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टीकाकरण के लिए चलेगा सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0

0 से 5 साल के बच्चे एवं गर्भवती महिलाओं के छूटे हुए टीकाकरण के लिए चलेगा सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0

सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 अगस्त सितंबर अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में चलेगा



ग़ाज़ीपुर। सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 जिसके अंतर्गत नियमित टीकाकरण जिसमें 0 से 5 साल के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को लेकर कार्यक्रम 3 चरणों में चलाया जाना है। जिसको लेकर गुरुवार को एक वर्कशॉप का आयोजन बंशीबाजार स्थित एक होटल में किया गया। जिसमें जनपद के सभी ब्लाक के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक, चिकित्सा अधिकारी, बीपीएम, बीसीपीएम, एचईओ ,एआरओ शामिल रहे। इन सभी लोगों को डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ विनय शंकर और जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ सुजीत कुमार मिश्रा के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ सुजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रत्येक बुधवार और शनिवार को विभाग के द्वारा निशुल्क टीकाकरण का कार्यक्रम चलाया जाता है। लेकिन किन्ही कारणों से कई बच्चे व गर्भवती महिला टीकाकरण से छूट जाती हैं। इसी को लेकर सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में चलाया जाएगा। जिसमें आशा कार्यकर्ता के द्वारा घर-घर जाकर सर्वे किया जाएगा और टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं की जानकारी ई कवच पोर्टल पर अपलोड करेंगी।

उसके बाद एएनएम के द्वारा टीकाकरण सत्र लगाकर छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण करेंगी। डब्ल्यूएचओ के एसएमओ विनय शंकर ने बताया कि नवजात शिशुओं और बच्चों में होने वाली जानलेवा बीमारियों पोलियो, खसरा, रूबेला, रोटा वायरस, डिप्थीरिया, टेटनस, काली खांसी आदि से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाले इस मिशन का उद्देश्य है कि सभी बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करना है। यदि बच्चों का टीकाकरण समय से किया जाए तो बच्चे जीवन भर स्वस्थ और खुशहाल रहेंगे। सघन मिशन इंद्रधनुष अभियान में दो तरह के बच्चों को शामिल किया गया था। पहला लेफ्टआउट जिन बच्चों को एक भी टीका नहीं लगा है व दूसरा ड्राप आउट, इसमें ऐसे बच्चे शामिल किए गए जिन्होंने एक या दो टीके लगवाने के बाद बीच में अन्य टीके नहीं लगवाए। उन्होंने बताया कि इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाले इस मिशन का उद्देश्य है कि सभी बच्चों का टीकाकरण करना है जिन्हें टीके नहीं लगे हैं।
वर्कशॉप में एसीएमओ डॉ मनोज सिंह ,चाई के मणिशंकर ,यूनिसेफ से बलवंत ,यूएनडीपी के प्रवीण उपाध्याय के साथ अन्य लोग भी मौजूद रहे।

शुरू हुआ जनसंख्या स्थिरता नियंत्रण पखवाड़ा




11 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगा जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा



ग़ाज़ीपुर। जनसंख्या को स्थिर करने के लिए शासन और स्वास्थ्य विभाग यह द्वारा लगातार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत जनसंख्या को स्थिर करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने के साथ ही लाभार्थियों तक संसाधन उपलब्ध कराने की स्वास्थ्य विभाग की योजना है। साथ ही जन जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाना है। जिसको लेकर मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें समस्त ब्लॉकों के बीसीपीएम ,बीपीएम, एचईओ के साथ अर्बन की आशा और एएनएम मौजूद रहे। वही इस गोष्टी के पश्चात अर्बन की आशा और एएनएम के द्वारा एक जागरूकता रैली भी निकाला गया। साथ ही सारथी वाहन को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा हरी झंडी दिखाकर जन जागरूकता हेतु रवाना किया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव में हमे यह संकल्प लेना है कि परिवार नियोजन को बनाएंगे खुशियों का विकल्प । इसी थीम को लेकर इस बार जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जाना है। जिसका मुख्य उद्देश्य आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर परिवार नियोजन खुशहाली और समृद्धि के रूप में अपनाएं तथा जनसाधारण को सीमित परिवार के बारे में जागरूक बनाने के साथ-साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति प्रदान किया जाना है।



उन्होंने बताया कि इस पखवाड़े के दौरान आमजन को जागरूक करते हुए उन्हें परिवार नियोजन के संसाधन प्रदान किया जाए। ताकि शासन और विभाग की मंशा पूरी हो सके। साथ ही उन्होंने बताया कि 27 जून से 10 जुलाई तक दंपत्ति संपर्क पखवाड़ा मनाया गया । जिसमें योग दंपत्ति से आशा एएनएम के द्वारा संपर्क कर परिवार नियोजन के लिए मोटिवेशन किया गया था। परिवार कल्याण विशेषज्ञ तबरेज अंसारी ने बताया कि इस अभियान में सहभागिता एवं सहयोग के लिए समस्त ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों के साथ समस्त चिकित्सा अधिकारियों, स्टाफ नर्स एवं आशा को शामिल किया जाएगा। साथ ही जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा के दौरान प्रत्येक दिवस के नसबंदी केस एवं अन्य अस्थाई गर्भनिरोधक संसाधनों की सूचना भारत सरकार को अनिवार्य रूप से प्रेषित किया जाना है। इस कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ जे एन सिंह, डॉ एस के मिश्रा ,डॉ मनोज सिंह, डॉ स्वतंत्र सिंह ,डीपीएम प्रभुनाथ, बीसीपीएम अनिल वर्मा ,अनिल चौबे ,राघवेंद्र सिंह के साथ अन्य सहयोगी संस्था के लोग शामिल रहे।

जागरूकता रैली को सीएमओ ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना


गाजीपुर। जनसंख्या स्थिरता के लिए छोटा और सुखी परिवार का होना बहुत जरूरी है। इसी उद्देश्य से विश्व जनसंख्या दिवस पर मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से जन जागरूकता रैली व सारथी वाहन निकाले गए। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने रैली और सारथी वाहन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। साथ सीएमओ कार्यालय सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें जनसंख्या स्थिरता के महत्व व फायदे पर विस्तृत चर्चा हुई।   सीएमओ ने कहा कि आज से जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का दूसरा चरण सेवा प्रदायगी पखवाड़ा शुरू हो चुका है जो 24 जुलाई तक चलेगा। पखवाड़े के तहत नियत सेवा दिवस का आयोजन जिला महिला चिकित्सालय सहित सभी 16 ब्लॉक स्तरीय सीएचसी-पीएचसी पर किया जाएगा। इसके लिए कई सर्जन रोस्टर वार तैनात किए गए हैं जो पुरुष व महिला नसबंदी की सेवाएं प्रदान करेंगे। इसके अलावा सभी सरकारी चिकित्सालयों, नगरीय व ग्रामीण सीएचसी-पीएचसी, आयुष्मान भारत दृ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर बास्केट ऑफ च्वाइस के माध्यम से अन्य साधन जैसे अंतरा इंजेक्शन, माला एन, छाया, कंडोम, पीपीआईयूसीडी, आईयूसीडी की सेवाएं प्रदान की जाएंगी। परिवार नियोजन किट (कंडोम बॉक्स) में कंडोम, माला एन व आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली की उपलब्धता नियमित बनी रहे। सारथी वाहन ऑडियो क्लिप एवं पम्पलेट के माध्यम से समुदाय को जागरूक करेंगे। नगरीय क्षेत्र के लिए दो और ग्रामीण क्षेत्र के 64 सारथी वाहन 14 जुलाई तक संचालित किए जाएंगे।

संगोष्ठी में मौजूद एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हुये कहा कि इस पखवाड़े में घर-घर जाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें और इच्छुक दंपत्ति व लाभार्थियों को परिवार नियोजन की सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा सामुदाय के अंतिम व्यक्ति को सभी स्वास्थ्य सेवाओं का भी लाभ दिलाएँ। सीएमओ ने कहा कि जनसंख्या स्थिरता को बढ़ावा देने और प्रजनन दर को कम करने में स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है। एसीएमओ व परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि अभियान के सफल संचालन के लिए सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को परिवार नियोजन सेवाओं के लिए प्रशिक्षित किया गया है जिससे वह समुदाय, लक्षित लाभर्थियों व दंपत्ति को आवश्यक परामर्श दे सकें और सेवाओं के लिए प्रेरित कर सकें। इस अभियान के माध्यम से जनसाधारण को सीमित व खुशहाल परिवार के प्रति जागरूक करने के साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति देने के लिए प्रेरित करेंगे। परिवार कल्याण कार्यक्रम को रफ्तार देने के लिए सभी को जिम्मेदारी निभानी होगी। आशीर्वाद अभियान तहत स्वास्थ्य उपकेंद्र पर नवविवाहित दंपत्तियों को परिवार नियोजन शगुन किट का वितरण भी किया गया। समारोह में एसीएमओ डॉ एके मिश्रा, एसीएमओ डॉ जेएन सिंह, डीपीएम प्रभुनाथ, डीसीपीएम अनिल कुमार वर्मा, यूपीटीएसयू से जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ तबरेज अंसारी, गुड्डू केसरी, अबू बकर खान एवं अन्य अधिकारी व स्टाफ उपस्थित रहा।

लक्षण दिखाई दे तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर करें संपर्क

गाजीपुर।  मुख्य चिकित्साधिकरी ने जूनोटिक रोग क्या होता है के बारे में बताया। कहा कि मनुष्यों एवं जानवरों के बीच फैलने वाले संक्रामक रोगों को जूनोटिक रोग कहा जाता है। संक्रमित जानवर से सम्पर्क में आने से बीमारी होती है जिसमें कुत्ता, बिल्ली, सियार (कारनीवोरस), चूहा, चमगादड़ के काटने से रैबीज  रोग उत्पन्न होता है। इसीप्रकार सुअर से जे0ई0स्वाइन फ्लू, डैबलिंग बतख एवं मुर्गा, जलीय पक्षी से बर्ड फ्लू, चमगादड़ से इबोला, निपाह, चमगादड़ व बिल्ली के काटने से सार्स एवं बन्दर, गिलहरी के काटने से मंकीपाक्स होता है। जूनोटिक रोगो के लक्ष्य जिसमें त्वचा संक्रमण, फ्लू, उदर सम्बन्धित समस्या, मतली, उल्टी, लिम्फ नोड में सूजन एवं सांस लेने में कठिनाई आदि होने पर इन बिमारियों के लक्ष्ण में आ जाते है। इन रोग का प्रसार संक्रमित जानवर की लार, रक्त, मूत्र, श्लेष्मा, श्वसन मार्ग, दूषित मांस एवं उसके पदार्थ, मल या शरीर के अन्य तरल पदार्थो के संपर्क में आने से होता है। उच्च जोखिम वर्ग में कैन्सर रोगी, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाए एवं कम रोग प्रतिरोध क्षमता वाले व्यक्ति आते है। जूनोटिक रोगोे संक्रमित जानवरों से बचाव हेतु जिसमें साफ-सफाई, उत्सर्जित मलमूत्र का उचित निस्तारण, दूषित मांस तथा अन्य उत्पादों के सेवन से परहेज, पालतु पशुओं का नियमित टीकाकरण एवं पशु चिकित्सकों से पालतु पशुओं की नियतित जॉच होनी चाहिए। उन्होने बताया कि यदि जूनोटिक बीमारी का लक्षण पायी जाती है तो तत्काल नजदीक के स्वास्थ्य इकाई पर अवश्य परामर्श लें।

सीएमओ के निरीक्षण में कर्मचारी मिले अनुपस्थित

जिला क्षय रोग विभाग का मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने किया निरीक्षण 2 कर्मचारी मिले अनुपस्थित



ग़ाज़ीपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी का स्वास्थ्य केंद्र और विभागों में आकस्मिक निरीक्षण का क्रम लगातार जारी है। इसी के क्रम में गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल जिला अस्पताल स्थित क्षय रोग विभाग में दोपहर करीब 1:30 बजे औचक निरीक्षण किया। कुल 26 अधिकारी और कर्मचारियों के सापेक्ष 24 लोग उपस्थित मिले। वही दो कर्मचारी जिसमें से एक पिछले 2 दिनों से अनुपस्थित रहे और एक अपनी उपस्थिति पंजिका में उपस्थिति दर्ज करा कर अनुपस्थित पाए गए इन लोगों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए वेतन तत्काल प्रभाव से अवरुद्ध करने का निर्देश जिला क्षय रोग अधिकारी को दिए। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज सिंह ने बताया कि दोपहर करीब 1:30 बजे मुख्य चिकित्सा अधिकारी आकस्मिक निरीक्षण के लिए उनके कार्यालय पहुंचे। जहां पर 2 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए हैं। जिसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने तत्काल वेतन रोकने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एसटीएस को निर्देश दिया है कि उनके क्षेत्र के अंतर्गत समस्त क्षय रोगियों का डाटा बैंक खाता पीएफएमएस पोर्टल पर अपलोड करने के साथ डीबीटी के माध्यम से शत प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित किया जाए। इस दौरान महेश सिंह एलटी से ट्रूनेट मशीन से जांच के बारे में जानकारी लिया तो उसने बताया कि 66 लोगों की इस मशीन से जांच की गई है। साथ ही सुशील कुमार वर्मा के द्वारा बताया गया कि जनपद में जिला क्षय रोग केंद्र में सीआरटीबी के कुल रोगियों की संख्या 131 है। जिसमें से 130 क्षय रोगियों का भुगतान किया जा चुका है।

कई कर्मचारियों का रोका वेतन, दिया निर्देश

नवागत मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित अन्य ने किया स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण, 2 दर्जन से ऊपर कर्मचारी मिले अनुपस्थित

ग़ाज़ीपुर। नवागत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद स्वास्थ्य केंद्रों के निरीक्षण पर जोर दे दिया है। जिस के क्रम में 1 दिन पूर्व रेवतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया। जहां पर करीब 17 लोग अनुपस्थित पाए गए थे । वही बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बिरनो और मरदह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया तो दूसरी तरफ उनके निर्देश पर डिप्टी सीएमओ डॉ एस के मिश्रा ने सैदपुर, एडिशनल सीएमओ डॉ जे एन सिंह ने देवकली और डीपीएम प्रभुनाथ ने सादात में निरीक्षण किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी सुबह 9:15 पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरनो पहुंचे। जहां पर कुल 39 अधिकारी और कर्मचारियों के सापेक्ष 22 लोग उपस्थित पाए गए। जिसको लेकर कार्यवाही करते हुए अनुपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकते हुए प्रभारी चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरनो को निर्देशित किया कि संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों से स्पष्टीकरण प्राप्त कर अपनी आंख्या सहित स्पष्टीकरण दे।

इसके पश्चात मुख्य चिकित्साधिकारी मरदह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी पहुंचे जहां पर उनके पहुंचने पर सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित पाए गए। इसके पश्चात सावन के मद्देनजर महाहर धाम पहुंचे जहां पर उन्होंने वहां पर लगने वाले स्वास्थ्य कैम्प का निरीक्षण किया। डिप्टी सीएमओ डॉ एस के मिश्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैदपर का आकस्मिक निरीक्षण किए। कुल 10 अधिकारी और कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए। जिनका वेतन रोकते हुए स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सादात एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिर्जापुर का निरीक्षण जिला कार्यक्रम प्रबंधक प्रभुनाथ ने किया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सादात पर माया सोनकर डेंटल हाइजीनिस्ट एवं अनुपम सिंह एक्सरे टेक्निशियन अनुपस्थित मिले। इसके अलावा डॉ सुरेंद्र कुमार अवकाश पर थे । लेबर रूम बंद मिला इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिर्जापुर का निरीक्षण किया। वहां पर अंजनी कुमार तिवारी वार्ड बॉय अनुपस्थित मिले तथा आलोक कुमार यादव नर्स मेंटर जो पिछले 1 जुलाई से अनुपस्थित चल रहे हैं।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवकली के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवकली और नंदगंज तथा इसके अंतर्गत आने वाले उप केंद्रों का निरीक्षण डॉ जे एन सिंह एसीएमओ के द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नंदगंज पर सुबह करीब 9 बजे 5 कर्मचारी अनुपस्थित मिले । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवकली पर सुबह 9:20 पर 10 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। इसके अलावा 9.40 पर उप केंद्र एवं हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर देवकली पर आर आई सत्र के दौरान निरीक्षण किया गया जहां पर सीएचओ एवं आंगनबाड़ी अनुपस्थित मिली। जिनका वेतन रोकते हुए स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया

नवागत सीएमओ ने किया पदभार ग्रहण, हुआ स्वागत

डॉ देश दीपक पाल ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी का किया पदभार ग्रहण

ग़ाज़ीपुर। शासन के निर्देश पर 28 जून को प्रदेश के कई जनपदों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी का ट्रांसफर हुआ था। जिस के क्रम में गाजीपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह का तबादला एडी आजमगढ़ के पद पर हुआ था। हरदोई में जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ देश दीपक पाल गाजीपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी बनाए गए थे। सोमवार को नवागत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल ने कार्यालय में अपना पदभार ग्रहण किया। इस मौके पर उनका स्वागत संविदा कर्मचारी एसोसिएशन, मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन,, फार्मासिस्ट एसोसिएशन के साथ ही सभी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा किया गया।

बरसात के मौसम में रोगों से बचने के लिए करें ये काम

गाजीपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ हरगोविंद सिंह ने शनिवार को सीएमओ कार्यालय परिसर से संचारी रोग नियंत्रण अभियान का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने जन जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली में अधिकारी सहित स्वास्थ्यकर्मियों व आशा कार्यकर्ताओं ने संचारी रोगों को नियंत्रित करने और उनसे बचाव के लिए जनमानस को संदेश दिये। सीएमओ डॉ सिंह ने कहा कि बरसात का मौसम अपने साथ कई बीमारियाँ लेकर आता है। इस माह के दौरान सबसे ज्यादा जोर साफ-सफाई पर रहेगा, क्योंकि गन्दगी और जलभराव से मच्छर और तमाम तरह के कीट व वेक्टर पनपते हैं जो संचारी यानी संक्रामक रोंगों का कारण बनते हैं। संक्रमण के कारण डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, कालाजार जैसे संचारी रोग उत्पन्न होते हैं। यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं। इसको ध्यान में रखते हुए जुलाई माह को संचारी रोग नियंत्रण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस अभियान के सफल संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग सहित 14 विभागों से समन्वय स्थापित कर मच्छर जनित रोगों पर नियंत्रण व प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। संचारी रोगों की रोकथाम के लिए सभी विभागों को एक साथ होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि शहर में नगर पालिका के कर्मी प्रतिदिन में छिड़काव और फोगिंग का कार्य करेंगे। ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत राज विभाग की ओर से एंटी लार्वा छिड़काव आदि स्रोत विनष्टीकरण का कार्य किया जाएगा जिससे जनपद में संचारी रोगों को नियंत्रित किया जा सके।

एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ जेएन सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग समेत सभी विभागों ने अपनी कार्ययोजना तैयार कर ली है। संचारी रोगों पर काबू पाने के लिए पूरे माह में जन जागरूकता कार्यक्रमों, गतिविधियों व स्रोत विनाष्टीकरण का कार्य किया जायेगा। अभियान में सर्दी, बुखार, खांसी वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनकी जांच कराई जाएगी। पॉज़िटिव आने पर तुरंत उपचार पर रखा जाएगा। जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार ने बताया कि इस माह के दौरान डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, कालाजार आदि संचारी व संक्रामक बीमारियों पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए लोगों को अपने घरों में साफ-सफाई, कचरा निस्तारण, जलभराव रोकने, शुद्ध पेयजल की उपलब्धता आदि पर जागरूक किया जायेगा। उन्होंने कहा कि संचारी रोगों से बचाव के लिए बुजुर्गाे, गर्भवती महिलाओं तथा खासकर बच्चों के मामले में ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। दरअसल बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है लिहाजा बरसात के मौसम में बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं। शरीर ढककर रखें। बासी खाना न खाएं। स्वच्छ व साफ जल पिएं। मौसमी फलों का सेवन व स्वस्थ व संतुलित आहार लें। जंक फ़ूड खाने से परहेज करें। रात में सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। गन्दगी वाली जगह पर जाने से रोकें।

इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आनंद मिश्रा, डीआईओएस डॉ आलोक नाथ तिवारी, डीपीओ दिलीप कुमार पाण्डेय, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके रावत, एसीएमओ डॉ जेएन सिंह, डॉ मनोज सिंह, डॉ सुजीत कुमार मिश्रा, डीएमओ मनोज कुमार, डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉ विनय शंकर, यूनिसेफ क्षेत्रीय समन्वयक प्रदीप विश्वकर्मा एवं नगर पालिका के कर्मी फोगिंग व छिड़काव मशीन के साथ मौजूद रहे।

इन लोगों को छोड़कर सबको करना है दवा का सेवन

गाजीपुर। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम 10 अगस्त से शुरू होकर 28 अगस्त तक चलाया जाएगा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए शासन एवं स्वास्थ्य विभाग काफी सक्रिय है और तैयारियों में जुटे हैं। इसी क्रम में बुधवार को मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) संतोष कुमार वैश्य की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय अंतर्विभागीय समन्वय बैठक राइफल क्लब के सभागार कक्ष में आयोजित हुई। सीडीओ ने कहा कि राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जनपद के समस्त ब्लॉकों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा वितरण (एमडीए) कार्यक्रम 10 अगस्त से संचालित किया जाएगा। इसमें आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन अपने समक्ष कराएंगी। उन्होंने अपील की है कि फाइलेरिया से बचने के लिए हर साल चलने वाले एमडीए राउंड के दौरान दवा का सेवन अवश्य करें। इस दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। सीडीओ ने सभी विभागों को निर्देशित किया कि अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए प्रत्येक स्तर पर प्रयास करें। प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इस एमडीए राउंड में जनपद की करीब 85 प्रतिशत लक्षित आबादी को फाइलेरिया बीमारी से बचाव के लिए उम्र के अनुसार एमडीए दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के समक्ष कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस दवा का सेवन दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। लगातार पांच वर्षों तक साल में एक बार दवा खाने से इस बीमारी के होने से रोकने या नियंत्रित करने में मदद मिलती है। एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ जेएन सिंह ने बताया कि अभियान शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

स्वास्थ्यकर्मियों, शिक्षक, ग्राम प्रधान, नगर पालिका व नगर पंचायत कर्मियों को शुक्रवार से प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एमडीए की दवा फाइलेरिया के परजीवियों को नष्ट करने के साथ पेट के अन्य कीड़ों व समस्याओं को दूर करने में भी मदद करती हैं। इसलिए सभी लोग इस दवा का सेवन करें जिससे वह इस बीमारी से बच सकें। दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को इन दवाओं का सेवन नहीं करना है। दवा को चबाकर खाना है। खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है। जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार ने बताया कि एमडीए दवा का सेवन कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग सहित आईसीडीएस, पंचायती राज व ग्राम विकास, जिला विधालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, आपूर्ति, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, आजीविका, आईएमए, सूचना अधिकारी आदि का सहयोग लिया जाएगा। साथ ही डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, पाथ, पीसीआई, सीफार, चाई व अन्य स्थानीय संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा। डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह बीमारी मुख्यतः व्यक्ति के शरीर के चार अंगों जैसे पैर, हाथ, अंडकोष और महिलाओं का स्तन को प्रभावित करती है। शुरुआत में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं देते हैं। इसके लक्षण दिखने में 10 से 15 साल लगते हैं। इसलिए सभी को फाइलेरिया की दवा खाना बेहद जरूरी है। जिससे उचित समय पर ही इसकी रोकथाम की जा सके। सहायक मलेरिया अधिकारी राम सिंह ने बताया कि फाइलेरिया की जाँच रात के समय होती है। जांच के लिए रक्त की स्लाइड रात में बनायी जाती है, क्योंकि इसके परजीवी दिन के समय रक्त में सुप्तावस्था में होते हैं और रात के समय सक्रिय हो जाते हैं। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (पुरुष व महिला), समस्त एसीएमओ, अंधता निवारण, क्षय रोग, कुष्ठ रोग, मलेरिया व सर्विलान्स अधिकारी, जिला आपूर्ति, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, सूचना, बेसिक शिक्षा व अन्य विभागों के अधिकारी, आईएमए अध्यक्ष, डीपीएम, सहायक मलेरिया अधिकारी सहित यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई, सीफार, चाई संस्था के जिला प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

गूंजी किलकारी

गूंजी बेटी की किलकारी

ग़ाज़ीपुर। 102 और 108 एंबुलेंस उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में चलाए जाने वाली महत्वकांक्षी योजना है। जिसके माध्यम से आमजन को निशुल्क सुविधा दी जाती है। गुरुवार की देर शाम बिरनो ब्लाक के ग्राम मदनपुर से एक फोन कॉल आया और बताया गया कि गर्भवती को प्रसव पीड़ा है। और उसके बाद बताए गए लोकेशन पर इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन व पायलट क्विक रिस्पांस करते हुए पहुंचे। गर्भवती को लेकर स्वास्थ्य केंद्र के लिए चलें लेकिन अधिक प्रसव पीड़ा होने के कारण रास्ते में ही एंबुलेंस को रोककर आशा कार्यकर्ता और ईएमटी के सहयोग से एंबुलेंस में प्रसव कराया गया। जहां पर गर्भवती ने कन्या को जन्म दिया। 102 और 108 एंबुलेंस के प्रभारी आशुतोष मिश्रा ने बताया कि गुरुवार की देर शाम करीब 6 बजे के आसपास गर्भवती के प्रसव पीड़ा को लेकर एक फोन काल आया। उसके बाद बताए गए लोकेशन पर ईमरजैंसी मेडिकल टेक्निशियन अनिल यादव और एंबुलेंस पायलट मुन्ना यादव बताए गए लोकेशन पर पहुंचे। जहां पर रितु यादव पत्नी योगेंद्र यादव उम्र 29 को 102 एंबुलेंस से स्वास्थ्य केंद्र के लिए लेकर चले। लेकिन रास्ते में प्रसव पीड़ा बढ़ जाने के कारण एंबुलेंस को रास्ते में ही रोककर आशा कार्यकर्ता रंजना और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन अनिल यादव के साथ परिवार की महिलाओं के सहयोग से एंबुलेंस के अंदर कराया गया। महिला ने कन्या को जन्म दिया इसके बाद एंबुलेंस को पारा उप उप केंद्र पर जच्चा बच्चा का मेडिकल जांच कराया गया। और उसके पश्चात जच्चा-बच्चा को उसके घर पर छोड़ा गया।