डीएम और चेयरमैन ने खाई फाइलेरिया से बचाव की दवा, कहा….

एमडीए अभियान शुरू, जिलाधिकारी व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष ने खाई फाइलेरिया से बचाव की दवा

महुआबाग स्थित आदर्श इंटर कॉलेज से हुआ फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एमडीए अभियान का शुभारंभ

जिलाधिकारी ने की अपील – स्वास्थ्यकर्मियों का सहयोग कर दवा का सेवन उनके समक्ष करें, दूसरों को भी प्रेरित करें

नगर पालिका परिषद अध्यक्ष ने साफ-सफाई, गंदे पानी के निस्तारण, स्वच्छ पेयजल पर दिया ज़ोर

गाज़ीपुर। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी एवं नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सरिता अग्रवाल ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बृहस्पतिवार को फाइलेरिया सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान का शुभारंभ महुआबाग स्थित आदर्श इंटर कॉलेज से किया। सर्वप्रथम जिलाधिकारी ने फाइलेरिया से बचाव की दवा एल्बेण्डाज़ोल और डीईसी का सेवन किया। तत्पश्चात नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सरिता अग्रवाल, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी/विद्यालय निरीक्षक हेमंत राव, प्रधानाध्यापक चंद्रदेव राम, संचारी रोगों के नोडल अधिकारी/अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जेएन सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार सहित अन्य अधिकारियों, शिक्षकों व बच्चों ने दवा का सेवन किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि फाइलेरिया, जिसको सामान्य भाषा में हाथीपांव कहा जाता है इससे बचाव के लिए सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान का शुभारंभ किया गया है। यह अभियान अगले 15 दिनों तक संचालित किया जाएगा, जिसमें दवा सेवनकर्मी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर एक वर्ष से ऊपर के सभी बच्चों, वयस्कों, वृद्धजनों को अपने सामने दवा खिलाएँगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज मैंने स्वास्थ्यकर्मियों के सामने यह दवा खाई है, उसी तरह सभी को यह दवा स्वास्थ्यकर्मियों के सामने खिलाई जानी है। यह दवा खाना बहुत आवश्यक है क्योंकि विगत कई वर्षों से यह रोग समाज में व्याप्त है। समाज में इसको लेकर कई भ्रांतियां भी बनी हुई हैं। गंदगी भी इसका प्रमुख कारण है। इसका मच्छर गंदगी में ही पनपता है। इस रोग के हो जाने पर शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखते लेकिन पाँच से 15 साल बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। हाथ-पैरों व अन्य अंगों में सूजन बढ़ने लगती है। एक बार यह बीमारी हो जाने पर यह ठीक भी नहीं होती है। इसी को देखते हुए साल में एक बार एमडीए अभियान संचालित किया जाता है। साल में एक बार और लगातार पाँच साल तक दवा खाने से हम सभी इस बीमारी से बच सकते हैं। यह बीमारी जल्द से जल्द विलुप्त हो जाए, इसके लिए सरकार ने वर्ष 2030 तक उन्मूलन का लक्ष्य रखा है।

जिलाधिकारी ने स्कूल व कॉलेज के छात्रों-छात्राओं सहित सभी लोगों से अपील की किया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए घर-घर जाने वाले दवा सेवनकर्मी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहयोग करें और उनके सामने ही फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करें। साथ ही अन्य लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें। यह दवा एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से ग्रसित बीमारी व्यक्तियों को नहीं खिलाई जानी है। नगर पालिका परिषद अध्यक्ष सरिता अग्रवाल ने कहा कि फाइलेरिया से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी साफ-सफाई है। यदि हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखेंगे, घर व आसपास गंदगी व जलजमाव की स्थिति पैदा नहीं होने देंगे तो हम इस बीमारी से बचे रहेंगे। हमेशा स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें। सोते समय हमेशा मच्छरदानी का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत नगर के सभी वार्डों में दवा सेवनकर्मी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता की टीम घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा अपने समक्ष खिलाएगी। इसके अलावा नगर पालिका की टीम साफ-सफाई, फोगिंग, एंटी लार्वा छिड़काव के कार्य में जुटी हुई है। कार्यक्रम में आदर्श इंटर कॉलेज के प्रधानाध्यापक चंद्रदेव राम ने बताया कि यहाँ लगभग 1800 छात्र हैं, जिनको बृहस्पतिवार को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई गई। उन्होंने समस्त छात्रों से अपील की किया कि वह अपने घर के परिजनों व आस पड़ोस के लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें। इस मौके पर कक्षा आठवीं के छात्र आर्यन गुप्ता, ध्रुव कुमार, कृष्ण कुमार, कृष्णा कुमार सहित सभी छात्र दवा खाने के लिए उत्साहित दिखे। आर्यन ने कहा कि हमने फाइलेरिया से बचाव की दवा खा ली है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। इसी तरह हम लगातार पाँच साल तक साल में एक बार दवा जरूर खाएँगे। साथ ही और भी लोगों को प्रेरित करेंगे। कार्यक्रम का संचालन संजय राम ने किया। इस मौके पर एसीएमओ डॉ मनोज कुमार, जिला सूचना अधिकारी, सहायक मलेरिया अधिकारी, फाइलेरिया व मलेरिया निरीक्षक, जिला कार्यक्रम समन्वयक (एनटीईपी), डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई, सीफार के जिला प्रतिनिधि सहित अध्यापक, जिला मलेरिया इकाई का समस्त स्टाफ एवं अन्य अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

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