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कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए हुई बैठक

कुष्ठ रोगियों की खोज एवं उनके इलाज को लेकर संपन्न हुई समीक्षा बैठक

गाजीपुर। कुष्ठ रोग लाइलाज नहीं बल्कि इसका इलाज है। इसी को लेकर कुष्ठ रोग नियंत्रण अभियान के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में शनिवार को कुष्ठ रोग नियंत्रण अभियान की समीक्षा बैठक प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस समीक्षा बैठक में जनपद के सभी ब्लॉकों के एनएमएम व एनएमएस मौजूद रहे। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ एसडी वर्मा ने बताया कि कुष्ठ रोग को लेकर शासन के द्वारा कुष्ठ रोग नियंत्रण अभियान चलाया जा रहा है। जिसको लेकर सभी ब्लाकों में एनएमए और एनएमएस को कुष्ठ रोगियों के खोज के साथ ही उनकी पहचान कर उनका इलाज कराने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।। इसी को लेकर सभी ब्लॉकों में इस अभियान को लेकर क्या स्थिति है। किन ब्लॉकों में क्या कमी है उन कमियों को सुनकर उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है। इन्हीं सब बातों को लेकर सभी ब्लॉकों से आए हुए एनएमए और एनएमएस का समीक्षा बैठक किया गया।इस दौरान कुष्ठ रोग पर आधारित एक लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया जिसके माध्यम से रोगियों को आप कैसे पहचान और उनका इलाज किया जाए इसके बारे में बताया गया। उन्होंने बताया कि लेप्रोसी के मरीज़ों को अक्सर छुआछूत, कोढ़ और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। जागरुकता के अभाव की वजह से लोगों को लगता है कि यह छूने से फैलता है। जबकि ये बिल्कुल ग़लत है, संक्रामक बीमारी होने के बावजूद यह छूने या हाथ मिलाने, साथ में उठने-बैठने या कुछ समय के लिए साथ रहने से नहीं फैलती। हालांकि, यह संभव है कि लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक रहने से परिवार के सदस्य इसकी चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, नियमित रूप से इसका चेकअप और बचाव करने से इससे बचा जा सकता है। लेप्रोसी या कुष्ठ रोग एक जीर्ण संक्रमण है, जिसका असर व्यक्ति की त्वचा, आंखों, श्वसन तंत्र एवं परिधीय तंत्रिकाओं पर पड़ता है। यह मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होता है। हालांकि यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन मरीज के साथ लगातार संपर्क में रहने से संक्रमण हो सकता है। लेप्रोसी पीड़ित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके श्वसन तंत्र से निकलने वाले पानी की बूंदों में लेप्रे बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया हवा के साथ मिलकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर इन बैक्टीरिया को पनपने में करीब 4-5 साल लग जाते हैं। कई मामलों में बैक्टीरिया को पनपने (इन्क्यूबेशन) में 20 साल तक लग जाते हैं। प्राइमरी स्टेज पर लेप्रोसी के लक्षणों की अनदेखी करने से व्यक्ति अपंगता का शिकार हो सकता हैं। यह संक्रामक है, पर यह लोगों को छूने, साथ खाना खाने या रहने से नहीं फैलता है। लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से इससे संक्रमण हो सकता है, पर मरीज़ को यदि नियमित रूप से दवा दी जाए, तो इसकी आशंका भी नहीं रहती है। समीक्षा बैठक के कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ जे एन सिंह, डॉ मनोज सिंह ,जिला मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार ,जिला सुपरवाइजर जेपी सिंह, श्याम बिहारी, अभय कुमार के साथ ही सभी ब्लाकों के यह एनएमए और एनएमएस मौजूद रहे।

बच्चों के चिन्हांकन के लिए आयोजित हुआ कार्यशाला

सैम मैम बच्चों के चिन्हांकन के लिए आयोजित हुआ कार्यशाला

गाजीपुर। जनपद में कुपोषण को खत्म करने के लिए लगातार बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के साथ ही सहयोगी विभागों के द्वारा कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को कासिमाबाद ब्लाक में सैम मैम बच्चों के चिन्हांकन, पंजीकरण एवं प्रबंधन के साथ ही सैम बच्चों के एनआरसी के संदर्भन को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें ब्लॉक की सभी सीएचओ और मुख्य सेविका उपस्थित रही। सीडीपीओ राजेश सिंह ने बताया कि जिला पोषण समिति की बैठक 29 नवंबर को जिलाधकारी आर्यका आखौरी की अध्यक्षता में बैठक किया गया था। जिसमें सैम मैम बच्चों के चिन्हांकन और प्रबंधन की समुचित व्यवस्था ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर नहीं किया जा रहा है। जिसको लेकर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया था कि एएनएम को चिकित्सा प्रबंधन के मानकों की जानकारी का अभाव है। इसी को लेकर इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। कार्यशाला के माध्यम से एएनएम,ब्लॉक स्तरीय अधिकारी तथा बाल विकास के मुख्य सेविका, बाल विकास परियोजना अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। ताकि सामुदायिक स्तर पर सैम मैम बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण प्रबंधन के कार्यों में प्रगति लाया जा सके। ट्रेनिंग यूनिसेफ के मंडल कोर्डिनेटर अंजनी कुमार राय व जोनल कोर्डिनेटर डा मनोज कुमार द्वारा दिया गया। कार्यशाला में डॉ नवीन कुमार सिंह, सीडीपीओ बाराचवर प्रशांत सिंह, एचईओ पंकज गुप्ता, बीपीएम दिनेश त्रिपाठी ,बीपीएम मरदह प्रेम प्रकाश राय, चिकित्सा अधीक्षक मरदह डॉ अशोक सिंह आदि मौजूद रहे।

किशोरियों का किया गया स्वास्थ्य परीक्षण

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 61 किशोरियों का किया गया स्वास्थ्य परीक्षण

गाजीपुर। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम जिसके अंतर्गत किशोर और किशोरियों को उनके शरीर में होने वाले परिवर्तन के साथ ही साथ मानसिक एवं व्यवहारिक रूप से परिपक्व कराने को लेकर भारत सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली योजना है । जिसके तहत मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेवतीपुर के अंतर्गत आने वाले कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के बच्चियों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ ही साथ उनको डीटी का इंजेक्शन से प्रतिरक्षीत किया गया।

बीपीएम बबीता सिंह ने बताया कि रेवतीपुर के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय मे पढ़ने वाली छात्राओं के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मंगलवार को कैंप लगाया गया। जिसमें कुल 61 बच्चियों का स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही साथ हिमोग्लोबिन एवं वजन और एनीमिया की जांच की गई। उन्हें जागरूक करने का भी कार्य किया गया । इस दौरान 61 किशोरियों को डीटी का इंजेक्शन से भी प्रतिरक्षित किया गया। सेनेटरी नैपकिन का वितरण कर इससे होने वाले लाभ के बारे में भी जानकारी दी गई। इसके साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों, विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत होती है. इन चीजों की कमी से शरीर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में कई बार लोग शरीर में विटामिन्स की कमी को पूरा करने के लिए सप्लिमेंट्स का सहारा लेते हैं. जिसमें से आयरन भी एक है. आयरन की कमी से शरीर में खून कम बनता है. जिस कारण आयरन की गोलियां लेने के बारे में बताया गया।

उन्होंने बताया कि किशोरावस्था (10-19 वर्ष) वृद्धि तथा विकास की एक महत्वपूर्ण अवस्था होती है। यह बाल्यावस्था से किशोरावस्था में परिवर्तन का समय होता है तथा इस अवस्था में शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन बहुत तीव्रता से होते हैं। इस अवस्था में किशोर-किशोरी यौन, मानसिक तथा व्यवहारिक रुप से परिपक्व होने लगते हैं। किशोर-किशारियों की समस्यायें विभिन्न प्रकार की होती हैं तथा उनके लिए जोखिमभरी परिस्थितियां भी अलग-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए वे विवाहित एवं अविवाहित, स्कूल जाने वाले तथा न जाने वाले, गांव तथा शहरी क्षेत्रों में रहने वाले हो सकते हैं तथा यौन विषय पर उनकी जानकारी में भी अलग-अलग हो सकती है। प्रत्येक समूह की समस्यायें एक दूसरे से अलग हो सकती हैं तथा उनको समाज का ही एक विशेष अंग मानते हुए महत्व देना चाहिए। किशोरावस्था के दौरान हार्मोन परिवर्तन के कारण यौवनकाल की शुरुआत होती है, शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है तथा दित्तीयक यौन लक्षण प्रकट होता है। इसके साथ ही मानसिक एवं भावनात्मक परिवर्तन जैसे कि स्वयं की पहचान बनाना, किसी प्रकार की रोक-टोक पसंद न करना, यौन इच्छा तथा विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण की भावना उत्पन्न होती हैं। इस अवस्था में वे परिवार के अतिरिक्त बाहरी लोगों के सम्पर्क में भी आने लगते हैं।

किशोर-किशोरी प्रायः अपनी बातों, समस्याओं तथा आवश्यकताओं के सम्बन्ध में अपने से अधिक उम्र के निकटतम लोगों जैसे माता-पिता, अध्यापक तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता से चर्चा करने में संकोच महसूस करते हैं। इसमें उनके सम्बन्ध, उम्र, लिंग तथा सामाजिक व सांस्कृतिक परिस्थितियों बाधा बनती हैं। अपने जीवन के इस नाजुक मोड़ पर उनके पथ भ्रष्ट होने की संभावना अधिक होती है तथा जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उनको कुपोषण, मादक पदार्थों का सेवन, कम उम्र में गर्भधारण, यौन शोषण, प्रजनन एवं यौन अगों में संक्रमण तथा एच0आई0वी0 जैसे समस्याओं व रोगों का सामना करना पड़ता है।

कार्यक्रम में मुक्तेश्वर राय एचएस, संतोष कुमार ,प्रिया राय सीएचओ, नीलम देवी एएनएम, मंजू चौहान, प्रिंसिपल प्रियंका सिंह एवं समस्त अध्यापक उपस्थित रहे।

मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने ली शपथ


गाजीपुर। शुक्रवार को एम बी बी एस द्वितीय बैच सत्र 2022-23 के छात्रों का white coat एवं चरक शपथ ग्रहण कार्यक्रम राजकीय मेडिकल कालेज में मुख्य अतिथि जिलाधिकारी अर्याका अखौरी कि उपस्थिति में हुआ। इस कार्यक्रम का शुभारम्भ जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस समारोह में प्रधानाचार्य मेडिकल कालेज, वरिष्ट कोषाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं समस्त फैकल्टी मेम्बेर्स उपस्थित रहे। कार्यक्रम मे जिलाधिकारी छात्र-छात्राओ को उनके स्वर्णिंम भविष्य की शुभकामना देते हुए पठन-पाठन पर प्रोत्साहित किया। इस दौरान डा. अन्नू मक्कर ने कालेज के पिछले 1 वर्ष की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुप्रिया कुमारी ने किया तथा कार्यक्रम के समाप्ति पर डॉ नीरज कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।  

डिजिटल माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों पर रखेगी नजर….

सहयोग एप पर जुड़ेंगी सीडीपीओ मुख्य सेविका और आंगनबाडी

आईसीडीएस डिजिटल माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों पर रखेगी नजर

गाजीपुर। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग जो अब तक मैनुअल कार्यों को अंजाम दिया करता था। लेकिन शासन के द्वारा इसे भी डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसके तहत कुछ दिनों पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा सहयोग ऐप की लांचिंग की गई थी। जिसमें सीडीपीओ और मुख्य सेविका के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों और आंगनबाड़ियों को एक साथ जोड़ कर सहयोगात्मक रुख अपनाते हुए विभाग में सुधार के प्राथमिकता को लेकर कार्य करने की पहल है। जिसके तहत मंगलवार को वन स्टॉप सेंटर में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सीडीपीओ राजेश सिंह,मंडलीय कोऑर्डिनेटर वाराणसी के अंजनी राय और यूपीटीएसयू के बुद्धदेव के द्वारा सीडीपीओ और मुख्य सेविका को प्रशिक्षण दिया गया।

जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडेय ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा लांच किये गया ऐप के माध्यम से सहयोगात्मक पर्यवेक्षण एवं सहयोग के लिए 2 बैच में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। जिसमें 5 और 6 दिसंबर को एक बैच और 8 और 9 दिसंबर को एक बैच का प्रशिक्षण कर इस ऐप के बारे में पूरे ब्लॉक के मुख्य सेविका और सीडीपीओ को प्रशिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इस ऐप के माध्यम से पहले जो निरीक्षण कागजों पर होता था। अब वह निरीक्षण ऐप पर होगा। इस प्रशिक्षण शिविर में सीडीपीओ और मुख्य सेविका को किस तरह से कार्य करना है इसको लिए ट्रेंड करना है। इसके बाद सीडीपीओ अपने परियोजना के मुख्य सेविका को और मुख्य सेविका अपने क्षेत्र की आंगनबाड़ियों को इस ऐप के माध्यम से जोड़ेंगी। मासिक भ्रमण की तैयारी का कार्यक्रम भी तय करेंगी। जिसके बाद सीडीपीओ और सुपरवाइजर केंद्रों पर जाकर सहयोगात्मक परीक्षण करेंगी।

आज के इस प्रशिक्षण में सैदपुर, सदर, शहर, मोहम्दाबाद, जमानिया, करंडा, कासिमाबाद और भदौरा की समस्त सीडीपीओ और मुख्य सेविका के साथ ही भदौरा के बीओसी अमजद खान और बाराचवर के बीओसी विवेक सिंह मौजूद रहे।

निजी अस्पतालों में भी आरक्षित हैं डेंगू मरीजों के लिए बेड

गाजीपुर। मुख्य चिकित्साधिकारी के द्वारा जनपद के समस्त निजी नर्सिंग होम/निजी चिकित्सक एवं प्राइवेट पैथोलॉजी को मिलाकर किट के द्वारा जॉचे गए संदिग्ध डेंगू मरीजों की संख्या 4531, किट द्वारा किसी भी मरीज को डेंगू धनात्मक पाए गए मरीजों की संख्या-234 एवं अब तक पुष्टि हेतु आईएमएस बीएचयू भेजे गए संदिग्ध डेंगू के सैंपल-234, परिणाम प्राप्त-234, परिणाम प्रतिक्षित-00, डेंगू पॉजिटिव की संख्या-136 अन्य जनपद के 5, नेगेटिव 66, अन्य जनपदो से सूचित की संख्या 29 एवं जनपद के डेंगू धनात्मक मरीजों की संख्या 165 है। उन्होने बताया कि जनपद में डेंगू तथा अन्य मच्छर जनित बीमारियां पूरी तरह नियंत्रण में है। डेंगू के उपचार हेतु जिला अस्पताल में 25 बेड है जिसमें भर्ती मरीजो की संख्या 2 है तथा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 60 बेड आरक्षित किए गए जिसमे से भर्ती संदिग्ध डेंगू मरीजों की संख्या शून्य, है। निजी अस्पतालों में डेंगू हेतु आरक्षित बेड की संख्या-32 है। डेंगू के उपचार हेतु सभी आवश्यक दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। ऐसे में किसी भी बुखार पीड़ित को घबराने की कतई आवश्यकता नहीं है। डेंगू से प्रभावित ग्रामो में मोबाईल मेडिकल यूनिट के द्वारा भ्रमण कर मौके पर ही बुखार पीड़ितों का उपचार किया जा रहा है। ऐसे में किसी भी बुखार पीड़ित को घबराने की कतई आवश्यकता नही है। अन्य वायरल बीमारियों में भी प्लेटलेट्स की कमी हो सकती है, अतः प्लेटलेट्स की कमी होना डेंगू होना नहीं है। बुखार के मरीज अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें। बुखार के उपचार हेतु अनाधिकृत चिकित्सक अथवा स्वयं उपचार नहीं करें। अब तक प्राप्त 165 डेंगू धनात्मक मरीज उपचार के उपरान्त स्वस्थ होकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे है। इन 165 मरीजों में से 49 मरीज अन्य प्रदेशों अथवा जनपदों से बीमारी के उपरान्त जनपद में आए थे जो जॉच में डेंगू धनात्मक पाए गए। इसमें से अधिकांश मरीज उपचार के उपरांत स्वस्थ होकर अपने कार्यस्थल के प्रदेशों तथा जनपदों में वापस जा चुके हैं। सभी मरीजों का नियमित फॉलोअप लिया जा रहा है तथा प्रभावित ग्राम/मोहल्ले में तत्काल निरोधात्मक कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा की जा रही है। इन ग्रामो/मोहल्लो में साफ-सफाई तथा कीटनाशकों हेतु जिला पंचायती राज अधिकारी एवं नगर निकायों के अधिशाषी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।

नियमित टीकाकरण महिलाओं और बच्चों को कई रोगों से बचाता है

नियमित टीकाकरण के साथ ही गर्भवती की नियमित जांच को लेकर हुई बैठक

गाजीपुर। नियमित टीकाकरण जो 0 से 5 साल तक के बच्चे और गर्भवती के साथ ही धात्री को कई रोगों से बचाता है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा समय-समय पर टीकाकरण करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का कार्य करती है। इसी को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदबाद पर शुक्रवार को चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय की अध्यक्षता में प्रशिक्षण देने का कार्य किया गया।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि नियमित टीकाकरण 0 से 5 साल तक के बच्चों गर्भवती और धात्री को लगाया जाता है। जो उन्हें कई तरह के रोगों से बचाता है। इसी को लेकर शत प्रतिशत गभर्वती एवं बच्चों को समयानुसार वैक्सीनेशन हेतु आशा, आशा संगीनी , एएनएम एवं पर्यवेक्षकों का हेड काउंट सर्वे हेतु प्रशिक्षित किया गया। और आगे भी कई बैच में प्रशिक्षण दिया जायेगा।

हेडकाउंट सर्वे के दौरान क्षेत्रांतर्गत सभी परिवारों का सर्वे किया जायेगा। जिसमें वैक्सीनेशन की जानकारी परिवार से एमसीपी कार्ड के माध्यम से लिया जायेगा। एवं छूटे टीकाकरण की जानकारी दर्ज करते हुऐ कार्ययोजना अनुसार सभी की शतप्रतिशत नियमित टीकाकरण किया जायेगा। विशेष रूप से लेफ्ट आउट एवं ड्रॉप आउट बच्चों की पहचान इस सर्वे के दौरान किया जायेगा।

नियमित टीकाकरण सत्र के सुचारू रुप से संचालित करने हेतु आवश्यक संसाधनों, सामग्री, औषधियों एवं आईईसी प्रयाप्त मात्रा में रहे तथा किसी भी विपरित परिस्थितियों में कैसे हम AEFI को मैनैज करे इस बताते हुए वोपेन वायल पालिसी, डुय लिस्ट, की दी जाने वाली प्रमुख संदेशों के साथ साथ एमसीपी कार्ड (टिकाकरण कार्ड ) के महत्व को बताया गया।

इस दौरान शतप्रतिशत गभर्वती महिलाओं को पूर्ण एएनसी जांच एवं समयानुसार फोलिक एसिड, आयरन फोलिक एसिड एवं कैल्शियम की उपलब्धता के साथ साथ हिमोग्लोबिन जांच, सिफलिश जांच, एचआईवी जांच के साथ साथ युरिन एल्बुमिन एवं प्रोटीन की जांच शतप्रतिशत करते हुऐ प्रत्येक गभर्वती महिलाओं की कम से कम एक एएनसी जांच महिला चिकित्साधिकारी द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाकर अवश्य कराएं। हाई रिस्क प्रेगनेंट महिलो का प्रसव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ही महिला चिकित्साधिकारी की निगरानी में कराया जाय। जिससे किसी भी विषम परिस्थितियों को मैनेज किया जा सके।

नियमित टीकाकरण के साथ साथ परिवार नियोजन के स्थाई एवं अस्थाई विषयो पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुऐ लक्षित समुह को आवश्यकता अनुसार साधनों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करते हुऐ उनकी स्वीकार्यता को बढ़ाने का निर्देश दिया। बैठक में ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक संजीव कुमार, बीसीपीएम मनीष कुमार, डब्ल्यूएचओ मानीटर अनिल श्रीवास्तव के साथ अन्य लोग मौजूद रहे।

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर जागरूकता का हुआ आयोजन

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर जागरूकता गोष्ठी का हुआ आयोजन

गाजीपुर। हर साल सर्दियों में वायु प्रदूषण चिंताजनक स्थिति में होता है। इसी मौसम में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है। इसे मनाने की वजह 1984 में हुए एक औद्योगिक हादसा है। जिससे 2-3 दिसंबर की रात को भोपाल में एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसी को लेकर आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहनदाबाद के अंतर्गत आने वाले हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर एवं ग्रामों में एक जागरूकता गोष्ठी का आयोजन चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय की अध्यक्षता में किया गया।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि वर्तमान समय में मानवीय अस्तित्व के लिए सबसे बड़े संकट की बात की जाए तो निःसंदेह ही पर्यावरण प्रदूषण धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा है। आज विश्व का प्रत्येक भाग मानव द्वारा निर्मित प्रदूषण से जूझ रहा है जिसके कारण विभिन पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन हो गयी है। जल, स्थल, वायुमंडल सहित जीवमंडल का सम्पूर्ण पारिस्थितिक तंत्र प्रदूषण के कारण संकट में है। मानवीय प्रदूषण के कारण उत्पन संकट को दूर करने के लिए सरकार द्वारा प्रतिवर्ष राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के माध्यम से देश के नागरिको को जागरूक किया जाता है। प्रदूषण का पारिस्थितिक तंत्र सहित मानवीय जीवन पर घातक प्रभाव होता है। प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन उत्पन हो जाता है। जिसके कारण विभिन जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। प्रदूषण का पारिस्थितिक तंत्र सहित मानव जीवन पर घातक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण विभिन जीवों के खाद्यान एवं आवास पर संकट उत्पन होता है। साथ ही विभिन वैज्ञानिक अनुसंधानो में भी यह बात साबित हो चुकी है की प्रदूषण ना सिर्फ हृदय, श्वसन एवं तंत्रिका तंत्र सम्बंधित बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। अपितु यह कैंसर जैसे बीमारियों का भी प्रमुख कारक है। प्रदूषण के कारण लोगो की उम्र में 10 वर्ष तक की कमी सम्बंधित शोध भी प्रकाशित हो चुके है।

ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक संजीव कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस क्या है प्रदूषण दिवस 2 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है इसका मुख्य उद्देश्य नागरिको को पर्यावरण प्रदूषण के बारे में जागरूक करना है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के माध्यम से सरकार एवं विभिन गैर-सरकारी संस्थानों के द्वारा विभिन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण का कारकों, इसके नियंत्रण एवं निस्तारण में लोगों की सहभागिता के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु प्रभावी कार्ययोजना को लागू किया जाता है। साथ ही जन-सहभागिता के अतिरिक्त राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर विभिन नियमों एवं कानूनो के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जाता है। पर्यावरण प्रदूषण हेतु प्रभावी उपायों के बारे में भी इस दिवस के अवसर पर विभिन प्रकार की जानकारी साझा की जाती है। प्रदूषण के कारकों के आधार पर इसे विभिन प्रकार से विभाजित किया गया है जिन्हे मुख्यत निम्न प्रकार से बाँटा गया है :- जल-प्रदूषण, वायु-प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, प्रदूषण के प्रमुख कारक है। मानव निर्मित औद्योगिक गतिविधियों, रसायनों के प्रयोग, खनिज तेल का उपयोग एवं प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन दोहन के कारण प्रदूषण पैदा होता है।

महिला पीजी कॉलेज में पोस्टर प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गुरूवार को राष्ट्रीय सेवा योजना की तरफ से एक विचार गोष्ठी और पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के प्रारंभ में डॉ. मनीष ने कहा कि प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को बच्चों और युवाओं से जोड़कर देखा जाता था लेकिन एचआईवी केवल बच्चों और युवाओं को ही संक्रमित नहीं करता बल्कि यह हर उम्र के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। अमेरिकन जीन टेक्नोलॉजी का दावा है कि जीन थेरेपी के माध्यम से इसका ईलाज संभव है लेकिन अभी यह जन सामान्य की पहुँच से बाहर है। वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अमित यादव ने कहा कि एचआईवी संक्रमण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह सबसे पहले जीवन प्रतिरक्षा प्रणाली को लक्ष्य करता है। जैसे ही लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है यह बीमारी अपने प्रभाव में ले लेती है। डॉ. संगीता ने कहा कि अभी तक इसके लिए कोई टीका नहीं बना है इस लिए बचाव ही इसका सही उपाय है। डॉ. गजनफर सईद ने कहा कि इसके लक्षण में तेजी से वजन का कम होना, दस्त, खासी बुखार जैसे शरीरिक लक्षण दिखने प्रारंभ हो जाते हैं। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. सविता भारद्वाज ने कहा कि हर वर्ष आज के ही दिन विश्व एड्स दिवस इसी उद्देश्य के साथ मनाया जाता है कि एचआईवी संक्रमण की वजह से फैली महामारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है। सरकार अपने मकसद में कामयाब तभी होगी जब देश के नागरिकों का सहयोग प्राप्त हो। इस कार्यक्रम में स्वयं सेवियों ने पोस्टर प्रदर्शनी लगाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। इन स्वयं सेवियों के पोस्टर का मूल्यांकन किया गया जिसमें विशाखा चौहान प्रथम, तनवीर फात्मा द्वितीय तथा तीसरे स्थान पर हिना खातून और सत्या कुमारी रहीं साथ ही कृष्णा कुशवाहा सांत्वना पुरस्कार प्राप्त कीं। यह समस्त सूचनाएँ मीडिया प्रभारी डॉ शिवकुमार ने साझा करते हुए कहा कि अभी 2020 की ताजा रिपोर्ट यह है कि इस बीमारी के कारण सात लाख के करीब लोगों की मौत हो गयी है। इसका अर्थ यह है कि हम अभी तक इस मामले में जागरूक नहीं हो पाए हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राजेश यादव, डॉ. हरेंद्र यादव के साथ ही समस्त छात्राएं उपस्थित रहीं।

निकाली गई जागरूकता रैली, चलाया गया हस्ताक्षर अभियान

एड्स जागरूकता एवं बचाव के लिए निकाली गई रैली चलाया गया हस्ताक्षर अभियान

गाजीपुर। हर साल 1 दिसंबर को दुनिया भर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। यह एचआईवी से संक्रमित लोगों के लिए समर्थन दिखाने और इस बीमारी से जान गंवाने वाले रोगियों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। इसी को लेकर गुरुवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से एड्स जागरूकता एवं बचाव के उद्देश्य को लेकर एक रैली निकाली गई। जो गोरा बाजार के विभिन्न इलाकों से होते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पहुंचा। जहां पर रैली में शामिल लोगों ने हस्ताक्षर अभियान में शामिल हुए और इसके पश्चात मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सभागार में एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें एड्स की भयावहता और बचाव के बारे में जानकारी दी गई।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह ने बताया कि साल 1988 में विश्व एड्स दिवस को पहले इंटरनेशनल हेल्थ डे के रूप में मनाना शुरू किया गया। यह दिन एचआईवी टेस्टिंग, रोकथाम और देखभाल लोगों को विश्व स्तर पर खुद को एक साथ जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के बारे में है।
यह दुनिया भर के लोगों के लिए एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में एक साथ आने, एचआईवी के साथ जी रहे लोगों को सपोर्ट करने और इससे जान गंवाने वालों को याद करने का एक दिन है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और व्यक्तियों के बीच एड्स और एचआईवी के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहमदाबाद के अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि विश्व एड्स दिवस को लेकर कई स्वास्थ्य केंद्रों पर पोस्टर के माध्यम से आने वाले मरीजों उनके परिजनों को जागरूक करने का काम किया गया।

एड्स का खतरा एक से अधिक लोगों से यौन संबंध रखने वाला व्‍यक्ति।वेश्‍यावृति करने वालों से यौन सम्‍पर्क रखने वाला व्‍यक्ति।नशीली दवाईयां इन्‍जेकशन के द्वारा लेने वाला व्‍यक्ति।यौन रोगों से पीडित व्‍यक्ति।पिता/माता के एच.आई.वी. संक्रमण के पश्‍चात पैदा होने वाले बच्‍चें।बिना जांच किया हुआ रक्‍त ग्रहण करने वाला व्‍यक्ति

एड्स से बचाव ,जीवन-साथी के अलावा किसी अन्‍य से यौन संबंध नही रखे।यौन सम्‍पर्क के समय निरोध(कण्‍डोम) का प्रयोग करें।मादक औषधियों के आदी व्‍यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें।एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्‍योंकि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को यह रोग लग सकता है।रक्‍त की आवश्‍यकता होने पर अनजान व्‍यक्ति का रक्‍त न लें, और सुरक्षित रक्‍त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्‍त ही ग्रहण करें।डिस्‍पोजेबल सिरिन्‍ज एवं सूई तथा अन्‍य चिकित्‍सीय उपकरणों का 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लेवें, तथा दूसरे व्‍यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्‍लेड/पत्‍ती काम में ना लेंवें।एड्स-लाइलाज है- बचाव ही उपचार है।

कार्यक्रम में एचआईवी टीबी प्रोग्राम के चार पार्टनर संस्था, ज्योति ग्रामीण संस्था, सेंटर ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड एंटरप्रेन्योर ,अहाना के साथ ही सुभेछा परियोजना के लोग शामिल रहे। साथ ही जनपद में चलने वाले 9 आईसीटीसी सेंटर के कर्मचारी और एआरटी सेंटर के कर्मचारी के साथ ही एसीएमओ डॉ मनोज सिंह ,डॉ जे एन सिंह, डॉ एसडी वर्मा, डॉ सुजीत मिश्रा, डॉ मिथिलेश सिंह ,अनुराग पांडे , संजय सिंह यादव, श्वेताभ गौतम, रविप्रकाश, सुनिल वर्मा, अंजु सिंह स्वर्ण लता सिंह, श्वेता, संगीता और अन्य लोग शामिल रहे।