपति, जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा, प्रो. राजशरण शाही, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व पारस नाथ राय प्रबंधक, शबरी महाविद्यालय सिखड़ी गाजीपुर एवं डॉ. हरि प्रसाद सिंह, संस्थापक प्रतिनिधि को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
अतिथियों का परिचय डॉ. पूजा साहू ने तथा “कर्मभूमि पत्रिका” विशेषांक तथा संगोष्ठी का बीज वक्तव्य वासुदेवन मणि त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया। इसके पश्चात “कर्मभूमि” पत्रिका विमोचन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा प्रधान संपादक प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह तथा संपादकीय सहयोगी प्रो. चन्द्र भान सिंह, डॉ. दिनेश कुमार सिंह, डॉ. दीपक कुमार यादव, वासुदेवन मणि त्रिपाठी एवं डॉ. शिव प्रताप यादव के सहयोग से किया गया। अपने वक्तव्य में पारस नाथ राय ने अपने विद्यार्थी जीवन के अनुभव साझा करते हुए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला तो प्रो. हरिकेश सिंह ने शिक्षा संस्थाओं के निर्माण में अभिभावकों की भूमिका पर विचार व्यक्त करते हुए “कर्मभूमि” पत्रिका के विशेषांक तथा प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह के कार्यों की सराहना की। प्रो. राजशरण शाही ने “शिक्षक, शिक्षा और सम्मान” विषय पर वक्तव्य देते हुए पारंपरिक गुरुकुल पद्धति एवं आधुनिक शिक्षण प्रणाली की तुलना प्रस्तुत की। अपने सारगर्भित उद्बोधन में मुख्य अतिथि डॉ. मंगला राय ने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु कड़ी मेहनत और अनुशासन की सीख देते हुए कहा कि “जिसने समय की कीमत नहीं की, समय उसकी कीमत नहीं करता। शिक्षा कितनी भी महंगी हो, फिर भी वह सस्ती ही है।” उन्होंने प्रेरक प्रसंगों के द्वारा शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज शिक्षा का निजीकरण बनाम सरकारीकरण उसी प्रकार की बहस है जैसी जैविक बनाम रासायनिक कृषि की। अध्यक्षीय संबोधन से पूर्व अतिथियों द्वारा कल्चरल क्लब के तत्वावधान में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. दिवाकर सिंह ने शिक्षा में अभिभावकों के योगदान की महत्ता पर कहा कि ग्रामीण समाज की सक्रिय भागीदारी से ही शिक्षा संस्थान अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने संस्कारयुक्त शिक्षा की वकालत की। कार्यक्रम का सफल संचालन कल्चरल क्लब के संयोजक डॉ. सर्वेश पाण्डेय एवं डॉ. अंजली यादव ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिव प्रताप यादव ने किया।

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