आत्मीयता,परस्पर बन्धुत्व व प्रेम का एकत्रीकरण है हिन्दु सम्मेलन

आत्मीयता,परस्पर बन्धुत्व व प्रेम का एकत्रीकरण है हिन्दु सम्मेलन

गाजीपुर। संघ शताब्दी वर्ष के तीसरे चरण में हिन्दू सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को बड़ीबाग अष्टभुजी  में स्थित कांशीराम आवास में किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत वैदिक हवन पूजन व भजन गायन के साथ हुआ। कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियो ने संयुक्त रूप से भारत माता के चित्र पर माल्यापर्ण कर दीप प्रज्जवलित किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता काशी प्रान्त के प्रचारक रमेश ने बताया कि वशुधैंव्य कुटुम्बकम् की परिकल्पना लिये आज यह हिन्दू सम्मेलन अष्टभूजी बस्ती के कांशीराम आवास कालोनी में करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान श्रीराम ने जहा सारे भेदभाव मिटा कर शबरी के बेर ग्रहण किये, निषादराज को भवसागर पार लगाये, जटायुराज का अन्तिम संस्कार कर मोक्ष प्रदान किया, वही समरता केा लेकर आज हिन्दु समाज उठ खड़ा हुआ है। महाकुंम्भ मे जिस प्रकार करोड़ो लोगा के भोजन व आवास की व्यस्था के लिए संत समाज उठ खड़ा हुआ वो सब हमारे हिन्दू भाई और बहनो के लिए किये। उनके यहा जिस प्रकार से बिना भेदभाव के हिन्दू समाज के भाईयो और बसना को भोजन कराया जो विश्व के लिए एक मिशाल कायम हुआ। हमारी हिन्दू भाई किसी प्रकार या किसी कारण वश दूसरी पंथो मे चले गये है उनका भी मन अन्दर से महाकुंम्भ मे जाने को आतुर रहा और वो त्रिवेणी संगम स्नान करने गये। ये हमारे हिन्दू समाज की विशेषता है। जो भी दूसरे पंथ समुदाय को मानने वाले है उनका मूल हिन्दू है उन्हे अपने घर वापस आना होगा। ये जो हिन्दु सम्मेलन है हम सबके आत्मीयता, परस्पर बन्धुत्व व प्रेम का एकत्रीकरण है हम सबमे एकता रहे और हम सब मे इसकी अनुभूमि हो, एक रहने मे ही भलाई है, हम सब की शक्ति एक दिशा की ओर राष्ट्र मे लगे यही हमारी कामना है, एक दूसरे में मेल जोल होने से आपस की भ्रान्तियां दूर होती है। हम आपके दुख सुख मे शामिल हो आप हमारे दुख सुख मे शामिल हो इसी से आपसी सौहार्द व एकरूपता का वातावरण तैयार होता है और इसी मे सबकी भलाई है। भगवान राम सबके है वो सृष्टि निर्माता है उन्हे हम हिन्दू मुस्लिम इसाई मे नहीे बांटा जा सकता।  अगले क्रम में मातृ शक्ति से कल्पना सिंह प्र्रधानाचार्य ने अपने उदबोधन में पंच प्रण पर बताया कि पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी उपयोग, कुटुम्भ प्रबोधन, समरसता व नागरिक कतर्व्य पर प्रकाश डाला। साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ने संघ शताब्दी वर्ष पर प्रकाश डाला व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भुड़कुड़ा मठ के महंत शत्रुघनदास जी से संत समाज मे बताया कि हमारा संत समाज सनातनी परम्परा का वाहक है जो चिर प्राचीन समय से संत समाज राष्ट्र को एक सूत्र मे पीरोने का काम किया है हमारे यहा कोई उंच नीच के भेदभाव रहित संत परम्परा का निवर्हन पूरे भारत वर्ष मे होता रहा है। हमारे यहा श्रीराम, तुलसी, कबीर, रैयदास, सूरदास, मीराबाई की प्रेरणा से चलने वाली सनातनी परम्परा को आगे बढ़ाने का काम संत समाज कर रहा है। मंचासीन अतिथियो में श्रीमती कल्पना सिंह को लालसा भारद्वाज, महंत शत्रुघन दास को बस्ती प्रमुख भीम ने व रामदुलार व प्रान्त प्रचारक रमेश को समाजसेवी गोविन्द दास ने अंगवस्त्रम पहना कर स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर भारत माता की आरती किया। कार्यक्रम का संचालन संतोष जायसवाल ने किया। इस कार्यक्रम में जिला प्रचारक प्रभात, नगर प्रचारक विक्रम, जिला संचालक जयप्रकाश, नगर संचालक दीनदयाल, चन्द्र कुमार, अंजनी, देवसरन, डीजीसी कृपाशंकर राय, दुर्गेश, संतोष, पूर्व मंत्री विजय मिश्रा, अखिलेश सिंह, अनुज, विनोद अग्रवाल, पारस राय, सुरेश चन्द्र श्रीवास्तव, रासबिहारी राय, साधना राय, सोनी सिंह, किरण सिंह, सुनिता सिंह, रूद्रा पाण्डेय, सरोज कुशवाहा, नीलम राय सहित आदि उपस्थित रहे।

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