उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का शुभारंभ

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का शुभारंभ

भारत न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय रहे मौजूद

दो दिवसीय महोत्सव में विभिन्न देशों के राजनयिक,साहित्यकर्मी,इतिहासकार ले रहे भाग

नामचीन कलाकार,शिक्षाविद आयोजन में कर रहे शिरकत

गाजीपुर।शहर के नंद रेजीडेंसी होटल में शनिवार को लिटरेचर फेस्टिवल 2025 की शुरुआत हुई।भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क और भारत डायलॉग्स के तत्वाधान में गाजीपुर में दो दिवसीय साहित्य महोत्सव 2025 का आयोजन किया जा रहा है।जिसका शुभारम्भ जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और भारत न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय ने किया।

साहित्य महोत्सव के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि यह लिटरेचर फेस्टिवल दुनिया को यह संदेश देता है कि भारत केवल चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश नहीं है, बल्कि यह विश्व की सबसे समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति भी है। भारतीयों की निष्ठा, ईमानदारी और कर्मठता दुनिया के लिए एक अमूल्य धरोहर हैं।


उन्होंने कहा कि जहां भी भारतवंशी जाते हैं, वे अपनी मेहनत और सत्यनिष्ठा से एक अलग पहचान बनाते हैं। मनोज सिन्हा ने कहा कि गाजीपुर की मिट्टी में एक अलग ही चमक है। इतिहास में साधुओं, ऋषियों, मनीषियों और साहित्यकारों ने यहां की पवित्र मिट्टी से जो पाया, उसे दुनिया तक पहुंचाया है। उन्होंने गाजीपुर को “अस्तित्व का अलौकिक मंच” बताया, जहां साहित्य के शब्द, नृत्य की गति, संगीत के सुर और विचारों की शक्ति एक भावनात्मक संगम की तरह मिलते हैं।

उपराज्यपाल ने कहा कि डॉ. विवेकी राय की ‘सोनामाटी’ में जिस तरह पात्र प्रकृति से एकाकार हो जाते हैं, उसी तरह गाजीपुर भी मनुष्य को अस्तित्व से जोड़ देता है। मेरे लिए गाजीपुर इस अद्वैत भाव का प्रवेश द्वार है।मनोज सिन्हा ने कहा कि साहित्य मन की निरंतर चिकित्सा करता है। समाज साहित्य के बिना जीवित तो रह सकता है, लेकिन उसकी प्रफुल्लता खो जाती है। बिना साहित्य के समाज चल तो सकता है, दौड़ भी सकता है, लेकिन उसका दम फूल जाता है क्योंकि साहित्य ही समाज को वास्तविक शक्ति देता है। उन्होंने कहा कि साहित्य नए विचारों, नए चिंतन, नए सृजन और नई कल्पना की प्रेरणा देता है। यही आस्था, नवीनता और भावनाओं की गहराई समाज की असली ताकत बनती है।


एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि भारत आज वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देने वाली सबसे प्रभावशाली शक्तियों में से एक है। भारत के पास विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। देश में यूनिकॉर्न की संख्या 111 तक पहुंच चुकी है। चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भी है।

हाई कमिश्नर ने साझा किए विचार

दक्षिण अफ्रीका के हाई कमिश्नर प्रोफेसर अनिल सोकलाल ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच ऐतिहासिक और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों पर बात की। रंगभेद के कठिन वर्षों से लेकर 1995 में डॉ. नेल्सन मंडेला की भारत यात्रा और उसके बाद भारत के साथ दक्षिण अफ्रीका के संबंधों के बारे में बताया।


इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार और भारत न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय ने कहा कि भारत के नक्शे में गाजीपुर का नाम लिए बिना साहित्य और संस्कृति की चर्चा अधूरी है। गाजीपुर ने स्वामी सहजानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, पहवारी बाबा, कुबेर नाथ राय, डॉ. विवेकी राय और डॉ. पीएन सिंह जैसे महान विचारकों और साहित्यकारों को जन्म दिया है। कबीर ने कहा था ”पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोए, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होए।” यानी असली ज्ञान किताबों से नहीं, बल्कि प्रेम और मानवीय संवेदनाओं से मिलता है।


शायरी से लूटी वाहवाही

लिटरेचर फेस्ट में मशहूर शायर अजहर इकबाल ने घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए, मैं खुद से रूठ गया हूं उसे मनाते हुए…पेश कर खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने दिल की गली में चाँद निकलता रहता है एक दिया उम्मीद का जलता रहता है …पेश किया। इसके अलावा लोक गायिका चंदन तिवारी, अमर नाथ तिवारी, शायर नोमान शौक ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया।

कार्यक्रम में इन्होंने भी की शिरकत

राज्यसभा सांसद संगीता बलवंत, लेखक संजय मासूम, मनोज भावुक, संजीव गुप्ता, निर्देशक अविनाश दास, नीदरलैंड से गायक राजमोहन, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा भानू प्रताप सिंह, भाजपा नेता पियूष राय, वरिष्ठ अधिवक्ता कृपा शंकर राय, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आनंद मिश्रा, सीएमएस डॉ. राजेश सिंह समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।


गाजीपुर में होटल रेजीडेंसी और रामलीला मैदान में 8 एवं 9 तम्बर को दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल 2025 चल रहा है।जिसमे विभिन्न देशों के राजनयिक,साहित्यकर्मी,पत्रकार शिरकत कर रहे है।साथ ही इस आयोजन में देश के नामचीन कलाकार,इतिहासकार,लोक कलाकार और शिक्षाविद भी शामिल हो रहे हैं।आयोजन के विभिन्न सत्रों में ये सभी बुद्धिजीवी अपने अपने विचार रख रहे है।इस आयोजन के तहत लंका मैदान में एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है।

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