गाजीपुर। बुधवार को साहित्यकार डॉ. विवेकी राय की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर जोनल रेलवे ट्रेनिंग सेंटर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया। इस दौरान उपस्थित लोगों ने डॉ. विवेकी राय को आंचलिक चेतना का चिराग बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विधाओं में लिखित उनकी पांच दर्जन से अधिक कृतियां उनके साहित्यिक योगदान की साक्षी हैं। डॉ. राय का जन्म 19 नवंबर 1924 को बलिया जनपद के भरौली गांव में अपने मामा बचाऊ राय के घर हुआ था। वे बचपन से ही मेधावी थे और उन्होंने स्वाध्याय के बल पर एमए और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने अपने गांव सोनवानी, गाजीपुर के नरही, बलिया के खरडीहा होते हुए स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर में हिंदी विभाग में प्राध्यापन किया। उनका लेखन बचपन से ही शुरू हो गया था और जीवन भर अविराम चलता रहा। वे एक समर्थ किसान, समर्पित शिक्षक और ग्रामीण चेतना से जुड़े साहित्यकार थे। डॉ. विवेकी राय को प्रेमचंद और रेणु के बाद आंचलिक चेतना का महत्वपूर्ण हस्ताक्षर माना जाता है। उनका जीवन ग्रामीण उत्थान को समर्पित रहा। भले ही जीवन के उत्तरार्द्ध में वे गाजीपुर शहर चले गए थे, लेकिन उनकी आत्मा गांवों में ही बसती थी। उनके लेखन पर अब तक अनेक शोधार्थियों ने पीएचडी और डी.लिट की डिग्रियां प्राप्त की हैं।

इस दौरान विजय कुमार राय, शिवकुमार, मनीष मिश्रा, मनीष सिंह, अजीत राय, शिवमुनि यादव, चंद्रिका यादव, करुणेंद्र राय, अखिलेश यादव, प्रदीप कुमार राय, कृपा कृष्ण, रजत, संजीव कुमार, आरएन राय, विनीत दुबे समेत कई लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन स्व. विवेकी राय के पौत्र यशवंत राय ने किया।