सीएमओ कार्यालय में स्वास्थ्यकर्मियों को मिला प्रशिक्षण

टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने व ज्यादा से ज्यादा स्क्रीनिंग, जांच करने पर दिया जाए ज़ोर

सीएमओ कार्यालय में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को मिला प्रशिक्षण

नोटिफिकेशन के साथ ही टीबी रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार पूरा करना भी आवश्यक

वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना हम सभी की की प्राथमिकता



गाज़ीपुर। जनपद के गोरा बाजार स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में बुधवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत समस्त प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के स्वास्थ्य कर्मियों और एनटीईपी के कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल के नेतृत्व में सीएचसी व पीएचसी के लैब टेकनीशियन (एलटी), लैब असिस्टेंट (एलए) और कोविड-19 एलटी समेत एनटीईपी के सभी कर्मचारियों को टीबी नोफिकेशन बढ़ाने और अधिक से स्क्रीनिंग व जांच करते हुए प्रिविलेन्स ऑफ टीबी रिएक्टिव (पीटीआर) के लिए प्रशिक्षण दिया गया। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ मनोज कुमार सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार सिंह और डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ वीजे विनोद ने समस्त 60 स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया। डीपीसी डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि शासन समेत जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश के क्रम में जनपद में टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। इसके लिए समय समय पर अभियान और विशेष शिविर लगाकर लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। एनटीईपी के सभी कर्मी, सीएचसी-पीएचसी के स्वास्थ्यकर्मियों और स्वास्थ्यकर्ताओं को लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्तमान में जनपद में टीबी का नोटिफिकेशन रेट लक्ष्य के सापेक्ष 74 प्रतिशत चल रहा है जिसको वर्ष के अंत तक शत-प्रतिशत पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नोटिफिकेशन अधिक होने के साथ ही टीबी रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार पूरा करना भी आवश्यक है। वर्तमान में जनपद का टीबी सक्सेस रेट 88 प्रतिशत चल रहा है। टीबी रोगियों को लगातार निक्षय मित्रों द्वारा गोद लेकर उनके उपचार व पोषण में मदद की जा रही है। साथ ही उन्हें भावनात्मक सहयोग भी दिया जा रहा है। वर्तमान में जनपद में 235 निक्षय मित्रों ने 402 मरीजों को गोद लिया है, जिनका उपचार चल रहा है।



दवा का पूरा कोर्स जरूरी

डॉ मिथलेश ने बताया कि यदि टीबी के लक्षणों के आधार इसकी पहचान शुरुआती दिनों में हो जाए तो मरीज छह माह के सम्पूर्ण उपचार से ठीक हो जाता है। टीबी का इलाज अधूरा छोड़ने पर यह गंभीर रूप लेकर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के रूप में सामने आता है। टीबी के मरीज ड्रग रेजिस्टेंट न हों इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला टीबी नियंत्रण इकाई मरीजों का नियमित फॉलोअप कर रही है। टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये पोषण भत्ते के रूप में सीधे मरीज के खाते में भेजे जाते हैं।

वर्ष 2025 तक प्राप्त करना है लक्ष्य

डब्ल्यूएचओ के डॉ वीजे विनोद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व स्तर पर निर्धारित समय सीमा से पांच साल पहले यानि साल 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन के लिए एक अभियान शुरू किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, टीबी के उन्मूलन का मतलब होगा कि वर्ष 2025 तक देश की एक लाख की आबादी पर टीबी के अधिक से अधिक 44 मामले से अधिक न हों। डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार वर्तमान में देश की एक लाख की आबादी पर 199 टीबी रोगी मौजूद हैं जिसको वर्ष 2025 तक बेहद कम कर लक्ष्य को प्राप्त करना हम सभी की प्राथमिकता है।

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