
ग्राम पंचायतों में टीबी मुक्त भारत पर होगा मंथन, ग्राम प्रधान व सीएचओ निभाएंगे अहम भूमिका
टीबी मुक्त पंचायत व फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल पर सोमवार से शुरू होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
• प्रत्येक टीबी यूनिट/ब्लॉक स्तरीय सीएचसी व पीएचसी से एक-एक अधिकारी
एनटीईपी कर्मी और सहायक विकास अधिकारी को बनाया जायेगा मास्टर ट्रेनर
• ब्लॉक पर ग्राम प्रधान, सचिव और सीएचओ को करेंगे प्रशिक्षित, जांच व उपचार में बनेंगे सहायक
• टीबी मरीज की देखभाल के लिए घर का एक सदस्य अथवा करीबी बनेगा फैमिली केयर गिवर
गाज़ीपुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) और प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत प्रत्येक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और पंचायती राज विभाग के संयुक्त प्रयास से टीबी मुक्त पंचायत बनाने की योजना को धरातल पर उतारने की पहल की जा रही है। टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत ब्लॉक स्तर पर ग्राम पंचायतों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में टीबी के लक्षणों, जांच और इलाज के बारे में चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि पंचायत की विकास योजनाओं में टीबी मुक्त पंचायत की गतिविधियों को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही टीबी मरीज की देखभाल के लिए उसके घर के एक सदस्य अथवा करीबी को फैमिली केयर गिवर भी बनाया जाएगा। इसी को लेकर सोमवार (नौ अक्टूबर) से सीएमओ कार्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसमें हर टीबी यूनिट/ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी-पीएचसी) से एक अधिकारी, जिला क्षय रोग केंद्र के एक एसटीएस, एसटीएलएस या हेल्थ सुपरवाइजर के साथ एक सहायक विकास अधिकारी को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सोमवार व मंगलवार को चलने वाले इस प्रशिक्षण में करीब 35 स्वास्थ्यकर्मियों और 16 सहायक विकास अधिकारियों को प्रशिक्षित कर मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा। यह सभी मास्टर ट्रेनर ब्लॉक पर ग्राम प्रधान, सचिव, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) को प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर पंचायत समिति के अन्य सदस्यों को प्रशिक्षित करेंगे। सीएचओ, आशा- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षण लेने के बाद यह लोग समुदाय को टीबी के लक्षण, रोकथाम, भ्रांतियों को दूर करने, उपचार, जांच और उपलब्ध सुविधाओं समेत टीबी रोगियों के लिए सरकार की ओर से प्रदान किये जाने वाले विभिन्न लाभों के बारे में जागरूक करेंगे। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक गांव को टीबी मुक्त करने के लिए जांच और उपचार की व्यवस्था को दुरुस्त करना तथा एक वर्ष में प्रत्येक 1000 की आबादी पर 30 संभावित मरीज खोज कर जांच करना है। पिछले तीन सालों में जिन क्षेत्रों में अधिक या कम टीबी मरीज मिले हैं उनकी सूची ग्राम और वार्ड वार तैयार करेंगे। उनमें से हर माह 10-10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया जायेगा। इसके बाद वहाँ विशेष ध्यान देकर स्क्रीनिंग, जांच, उपचार, परामर्श, पोषण व भावनात्मक सहयोग प्रदान कर जल्द से जल्द टीबी मुक्त पंचायत के रूप में घोषित किया जाएगा। इस कार्य में ग्राम प्रधान, सचिव व पंचायत सहायक के साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) सहित ग्राम प्रधान, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, एनटीईपी कर्मी व अन्य स्वास्थ्यकर्मी सहयोग करेंगे।जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि हर टीबी यूनिट पर तैयार होने वाली तीन मास्टर ट्रेनर्स (प्रशिक्षकों) की यह टीम ग्राम प्रधान, सचिव और सीएचओ को प्रशिक्षण देगी। सभी मिलकर क्षय रोगियों की जल्दी पहचान और उपचार के लिए काम करेंगे, जिससे टीबी मुक्त पंचायत का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता संभावित टीबी मरीजों की जानकारी दर्ज करेंगी और इसकी सूचना सीएचओ को देंगी। मरीजों को दवा उपलब्ध कराएंगी। वह बैंक खाते का विवरण दर्ज कराएंगी, जिससे इलाज के दौरान टीबी रोगियों को सही पोषण के लिए हर माह निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये मिल सकें।डॉ मिथलेश ने बताया कि अब तक टीबी का उपचार ले रहे मरीजों के लिए एक ट्रीटमेंट सपोर्टर नियुक्त किया जाता था, जो कि आशा कार्यकर्ता होती थी। लेकिन अब मरीज का ध्यान रखने के लिए उसी के परिवार से अथवा उसके किसी नजदीकी व्यक्ति को केयर गिवर का दायित्व सौंपा जायेगा। यह पहल टीबी के शुरुआती लक्षणों की पहचान करके उन्हें रोकने और बीमारी के दौरान समय पर रेफरल द्वारा रोगी और उनके परिवार के सदस्यों की समुचित देखभाल और सहायता सुनिश्चित करेगी। इससे उपचार, उचित पोषण और उपचार के मानकों का पालन करने में मदद मिलेगी और टीबी से ग्रसित व्यक्तियों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा।
