Category Archives: Health

घर व आसपास न होने दें जल जमाव व गंदगी,नहीं तो रोगों को देंगे बुलावा

घर व आसपास न होने दें जल जमाव व गंदगी,
नहीं तो संक्रामक व संचारी रोगों को देंगे बुलावा

  • आ रहा है त्योहारों का सीजन, रखें साफ-सफाई व स्वास्थ्य का ख्याल
  • जन जागरूकता के साथ फॉगिंग व एंटी लार्वा छिड़काव का कार्य भी तेज
  • बचाव के लिए मच्छर रोधी क्रीम व मच्छरदानी का करें प्रयोग

गाजीपुर।त्योहारों का सीजन आ रहा है। यही मौका है कि घर, छत व आसपास के स्थानों की अच्छे से साफ-सफाई कर ली जाए। छत पर पड़े निष्प्रयोज्य बर्तनों, बोतलों, गमलों, टायरों, कूलर आदि में एकत्रित पानी को अलग कर सफाई कर ली जाए। घर के बाहर लगी झाड़ियों की कटाई कर ली जाए। जमा हुई गंदगी, कचरा आदि को भी दूर कर लिया जाए। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल का।
उन्होंने कहा कि घर व आसपास कहीं भी जल जमाव या गंदगी एकत्रित न होने दें, क्योंकि जिन स्थानों पर पानी ठहरेगा या जल जमाव की स्थिति पैदा होगी, वहाँ मच्छरों का लार्वा पनपेगा। इसकी वजह से वेक्टर (मच्छर, मक्खी आदि) जनित विभिन्न संक्रामक व संचारी रोग उत्पन्न होंगे। त्योहार के समय में सभी का स्वास्थ्य बेहतर हो, खुशहाल हो, इसके लिए हमें जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है। सीएमओ ने कहा कि वर्तमान में स्वास्थ्य समेत 10 विभागों के सहयोग से जनपद में विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह अभियान भी संचालित किया जा रहा है। वायरल फीवर और डेंगू पर प्रभावी रोकथाम व नियंत्रण के लिए निरोधात्मक गतिविधियां नियमित रूप से संचालित की जा रही हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार ने बताया कि जनपद में डेंगू, मलेरिया व मच्छर जनित अन्य बीमारियों को रोकने के लिए जन-जागरूकता का कार्य किया जा रहा है जिससे स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार को सुरक्षित रखा जा सके। आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर जन-जागरूकता के माध्यम से बदलते मौसम, संचारी रोगों से बचाव और साफ-सफाई के बारे में जानकारी दी जा रही है। शहरी क्षेत्र के लिए गठित की गयी नगर पालिका की टीम वार्ड और मोहल्लों में जाकर जन-जागरूकता के साथ ही फॉगिंग और एंटी लार्वा के छिड़काव का कार्य कर रही हैं, जिससे इन बीमारियों को फैलने से रोका जा सके।
उन्होंने बताया कि वेक्टर जनित अधिकतर बीमारियाँ मच्छरों के काटने से फैलती हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए मच्छरों से बचाव करना बहुत जरूरी है। इसके लिए घर व आस-पास साफ-सफाई रखें तथा जल का भराव न होने दें। झाड़ियों और नालियों को साफ सुथरा रखें, आसपास रुके हुए पानी में जला हुआ मोबिल आयल या मिट्टी का तेल डालकर लार्वा को नष्ट करें, घर के दरवाजे और खिड़की पर मच्छर रोधी जाली लगाएं। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। कूलर, फ्रिज आदि को साप्ताहिक रूप से साफ करें। छत पर निष्प्रयोज्य बर्तन, पाइप, टायर, नारियल के खोल आदि न डालें। गमलों और फूलदानों को भी साफ रखें।
डीएमओ ने बताया कि इस साल अब तक डेंगू के 167 मरीज मिले हैं। डेंगू से अभी तक किसी की मृत्यु नहीं हुई है। वर्ष 2022 में 176 और 2021 में 115 डेंगू के एलाइजा पुष्ट मरीज पाये गए थे।
खानपान पर दें ध्यान – डीएमओ ने बताया कि बुखार की स्थिति में मरीज को पूरी तरह से आराम करना चाहिए। अधिक से अधिक तरल पदार्थों जैसे ताजे फलों का जूस, दाल का पानी, नारियल पानी, ओआरएस घोल, दूध-छाछ, ताजे फल, प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करने वाले खाद्य पदार्थों आदि का सेवन करना चाहिए। तले भुने, गरिष्ठ भोजन, दर्द निवारक दवाओं आदि से बचना चाहिए।
डेंगू, मलेरिया व बुखार में अंतर समझना जरूरी – डीएमओ ने बताया कि आम लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि उन्हें मलेरिया हुआ है या डेंगू या सामान्य बुखार है। मलेरिया का बुखार ठंड देकर आता है तो डेंगू में लगातार बुखार के साथ हड्डियों-जोड़ों में दर्द रहता है। इस तरह के कोई भी लक्षण होने पर तुरंत नजदीकी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सक से परामर्श लेकर मलेरिया और डेंगू की जाँच करानी चाहिए। जनपद के सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मलेरिया व डेंगू के इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

हर ब्लॉक व टीबी यूनिट से स्वास्थ्यकर्मी व एडीओ पंचायत को बनाया गया मास्टर ट्रेनर

टीबी मुक्त पंचायत व फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल पर दिया प्रशिक्षण

हर ब्लॉक व टीबी यूनिट से स्वास्थ्यकर्मी व एडीओ पंचायत को बनाया गया मास्टर ट्रेनर

  • अब मास्टर ट्रेनर्स ग्राम प्रधान, सचिव व सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को करेंगे प्रशिक्षित
  • जनपद में मौजूद हर क्षय रोगी के लिए तैयार होगा एक फैमिली केयर गिवर

गाज़ीपुर।प्रधानमंत्री के आह्वान पर वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए जिला क्षय रोग विभाग और पंचायती राज विभाग मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे टीबी मुक्त पंचायत व टीबी फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल को शत-प्रतिशत सफल बनाया जा सके। इसके लिए मास्टर ट्रेनर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में संपन्न हुआ। जिला पंचायती राज विभाग से ब्लॉक वार एक -एक प्रतिनिधि के अलावा जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक (डीपीपीएमसी), ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम), क्षय रोग विभाग से वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस), वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक (एसटीएलएस), टीबीएचवी को जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार और डब्ल्यूएचओ के डॉ वीजे विनोद ने प्रशिक्षण दिया। सभी को प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत वर्ष 2025 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जनपद प्रतिबद्ध है। ट्रेनिंग ले चुके मास्टर ट्रेनर्स अब टीबी मुक्त पंचायत अभियान का लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्राम प्रधान और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को प्रशिक्षण देंगे, साथ ही हर क्षय रोगी के लिए एक फैमिली केयर गिवर भी तैयार करेंगे। इसके साथ पंचायत समिति, जन आरोग्य समिति और ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति (वीएचएसएनसी) का भी संवेदीकरण करना है। उन्होंने कहा कि इससे सामुदायिक स्तर पर टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और क्षय रोगियों को सामाजिक स्तर पर मिलने वाले तिरस्कार से मुक्ति के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य व्यवहार मिलने में मदद मिलेगी। शासन से प्राप्त निर्देशों के मुताबिक क्षय रोगी के परिवार या करीबी लोगों में से ऐसे व्यक्ति की पहचान की जाएगी जो उसे उपचार प्राप्त करने में मदद कर सके, उसकी देखभाल कर सके, रोगी के लिए जरूरी पोषण का ध्यान रख सके। ऐसे व्यक्ति को फैमिली केयर गिवर (प्राथमिक देखभाल कर्ता) कहा जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि फैमिली केयर गिवर को क्षय रोगी के साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जाना होगा, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) उसे क्षय रोग के उपचार के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इस बात का भी प्रशिक्षण देंगे कि रोगी की दवाओं और उनके असर का उसे किस प्रकार से ध्यान रखना है। उसे बताया जाएगा कि टीबी की दवाओं के साथ अच्छा पोषण जरूरी होता है। रोगी को भोजन में क्या-क्या देना चाहिए। फैमिली केयर गिवर समुदाय में टीबी के प्रति जागरूकता और जानकारी बढ़ाने में भी क्षय रोग विभाग की मदद करेंगे।
जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत अभियान के तहत एक हज़ार की जनसंख्या पर कम से कम 30 संभावित मरीज की जांच की जाएगी। साथ ही उपचार की सफलता की दर 85 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में 19 टीबी यूनिट/ब्लॉक के 35 स्वास्थ्यकर्मी एवं 16 ब्लॉक के एडीओ पंचायत को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण ले चुके एडीओ पंचायत एवं स्वास्थ्य कर्मी ग्राम प्रधान एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी के मरीज़ों को गोद लेने के लिए भी ग्राम प्रधानों को ग्राम स्तर पर प्रोत्साहित करना है।
प्रशिक्षण सत्र में जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग कुमार पाण्डेय एवं टीबी विभाग के सभी कर्मचारी शामिल रहे।

हर ब्लॉक व टीबी यूनिट से स्वास्थ्यकर्मी व एडीओ पंचायत को बनाया गया मास्टर ट्रेनर

टीबी मुक्त पंचायत व फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल पर दिया प्रशिक्षण

हर ब्लॉक व टीबी यूनिट से स्वास्थ्यकर्मी व एडीओ पंचायत को बनाया गया मास्टर ट्रेनर

  • अब मास्टर ट्रेनर्स ग्राम प्रधान, सचिव व सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को करेंगे प्रशिक्षित
  • जनपद में मौजूद हर क्षय रोगी के लिए तैयार होगा एक फैमिली केयर गिवर

गाज़ीपुर।प्रधानमंत्री के आह्वान पर वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए जिला क्षय रोग विभाग और पंचायती राज विभाग मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे टीबी मुक्त पंचायत व टीबी फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल को शत-प्रतिशत सफल बनाया जा सके। इसके लिए मास्टर ट्रेनर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में संपन्न हुआ। जिला पंचायती राज विभाग से ब्लॉक वार एक -एक प्रतिनिधि के अलावा जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक (डीपीपीएमसी), ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम), क्षय रोग विभाग से वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस), वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक (एसटीएलएस), टीबीएचवी को जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार और डब्ल्यूएचओ के डॉ वीजे विनोद ने प्रशिक्षण दिया। सभी को प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत वर्ष 2025 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जनपद प्रतिबद्ध है। ट्रेनिंग ले चुके मास्टर ट्रेनर्स अब टीबी मुक्त पंचायत अभियान का लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्राम प्रधान और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को प्रशिक्षण देंगे, साथ ही हर क्षय रोगी के लिए एक फैमिली केयर गिवर भी तैयार करेंगे। इसके साथ पंचायत समिति, जन आरोग्य समिति और ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति (वीएचएसएनसी) का भी संवेदीकरण करना है। उन्होंने कहा कि इससे सामुदायिक स्तर पर टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और क्षय रोगियों को सामाजिक स्तर पर मिलने वाले तिरस्कार से मुक्ति के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य व्यवहार मिलने में मदद मिलेगी। शासन से प्राप्त निर्देशों के मुताबिक क्षय रोगी के परिवार या करीबी लोगों में से ऐसे व्यक्ति की पहचान की जाएगी जो उसे उपचार प्राप्त करने में मदद कर सके, उसकी देखभाल कर सके, रोगी के लिए जरूरी पोषण का ध्यान रख सके। ऐसे व्यक्ति को फैमिली केयर गिवर (प्राथमिक देखभाल कर्ता) कहा जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि फैमिली केयर गिवर को क्षय रोगी के साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जाना होगा, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) उसे क्षय रोग के उपचार के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इस बात का भी प्रशिक्षण देंगे कि रोगी की दवाओं और उनके असर का उसे किस प्रकार से ध्यान रखना है। उसे बताया जाएगा कि टीबी की दवाओं के साथ अच्छा पोषण जरूरी होता है। रोगी को भोजन में क्या-क्या देना चाहिए। फैमिली केयर गिवर समुदाय में टीबी के प्रति जागरूकता और जानकारी बढ़ाने में भी क्षय रोग विभाग की मदद करेंगे।
जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत अभियान के तहत एक हज़ार की जनसंख्या पर कम से कम 30 संभावित मरीज की जांच की जाएगी। साथ ही उपचार की सफलता की दर 85 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में 19 टीबी यूनिट/ब्लॉक के 35 स्वास्थ्यकर्मी एवं 16 ब्लॉक के एडीओ पंचायत को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण ले चुके एडीओ पंचायत एवं स्वास्थ्य कर्मी ग्राम प्रधान एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी के मरीज़ों को गोद लेने के लिए भी ग्राम प्रधानों को ग्राम स्तर पर प्रोत्साहित करना है।
प्रशिक्षण सत्र में जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग कुमार पाण्डेय एवं टीबी विभाग के सभी कर्मचारी शामिल रहे।

हर ब्लॉक व टीबी यूनिट से स्वास्थ्यकर्मी व एडीओ पंचायत को बनाया गया मास्टर ट्रेनर

टीबी मुक्त पंचायत व फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल पर दिया प्रशिक्षण

हर ब्लॉक व टीबी यूनिट से स्वास्थ्यकर्मी व एडीओ पंचायत को बनाया गया मास्टर ट्रेनर

  • अब मास्टर ट्रेनर्स ग्राम प्रधान, सचिव व सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को करेंगे प्रशिक्षित
  • जनपद में मौजूद हर क्षय रोगी के लिए तैयार होगा एक फैमिली केयर गिवर

गाज़ीपुर।प्रधानमंत्री के आह्वान पर वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए जिला क्षय रोग विभाग और पंचायती राज विभाग मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे टीबी मुक्त पंचायत व टीबी फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल को शत-प्रतिशत सफल बनाया जा सके। इसके लिए मास्टर ट्रेनर्स का दो दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में संपन्न हुआ। जिला पंचायती राज विभाग से ब्लॉक वार एक -एक प्रतिनिधि के अलावा जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक (डीपीपीएमसी), ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (बीसीपीएम), क्षय रोग विभाग से वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस), वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक (एसटीएलएस), टीबीएचवी को जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार और डब्ल्यूएचओ के डॉ वीजे विनोद ने प्रशिक्षण दिया। सभी को प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत वर्ष 2025 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जनपद प्रतिबद्ध है। ट्रेनिंग ले चुके मास्टर ट्रेनर्स अब टीबी मुक्त पंचायत अभियान का लक्ष्य हासिल करने के लिए ग्राम प्रधान और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को प्रशिक्षण देंगे, साथ ही हर क्षय रोगी के लिए एक फैमिली केयर गिवर भी तैयार करेंगे। इसके साथ पंचायत समिति, जन आरोग्य समिति और ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति (वीएचएसएनसी) का भी संवेदीकरण करना है। उन्होंने कहा कि इससे सामुदायिक स्तर पर टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और क्षय रोगियों को सामाजिक स्तर पर मिलने वाले तिरस्कार से मुक्ति के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य व्यवहार मिलने में मदद मिलेगी। शासन से प्राप्त निर्देशों के मुताबिक क्षय रोगी के परिवार या करीबी लोगों में से ऐसे व्यक्ति की पहचान की जाएगी जो उसे उपचार प्राप्त करने में मदद कर सके, उसकी देखभाल कर सके, रोगी के लिए जरूरी पोषण का ध्यान रख सके। ऐसे व्यक्ति को फैमिली केयर गिवर (प्राथमिक देखभाल कर्ता) कहा जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज कुमार ने बताया कि फैमिली केयर गिवर को क्षय रोगी के साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जाना होगा, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) उसे क्षय रोग के उपचार के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही इस बात का भी प्रशिक्षण देंगे कि रोगी की दवाओं और उनके असर का उसे किस प्रकार से ध्यान रखना है। उसे बताया जाएगा कि टीबी की दवाओं के साथ अच्छा पोषण जरूरी होता है। रोगी को भोजन में क्या-क्या देना चाहिए। फैमिली केयर गिवर समुदाय में टीबी के प्रति जागरूकता और जानकारी बढ़ाने में भी क्षय रोग विभाग की मदद करेंगे।
जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत अभियान के तहत एक हज़ार की जनसंख्या पर कम से कम 30 संभावित मरीज की जांच की जाएगी। साथ ही उपचार की सफलता की दर 85 प्रतिशत से अधिक होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में 19 टीबी यूनिट/ब्लॉक के 35 स्वास्थ्यकर्मी एवं 16 ब्लॉक के एडीओ पंचायत को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण ले चुके एडीओ पंचायत एवं स्वास्थ्य कर्मी ग्राम प्रधान एवं सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत टीबी के मरीज़ों को गोद लेने के लिए भी ग्राम प्रधानों को ग्राम स्तर पर प्रोत्साहित करना है।
प्रशिक्षण सत्र में जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग कुमार पाण्डेय एवं टीबी विभाग के सभी कर्मचारी शामिल रहे।

मानसिक रोगियों में हुआ फल और सर्टिफिकेट वितरण,दी गई जानकारी

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मानसिक रोगियों में हुआ फल और सर्टिफिकेट वितरण

ग़ाज़ीपुर।विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस जो प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को पूरे देश में मनाया जाता है इसी को लेकर मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन प्रभारी सीएमओ डॉ जे एन सिंह की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कैसे जागरूक रहना है और अन्य को करना है इस बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। इस बार का थीम मेंटल हेल्थ इस यूनिवर्सल ह्यूमन राइट रहा। इस कार्यक्रम में गोष्ठी के अलावा हस्ताक्षर अभियान के साथ ही मानसिक विकलांग को सर्टिफिकेट और फल वितरण का भी कार्यक्रम किया गया।

प्रभारी सीएमओ डॉ जे एन सिंह ने बताया की हर साल 10 अक्टूबर को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ मनाया जाता है। वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने मिलकर वर्ष 1992 में 10 अक्टूबर के दिन ‘वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे’ सेलिब्रेट करने की घोषणा की थी। उसके बाद से यह दिन प्रत्येक वर्ष मनाया जाने लगा। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है मानसिक स्वास्थ्य के बेहतर बनाए रखने के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करने और मेंटल हेल्थ के मुद्दों को लेकर समाज में मौजूद स्टिग्मा को कम करना भी है। हर साल इसे एक खास थीम के तहत सेलिब्रेट किया जाता है।

उन्होंने बताया की हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग इसपर ध्यान नहीं देते। फिजिकल और मेंटल हेल्थ एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। किसी भी एक पहलू को नजरअंदाज करना दूसरे पहलू को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। बड़े-बूढ़े से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। तो इस प्रॉब्लम को छिपाने की जगह उस पर ध्यान देने की जरूरत है। वरना आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है।

मानसिक रोग के लक्षण

नींद ना आना या देर से नींद आना, चिंता घबराहट या उलझन, आत्महत्या का विचार आना ,बेहोशी के दौरे आना, बेवजह शक से ग्रसित रहना, शराब गाजा भांग का नशा करना, आवश्यकता से अधिक साफ सफाई ,उदास या मायूस रहना ,किसी कार्य में मन ना लगा ,गुस्सा आना, सर दर्द या भारीपन बना रहना, बुद्धि का विकास कम होना, बुढ़ापे में याददाश्त की कमी का होना, भूत प्रेत देवी देवता की छाया का भ्रम होना।

इस कार्यक्रम में जिला मलेरिया अधिकारी मनोज कुमार, एनसीडी से रवि शंकर चौरसिया ,डॉ शाहबाज, अंकित आनंद, गौरव कुमार गिरी, राघवेंद्र शेखर सिंह, अनिल चौबे, अनिल शर्मा ,वीरेंद्र पांडे, नीरज श्रीवास्तव व अन्य लोग मौजूद रहे।

181 छात्राओं की जांच के साथ हुई प्रतियोगिता

किशोर स्वास्थ्य मंच 2023 के तहत 181 छात्राओं की जांच के साथ हुए प्रतियोगिता

ग़ाज़ीपुर।राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत किशोर स्वास्थ मंच 2023 का आयोजन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मुहम्मदाबाद के अन्तर्गत राजकीय बालिका इंटर कालेज मुहम्मदाबाद पर मंगलवार को वृहद रूप से आयोजित किया गया। जहां पर 181 छात्राओं का जांच किया गया और जांच के उपरांत उन्हें सलाह और एनीमिया ,आयरन और आईएफए की गोली दी गई। इस दौरान कई तरह की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया और विजय प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की तरफ से कॉलेजों में इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए निर्देश दिया गया था। उसी के क्रम में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मोहम्मदाबाद में किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन किया गया। जिसमें सभी छात्रों का हीमोग्लोबिन जांच कर एनिमिया व अन्य बीमारियों की पहचान एवं संदरभन साथ एनीमिया, आयरन और आई एफ ए की गोलियों के साप्ताहिक सेवन की जानकारी दी गई। इस दौरान उन्हें पोषण के महत्व के बारे में और प्रतिभागियों को किशोरी सूरक्षा योजना, विशेषकर मेन्स्टूअल हाईजीन, लिंग हिंसा , तम्बाकू एवं अन्य मादक पदार्थों का सेवन व उनके दुष्परिणामों से भी अवगत कराया गया।

इस दौरान आयुष्मान कार्ड लाभार्थियों को अपना आयुष्मान कार्ड जल्द से जल्द बनवा लेने के बारे में भी जानकारी दिया गया। जिस की जरूरत पड़ने पर आयुष्मान कार्ड का लाभ उठाया जा सके। इसके अलावा टीबी के लक्षणों के बारे में भी जानकारी दी गई और बताया गया कि अगर लगातार 2 सप्ताह तक खांसी आ रही हो तो उसकी जांच अवश्य करा ले। क्योंकि 2025 तक टीबी मुक्त भारत का प्रधानमंत्री का सपना है।

छात्रों को एनीमिया यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तथा मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित पेंटिंग प्रतियोगिता, वाद विवाद , रंगोली तथा भाषण प्रतियोगिताओ का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम स्थान पर इंटर की सरिता, द्वितीय स्थान प्राप्त रचना एवं मोनिका हाईस्कूल की छात्रा रही। एवं रंगोली प्रतियोगिता में जानकी क्लास 12, एवं रिमझिम क्लास10 रही । सभी को अधीक्षक डॉ आशीष राय के द्वारा पुरस्कृत किया गया।

इस कार्यक्रम में 181 छात्राओं की जांच किया गया जिसमें आरबीएसके की टीम डा आर के वर्मा, आशा सिंह स्टाफ नर्स, रंजना देवी एएनएम , डब्ल्यू एच ओ से अभिषेक द्विवेदी,मोहित एल टी , सतीश के साथ साथ विद्यालय से कंचन एवं निशा एवं अन्य रही।

कार्यक्रम का संचालन ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक संजीव कुमार ने किया एवं विद्यालय प्रबंध समिति का कार्यक्रम के आयोजन को लेकर सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

22 एचआरपी सहित 88 महिलाओ की हुई जांच व ईलाज

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस में 22 एचआरपी सहित 88 महिलाओ की हुई जांच व ईलाज

गाजीपुर। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर प्रत्येक माह की 1, 9, 16 और 24 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदबाद जो प्रथम संदर्भ में इकाई के रूप में शुमार है। यहां पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें 22 एचआरपी महिलाएं सहित 88 महिलाओ ने ईलाज एवं परामर्श के साथ ही निशुल्क जांच भी कराया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि प्रथम संदर्भन इकाई (एफआरयू) मुहम्मदाबाद पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक का आयोजन सोमवार को किया गया। केंद्र पर नियमित जांच व उच्च जोखिम युक्त गर्भावस्था की चिह्नित लाभार्थी को प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। हर माह की इन चारों दिवसों का सभी स्वास्थ्य केंद्रों में आयोजित किए जाने वाले पीएमएसएमए दिवस के साथ एफआरयू पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक का आयोजन किया गया।

इस दिवस पर गर्भवती की प्रसव पूर्व हीमोग्लोबिन, शुगर, यूरिन जांच, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफ़लिस, वजन, ब्लड प्रेशर एवं अन्य जांच की नि:शुल्क सुविधा हुई। इसके साथ ही टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका, आयरन, कैल्शियम एवं आवश्यक दवाएं मुफ्त दी गई । एचआरपी युक्त महिलाओं की पहचान, प्रबंधन एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया । पोषण, परिवार नियोजन तथा प्रसव स्थान के चयन के लिए सलाह भी दिया गया । साथ ही साथ यहां हेल्थ एटीएम के माध्यम से डिजिटल पैरामीटरो पर भी गभर्वती महिलाओं की जांच की गई। बीपीएम संजीव कुमार ने बताया कि महिलाओं को शासन के द्वारा निशुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी दी गई। जो पिछले दो-तीन सालों से चल रहा है। ई रूपीस वाउचर के जरिए अल्ट्रासाउंड जो पीपीपी मॉडल पर कराया जा रहा है। उनका भुगतान रूपीस बाउचर जो विभाग के द्वारा जनरेट कर लाभार्थी को दिया जा रहा है। और उस के माध्यम से अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड केंद्र संचालक के द्वारा तत्काल स्कैन करने पर लाभार्थी के मोबाइल पर ओटीपी आता है। और ओटीपी डालते ही अल्ट्रासाउंड का भुगतान तत्काल संचालक को हो जाता है। आज के आयोजन में एएनसी 88,हिमोग्लोबिन 88,एचआईवी 66,पीपीमोड़ पर अल्ट्रासाउंड 39,एचआरपी 22,पेट जांच 81 गर्भवती महिलाओ की हुई,साथ ही 88 का वजन जांच एवं हेल्थ एटीएम का 19 महिलाओ ने लाभ उठाया। इस कार्यक्रम में डा0 नीरज मौर्या महिला रोग विशेषज्ञ, प्रियंका स्टाफ नर्स, इकराम गांधी लैब टेक्नीशियन, नीरा राय काउंसलर सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

सीएमओ ने किया आईएमआई 5.0 के तीसरे चरण का शुभारंभ,बच्चों को पिलाई दवा

सीएमओ ने किया आईएमआई 5.0 के तीसरे चरण का शुभारंभ

अर्बन पीएचसी हाथी खाना पर बच्चों को पिलाई पोलियो की खुराक

टीकाकरण अभियान में स्वास्थ्य विभाग का करें सहयोग – सीएमओ

जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को समय पर लगवाएँ सभी टीके

गाज़ीपुर।नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हाथी खाना के अंतर्गत कांशीराम आवास चांदमारी के नियमित टीकाकरण बूथ से मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल ने सोमवार को सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई-5.0) के तीसरे व अंतिम चरण का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई। बूथ पर कई बच्चों को मीजल्स-रूबेला सहित अन्य टीके भी लगाए गए। इसके अतिरिक्त जनपद के समस्त 16 ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी-पीएचसी) व स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी तीसरे चरण की शुरुआत की गई। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण वाराणसी मण्डल की अपर निदेशक डॉ मंजुला सिंह ने मण्डल स्तर पर वाराणसी के चौकाघाट सीएचसी से अभियान का शुभारंभ किया।
सीएमओ डॉ देश दीपक पाल ने कहा कि नियमित टीकाकरण अभियान में किसी कारणवश छूटे पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को प्रतिरक्षित करने के लिए सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 चलाया गया है। अभियान में बच्चों को प्रमुख रूप से मीजल्स-रूबेला का टीका लगाया जाएगा। साथ ही गर्भवती को टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाया जाएगा। यह टीका गर्भवती को व उनके गर्भस्थ शिशु को टिटनेस व डिप्थीरिया (गलघोंटू) रोग से बचाता है। उन्होंने परिजनों से अपील की कि अपने घर के आसपास के परिजनों को पाँच वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए पीएचसी-सीएचसी जाने के लिए प्रेरित करें।
सीएमओ ने कहा कि कोई भी बच्चा छूटा हो तो उसका टीकाकरण अवश्य कराएं। सभी टीके पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं। टीका लगने के बाद सामान्य बुखार हो सकता है लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है। प्रतिकूल प्रभाव से निपटने को रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) तैयार की गई है। इसके अलावा नजदीकी सीएचसी-पीएचसी पर भी चिकित्सक से सलाह ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि आईएमआई 5.0 के तीसरे चरण के लिए जिले के छूटे पाँच वर्ष तक के 15468 बच्चों एवं 3482 गर्भवती को टीकाकरण के लिए लक्षित किया गया है। इसके लिए जनपद में करीब दो हजार टीकाकरण सत्र आयोजित किये जाएंगे। इस दौरान बच्चों को 11 बीमारियों से बचाव के लिए टीका लगाया जाएगा, जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, मैनिंजाइटिस, निमोनिया, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, डायरिया रोटा वायरस और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल है। सीएमओ ने जनपदवासियों से अपील की कि इस टीकाकरण अभियान में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें।
अभियान के तहत उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों व टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवारों के बच्चों और गर्भवती की शत-प्रतिशत टीके पर ज़ोर दिया जाएगा। टीकाकरण सत्र हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, वीएचएसएनडी सत्र, समस्त सरकारी स्वास्थ्य केंन्द्रों में भी आयोजित किए जाएंगे। अभियान में प्रमुख रूप से मीजल्स रूबेला (एमआर) टीकाकरण के साथ ही “पाँच साल, सात बार छूटे न टीका एक भी बार” पर जोर दिया जाएगा।
इस दौरान अर्बन नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ मुंशीलाल, जिला नगरीय समन्वयक अशोक कुमार, एमओआईसी डॉ ईशानी ने भी बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई। इस मौके पर यूएनडीपी से प्रवीण उपाध्याय,यूनिसेफ से डीएमसी बलवंत सिंह, चाई से मणि शंकर एवं अन्य अधिकारी व स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहे।

टीबी मुक्त भारत पर होगा मंथन, ग्राम प्रधान व सीएचओ निभाएंगे अहम भूमिका

ग्राम पंचायतों में टीबी मुक्त भारत पर होगा मंथन, ग्राम प्रधान व सीएचओ निभाएंगे अहम भूमिका

टीबी मुक्त पंचायत व फैमिली केयर गिवर मॉड्यूल पर सोमवार से शुरू होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम

• प्रत्येक टीबी यूनिट/ब्लॉक स्तरीय सीएचसी व पीएचसी से एक-एक अधिकारी


एनटीईपी कर्मी और सहायक विकास अधिकारी को बनाया जायेगा मास्टर ट्रेनर


• ब्लॉक पर ग्राम प्रधान, सचिव और सीएचओ को करेंगे प्रशिक्षित, जांच व उपचार में बनेंगे सहायक


• टीबी मरीज की देखभाल के लिए घर का एक सदस्य अथवा करीबी बनेगा फैमिली केयर गिवर

गाज़ीपुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) और प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत प्रत्येक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग और पंचायती राज विभाग के संयुक्त प्रयास से टीबी मुक्त पंचायत बनाने की योजना को धरातल पर उतारने की पहल की जा रही है। टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत ब्लॉक स्तर पर ग्राम पंचायतों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में टीबी के लक्षणों, जांच और इलाज के बारे में चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि पंचायत की विकास योजनाओं में टीबी मुक्त पंचायत की गतिविधियों को भी शामिल किया जाएगा। साथ ही टीबी मरीज की देखभाल के लिए उसके घर के एक सदस्य अथवा करीबी को फैमिली केयर गिवर भी बनाया जाएगा। इसी को लेकर सोमवार (नौ अक्टूबर) से सीएमओ कार्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसमें हर टीबी यूनिट/ब्लॉक स्तरीय सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी-पीएचसी) से एक अधिकारी, जिला क्षय रोग केंद्र के एक एसटीएस, एसटीएलएस या हेल्थ सुपरवाइजर के साथ एक सहायक विकास अधिकारी को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सोमवार व मंगलवार को चलने वाले इस प्रशिक्षण में करीब 35 स्वास्थ्यकर्मियों और 16 सहायक विकास अधिकारियों को प्रशिक्षित कर मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा। यह सभी मास्टर ट्रेनर ब्लॉक पर ग्राम प्रधान, सचिव, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) को प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर पंचायत समिति के अन्य सदस्यों को प्रशिक्षित करेंगे। सीएचओ, आशा- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे। प्रशिक्षण लेने के बाद यह लोग समुदाय को टीबी के लक्षण, रोकथाम, भ्रांतियों को दूर करने, उपचार, जांच और उपलब्ध सुविधाओं समेत टीबी रोगियों के लिए सरकार की ओर से प्रदान किये जाने वाले विभिन्न लाभों के बारे में जागरूक करेंगे। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक गांव को टीबी मुक्त करने के लिए जांच और उपचार की व्यवस्था को दुरुस्त करना तथा एक वर्ष में प्रत्येक 1000 की आबादी पर 30 संभावित मरीज खोज कर जांच करना है। पिछले तीन सालों में जिन क्षेत्रों में अधिक या कम टीबी मरीज मिले हैं उनकी सूची ग्राम और वार्ड वार तैयार करेंगे। उनमें से हर माह 10-10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित किया जायेगा। इसके बाद वहाँ विशेष ध्यान देकर स्क्रीनिंग, जांच, उपचार, परामर्श, पोषण व भावनात्मक सहयोग प्रदान कर जल्द से जल्द टीबी मुक्त पंचायत के रूप में घोषित किया जाएगा। इस कार्य में ग्राम प्रधान, सचिव व पंचायत सहायक के साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) सहित ग्राम प्रधान, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, एनटीईपी कर्मी व अन्य स्वास्थ्यकर्मी सहयोग करेंगे।जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि हर टीबी यूनिट पर तैयार होने वाली तीन मास्टर ट्रेनर्स (प्रशिक्षकों) की यह टीम ग्राम प्रधान, सचिव और सीएचओ को प्रशिक्षण देगी। सभी मिलकर क्षय रोगियों की जल्दी पहचान और उपचार के लिए काम करेंगे, जिससे टीबी मुक्त पंचायत का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता संभावित टीबी मरीजों की जानकारी दर्ज करेंगी और इसकी सूचना सीएचओ को देंगी। मरीजों को दवा उपलब्ध कराएंगी। वह बैंक खाते का विवरण दर्ज कराएंगी, जिससे इलाज के दौरान टीबी रोगियों को सही पोषण के लिए हर माह निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये मिल सकें।डॉ मिथलेश ने बताया कि अब तक टीबी का उपचार ले रहे मरीजों के लिए एक ट्रीटमेंट सपोर्टर नियुक्त किया जाता था, जो कि आशा कार्यकर्ता होती थी। लेकिन अब मरीज का ध्यान रखने के लिए उसी के परिवार से अथवा उसके किसी नजदीकी व्यक्ति को केयर गिवर का दायित्व सौंपा जायेगा। यह पहल टीबी के शुरुआती लक्षणों की पहचान करके उन्हें रोकने और बीमारी के दौरान समय पर रेफरल द्वारा रोगी और उनके परिवार के सदस्यों की समुचित देखभाल और सहायता सुनिश्चित करेगी। इससे उपचार, उचित पोषण और उपचार के मानकों का पालन करने में मदद मिलेगी और टीबी से ग्रसित व्यक्तियों के समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होगा।

कुंडेश्वर प्रथम और गौसपुर ने दूसरा स्थान प्राप्त किया

क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजमेंट के तहत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर कुंडेश्वर प्रथम तो गौसपुर ने दूसरा स्थान प्राप्त किया



गाजीपुर। क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजमेंट जिसके अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केदो का कुल 7 बिंदुओं पर राज्य-स्तरीय टीम के द्वारा मूल्यांकन किया जाता है। और इसी मूल्यांकन के आधार पर स्वास्थ्य केंद्रों को फर्स्ट, सेकंड और थर्ड कैटिगरी में चयनित कर उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। इसी के तहत गाजीपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहमदाबाद के अंतर्गत दो हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर कुंडेश्वर प्रथम और गौसपुर ने दूसरा स्थान जनपद में प्राप्त किया है। चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आशीष राय ने बताया कि क्वालिटी एश्योरेंस के तहत राज्य स्तर की एक टीम अपने निर्धारित बिंदुओं पर पिछले दिनों स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत संचालित हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर का निरीक्षण किया था। इसी के तहत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर कुंडेश्वर 82.9% अंक पाकर जनपद में प्रथम स्थान और गौसपुर 78.3% अंक पाकर द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।

उन्होंने बताया कि इसी योजना के तहत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर रघुवरगंज का भी कायाकल्प किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस स्थान को प्राप्त करने के लिए टीम के द्वारा हॉस्पिटल का मेंटेनेंस, स्वच्छता, बेस्ट मैनेजमेंट, हाइजीन प्रमोशन, इनफेक्शन कंट्रोल, बिल्डिंग व रिकार्डो का रखरखाव को आधार बनाया गया है।