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प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले हॉस्पिटल को मिलेगा पुरस्कार

कायाकल्प अवार्ड के लिए हुआ अवेयरनेस बैठक

गाजीपुर। भारत सरकार के द्वारा 2015 से राजकीय चिकित्सालय में स्वच्छता एवं हाइजीन व्यवस्था को सुदृढरित करने हेतु कायाकल्प अवार्ड योजना चलती है। जिसके अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अर्बन प्राथमिक केंद्र तथा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर को कायाकल्प अवार्ड के अंतर्गत आच्छादित करने के लिए तीन चरणों में असेसमेंट इंटरनल एंड एक्सटर्नल किया जाता है। इसी को लेकर बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में एसीएमओ डॉ मनोज सिंह की अध्यक्षता में 2 दिवसीय अवेयरनेस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें जनपद के सभी ब्लॉकों के बीपीएम ,चिकित्सा अधीक्षक, सीएचओ, नर्स मेंटर शामिल रहे। यह अवेयरनेस कार्यक्रम 9 सितंबर को भी चलेगा। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज सिंह ने बताया कि 5 सितंबर और 9 सितंबर को जनपद के सभी ब्लॉकों में कार्यरत चिकित्सा अधीक्षक बीपीएम सहित अन्य लोगों को बैठक के माध्यम से कायाकल्प अवार्ड योजना के बारे में जानकारी दी गई।

उन लोगों को अपने स्वास्थ्य केंद्र को इस अवार्ड के लिए किन मुख्य बिंदुओं पर काम करना होगा ताकि शासन के द्वारा भेजी गई टीम के माध्यम से उनका स्वास्थ्य केंद्र इस योजना में चयनित हो। डीसीपीएम अनिल वर्मा ने बताया कि कायाकल्प अवार्ड योजना के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनिहारी पूर्व में चयनित किया जा चुका है। जिसमें 200000 का पुरस्कार उक्त स्वास्थ्य केंद्र को मिला था। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जिला अस्पताल का चयन होने पर प्रदेश स्तर पर प्रथम आने पर 50 लाख, द्वितीय आने पर 20 लाख और तीसरा स्थान आने पर 10 लाख का पुरस्कार है। वही कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के लिए प्रथम स्थान पर 15 लाख ,सेकंड 10 लाख का पुरस्कार देय है। प्राईमरी हेल्थ सेंटर या हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर प्रथम स्थान आने पर 2 लाख का पुरस्कार दिया जाता है। इस कार्यक्रम में डीपीएम प्रभुनाथ डॉक्टर आरपीसी सोलंकी पब्लिक हेल्थ सलाहकार क्वालिटी इंश्योरेंस वाराणसी डिविजन अनिल शर्मा एडमिन प्रोग्राम असिस्टेंट व अन्य लोग शामिल रहे।

आयुष मंत्री पहुंचे आयुर्वेदिक चिकत्सालय, दिया निर्देश

गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एम ओएस) दयाशंकर मिश्र दयालु ने शनिवार को आयुष हेल्थ वेलनेस सेंटर, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय बहादुरगंज का निरीक्षण किया। उन्होंने दवाइयों की उपलब्धता, डॉक्टर्स की उपस्थिति और साफ-सफाई सहित अन्य सुविधाओं की जानकारी ली। दयालु ने कहा कि मरीजों की उचित देखभाल होनी चाहिए। मरीज आए तो डॉक्टर अनुपस्थिति न पाए जाएं। मरीज के साथ-साथ उनके साथ आने वाले तीमारदारों के साथ भी अच्छा व्यवहार करें। उन्होंने निर्देश दिए कि मरीज को वैलनेस सेंटर से ही दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। साथ ही मरीजों की पूरी देखभाल की जाए, जिससे कि बीमार पूरी तरीके से संतुष्ट होकर ही घर जाए।

बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए चलेगा अभियान

जनपद में राष्ट्रीय पोषण माह शुरू

बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए चलेगा अभियान

प्रभावी स्तनपान व संपूरक आहार, मेरी माटी-मेरा देश


पोषण भी पढ़ाई भी व एनीमिया के सुधार पर होगा ज़ोर



गाज़ीपुर। जनपद को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए शुक्रवार को पोषण माह अभियान का शुभारंभ हुआ। यह अभियान 30 सितंबर तक चलेगा। अभियान के प्रभावशाली क्रियान्वयन के लिए जन आन्दोलन और सामुदायिक भागीदारी बेहद आवश्यक है। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिलीप कुमार पाण्डेय ने दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 से हर साल सितम्बर को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। इस बार अभियान में पोषण से सम्बन्धित समस्त कन्वर्जेन्स विभागों के समन्वय एवं समेकित प्रयासों से पोषण आधारित जीवन चक्र के महत्वपूर्ण चरणों जैसे गर्भावस्था, शैशवावस्था, बचपन व किशोरावस्था में पोषण के सम्बन्ध में जनजागरूकता लाने के लिए प्रचार-प्रसार तथा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष अभियान की मुख्य थीम “सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत” निर्धारित की गई है। पोषण अभियान के अन्तर्गत छह वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती, स्तनपान कराने वाली धात्री माताओं तथा किशोरी बालिकाओं के पोषण स्तर में सुधार किये जाने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। अभियान के तहत मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार वैश्य के निर्देशन में समस्त कन्वर्जेन्स विभागों व पार्टनर संस्थाओं के साथ पोषण व स्वास्थ्य सम्बन्धी गतिविधियां वृहद स्तर पर आयोजित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि इस माह प्रमुख रूप से ‘प्रभावी स्तनपान व सम्पूरक आहार’, ‘स्वस्थ बालक स्पर्धा’, ‘पोषण भी पढ़ाई भी’, ‘मिशन लाइफ के माध्यम से पोषण स्तर में सुधार’, ‘मेरी माटी-मेरा देश’, ‘जनजातीय केन्द्रित पोषण अभिमुखीकरण’ एवं ‘एनीमिया (खून की कमी) स्तर में सुधार के लिए परीक्षण, उपचार व संवाद’ पर ज़ोर दिया जाएगा।

इन सभी थीम पर कार्य करने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के साथ-साथ अन्य विभाग जैसे स्वास्थ्य, पंचायती राज विभाग, शिक्षा, खाद्य व रसद, कृषि व उद्यान विभाग, आयुष, नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति, ग्राम्य विकास विभाग की अहम भूमिका रहेगी। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से स्वस्थ बालक स्पर्धा, गृह भ्रमण व केन्द्र आधारित गतिविधियां, बच्चों व गर्भवतियों की नियमित जांच, वजन, उपचार व परामर्श, पोषण रैली आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। शिक्षा विभाग के सहयोग से स्कूल केन्द्रित जन जागरूक पोषण व स्वास्थ्य वर्धक संबंधी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। ग्राम्य विकास विभाग, उद्यान विभाग व पंचायती राज विभाग के समन्वय व सहयोग से आंगनबाड़ी केंद्र तथा सामुदायिक भूमि पर पोषण वाटिका को बढ़ावा दिया जाएगा। सोशन मीडिया प्लेटफॉर्म व अन्य माध्यमों के जरिये प्रचार-प्रसार पर ज़ोर दिया जाएगा। इसके साथ ही शिक्षकों, डॉक्टरों, किसानों, व्यापारियों आदि का भी सहयोग लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त पोषण माह के दौरान किये जा रहे कार्यक्रमों व गतिविधियों के फोटोग्राफ तथा वीडियो एवं उसका संक्षिप्त विवरण सहित नियमित रूप से जन आन्दोलन डैशबोर्ड ‘पोषण अभियान’ पर अपलोड किया जाएगा। पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन पर भी नियमित डाटा फीडिंग पर ज़ोर दिया जाएगा। 

लाखों लोगों ने किया एमडीए दवा का सेवन, छूटे हुए लोग जरूर खा लें दवा

शुरू हुआ एमडीए मॉप अप राउंड, छूटे हुए लोग जरूर खा लें दवा

दो सितंबर तक खिलाई जायेगी फाइलेरिया से बचाव की दवा

अब तक करीब 35 लाख लोगों ने किया एमडीए दवा का सेवन



गाज़ीपुर। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए चलाये गये ‘सामूहिक दवा सेवन’ (एमडीए) अभियान के तहत लोगों को घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया गया। यह अभियान 10 अगस्त से 28 अगस्त तक संचालित किया गया, लेकिन जो परिवार व लाभार्थी किन्हीं कारणों से दवा खाने से छूट गए हैं या जिन्होंने इन्कार किया है, उनके लिए मॉप अप राउंड मंगलवार से शुरू किया गया। यह दो सितंबर तक चलेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने कहा कि फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। इसको रोकने के लिए बचाव ही एकमात्र उपाय है। इसलिए वर्ष में एक बार चलने वाले फाइलेरिया उन्मूलन (एमडीए) अभियान के तहत फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें। पाँच साल तक लगातार व साल में एक बार यह दवा खाने से फाइलेरिया संक्रमण से बचा सकता है। फाइलेरिया किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। यह न तो अमीर देखता है और न गरीब। इसलिए भ्रम न पालें और दवा का सेवन जरूर करें। वेक्टर बॉर्न डिजीज कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ जेएन सिंह ने कहा कि यह दवा दो वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को खानी है। गर्भवती, दो वर्ष से छोटे बच्चे और गंभीर रूप से बीमार लोगों को इस दवा का सेवन नहीं करना है। यह दवा फाइलेरिया से आपको सुरक्षा प्रदान करेगी। जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) मनोज कुमार ने बताया कि एमडीए अभियान के तहत पिछले 10 दिनों में करीब 35 लाख से अधिक लक्षित आबादी को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जा चुका है। करीब 80 प्रतिशत आबादी को कवर किया जा चुका है। मॉप अप राउंड में इसको 85 प्रतिशत तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।

जिन ब्लाकों का कवरेज 85 प्रतिशत से कम है उसको जल्द से जल्द बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा किन्हीं कारणों से छूटे हुये लाभार्थियों को मंगलवार से शुरू होकर दो सितंबर तक चलने वाले मॉप अप राउंड में दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि अभियान के तहत प्रचार-प्रसार पर बेहद ज़ोर दिया गया है, लेकिन अब भी लोगों के मन में दवा न खाने को लेकर भ्रांतियाँ बनी हुई हैं। इसको दूर करना बेहद जरूरी है। फाइलेरिया के लक्षण – फाइलेरिया वाहक क्यूलेक्स मच्छर के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं। अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार दो से तीन दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन होना, पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आना फाइलेरिया के लक्षण हैं। प्रतिकूल प्रभाव से न घबराएँ – एमडीए अभियान के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कराते हैं। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है। यदि यह समस्या बनी रहती है तो रैपिड रिस्पांस टीम या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। बचाव – सहायक मलेरिया अधिकारी राम सिंह ने बताया कि घर के आस-पास पानी, कूड़ा और गंदगी जमा न होने दें। घर में भी कूलर, गमलों अथवा अन्य चीजों में पानी न जमा होने दें। सोते समय पूरी बांह के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का प्रयोग करें। यदि किसी को फाइलेरिया के लक्षण नजर आते हैं तो वह घबराएं नहीं। विभागीय स्तर पर मरीज का पूरा उपचार होता है। इसलिए लक्षण नजर आते ही सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।

बीमारियों से बचाव के लिए करें यह काम

गाजीपुर। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया है कि बारिश के दौरान एवं उसके उपरांत हमारे आसपास जलजमाव के कारण मच्छर जनित बीमारियों के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही साथ बारिश के बाद अचानक से तेज धूप निकलने के कारण वायरल बुखार का संक्रमण भी होता है। बीमारियों से बचाव हेतु अपने घरों के आसपास, घरों की छतों पर तथा घरों के अंदर कहीं भी पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। घरों के आसपास के जलजमाव का निस्तारण पंचायती राज विभाग एवं नगर विकास विभागों के सहयोग से करवाया जाना आवश्यक है। घरों के अंदर तथा छतों पर अनावश्यक वस्तुओं, जैसे पुराने टायर, प्लास्टिक अथवा मिट्टी के पुराने बर्तन, बोतल, ग्लास, नारियल के खोल आदि को तत्काल हटा देना चाहिए। कूलर के पानी को निकाल कर अच्छे से साफ करके सुखा कर रख दें तथा उसका प्रयोग अब बंद कर दें। शरीर को पूरी तरीके से ढक कर रखें तथा सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छर जनित बीमारियों के जांच एवं उपचार की सुविधा सभी सरकारी चिकित्सालयों में उपलब्ध है। बुखार होने पर तत्काल अपने निकटवर्ती स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा अथवा सरकारी चिकित्सालय से संपर्क करें। कभी भी अनधिकृत चिकित्सक से अथवा स्वयं उपचार नहीं करवाए। अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव हेतु हमेशा ताजे भोजन का सेवन करें। पीने के लिए शुद्ध पेयजल का प्रयोग करें। सड़े गले एवं पहले से कटे फल सब्जी अथवा बासी मछली का प्रयोग बिल्कुल नहीं करें। अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें तथा अपने नाक और मुंह को ढक कर रखें। शौचालय का प्रयोग करे। शौच के उपरांत, खाना पकाने और खाने से पहले अपने हाथ को साबुन से अच्छी तरह से धोयें। जनपद में अबतक डेंगू के 3 पुष्ट रोगी मिले हैं जो क्रमशः पुणे, कोटा तथा नागालैंड से ग्रसित होकर वही से उपचार कराने के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिए अपने गृह जनपद गाजीपुर आये है। पुनः यहाँ जाँच कराने के कारण सभी डेंगू धनात्मक मरीजों के यहाँ निरोधात्मक कार्यवाही करा दी गयी है। वर्तमान में सभी मरीज स्वस्थ है। जिला अस्पताल, सभी धनात्मक पाये गये है। प्रा० स्वा० केन्द्रों पर जाँच तथा उपचार की सुविधा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर पर स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध है।

मेडिकल कॉलेज में दूरबीन विधि से होगा ऑपरेशन, डीएम ने किया…….

गाजीपुर। शुक्रवार को महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में Laproscopic सर्जरी (दूरबीन विधि से आपरेशन) डा० दीपिका पाटिल सह आचार्य सर्जरी विभाग एवं समस्त टीम के द्वारा किया गया। इसका उद्धघाटन जिलाधिकारी आर्यका अखौरी द्वारा किया गया। इस मौके पर जिलाधिकारी एवं प्रधानाचार्य सहित अन्य संकाय सदस्य ओ०टी में मौजूद रहे। जिलाधिकारी ने ओटी में पहुंच कर ऑपरेशन किए गए मरीज का हालचाल पूछा। जिलाधिकारी को प्रधानाचार्य ने बताया कि Laproscopic मशीन (दूरबीन विधि द्वारा) से Gall Bladder, Appendix, Uterus, Hernia इत्यादि का आपरेशन किया जाएगा। इस मौके पर जिलाधिकारी द्वारा वार्ड, ब्लड बैंक तथा ब्लड कम्पोनेन्ट सप्रेंशन यूनिट का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी सन्तोषजनक नजर आई।

सफलतापूर्वक चला मिशन इंद्रधनुष 5.0 का पहला चरण

जनपद में सफलतापूर्वक चला मिशन इंद्रधनुष 5.0 का पहला चरण

लक्ष्य के सापेक्ष 97 प्रतिशत बच्चों व 99 प्रतिशत गर्भवती को किया प्रतिरक्षित

53 प्रतिशत उदासीन परिवार हुये जागरूक, बच्चों को लगवाया टीका

गाज़ीपुर। जनपद में सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 5.0 अभियान का पहला चरण 7 अगस्त से 14 अगस्त तक सफलतापूर्वक संचालित किया गया। राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण से छूटे जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को पूर्ण प्रतिरक्षित करने के लिए यह अभियान चलाया गया। जिसमें लक्ष्य के सापेक्ष 97 प्रतिशत बच्चों व 99 प्रतिशत गर्भवती को प्रतिरक्षित किया गया। अभियान का दूसरा चरण 11 सितंबर से 16 सितंबर तक चलाया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने बताया कि आईएमआई 5.0 के पहले चरण में लक्षित लाभार्थियों के सापेक्ष लगभग सभी बच्चों व गर्भवती को प्रतिरक्षित कर लिया गया है। शेष बच्चों व गर्भवती को नियमित टीकाकरण सत्र के दौरान कवर किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जनमानस की सुविधा के लिए नगरीय क्षेत्र के सभी सरकारी चिकित्सालयों व सीएचसी में सातों दिन व 24 नगरीय पीएचसी पर सोमवार को छोड़कर बाकी सभी दिनों में टीकाकरण किया जा रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में बुधवार व शनिवार को टीकाकरण सत्रों पर यह सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होंने अपील की है कि सभी परिजन जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के बच्चों व गर्भवती को समय से टीका लगवाएँ, जिससे वह गंभीर बीमारियों से बचे रहें। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी (प्रतिरक्षण) डॉ एस के मिश्रा ने बताया कि पहले चरण के लिए जनपद में छूटे हुये 20855 बच्चों व 5163 गर्भवती का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से 20187 (97%) बच्चों व 5113 (99%) गर्भवती को टीका लगाया गया। इसी के अंतर्गत नौ से 12 माह के 4696 (110%) बच्चों को मीजिल्स-रूबेला की पहली डोज़ तथा 16 से 24 माह के 4443 (107%) बच्चों को मीजिल्स-रूबेला की दूसरी डोज़ लगाई गई। इसके अतिरिक्त अभियान के तहत टीकाकरण के प्रति उदासीन और झिझक वाले परिवारों को जागरूक कर उनके बच्चों को उस माह का छूटा हुआ टीका भी लगाया गया है। इसमें लक्ष्य 829 परिवारों के सापेक्ष लगभग 53 प्रतिशत परिवारों को व्यवहार परिवर्तन कर उनके बच्चों को टीका लगाया गया। इस कार्य में ब्लॉक रिस्पोंस टीम, पर्यवेक्षक, यूनिसेफ की मोबिलाइज़ेशन टीम, पार्षद, स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति, कोटेदार, मदरसा शिक्षक आदि ने महत्वपूर्ण सहयोग किया। शेष परिवारों को नियमित टीकाकरण सत्रों के माध्यम से जागरूक कर टीकाकरण करने का प्रयास किया जा रहा है।
गर्भवती को टीडी का टीका – गर्भावस्था के दौरान टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) के दो टीके लगाये जाते हैं। यह टीका गर्भवती को दिये जाने से उनका व उनके गर्भस्थ शिशु का टिटनेस व डिप्थीरिया (गलघोंटू) रोग से बचाव करता है।
बच्चों को लगते हैं 11 तरह के टीके – मिशन इंद्रधनुष अभियान में बच्चों के लिए 11 वैक्सीन प्रिवेंटेबल डिज़ीज़ के टीकाकरण शामिल हैं जिनमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटेनस, पोलियो, क्षय (टीबी), हेपेटाइटिस-बी, मैनिंजाइटिस, निमोनिया हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-बी संक्रमण, रोटावायरस वैक्सीन, न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीएसवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) हैं। पाँच साल – सात बार, टीका न छूटे एक भी बार
• जन्म पर हेपेटाइटिस बी, पोलियो ज़ीरो डोज़, एवं बीसीजी।
• छह, 10 व 16 सप्ताह पर क्रमशः ओपीवी की पहली, दूसरी व तीसरी, आरपीवी की पहली, दूसरी व तीसरी डोज़, पेंटा की पहली, दूसरी व तीसरी डोज़।
• छह और 14वें सप्ताह पर आईपीवी फ्रैक्शनल की पहली व दूसरी डोज़ एवं नौ माह पूर्ण होने पर तीसरी डोज़।
• छह सप्ताह पर पीसीवी की पहली डोज़, 14वें सप्ताह पर दूसरी डोज़ और नौ माह पूर्ण होने पर तीसरी डोज़।
• नौ से 12 माह पर मीजिल्स-रूबेला (एमआर) की पहली डोज़ व विटामिन ए की पहली खुराक तथा 16 से 24 माह पर एमआर की दूसरी डोज़ और विटामिन ए की दूसरी खुराक 16 से 24 माह पर।
• 16 से 24 माह पर डीपीटी का पहला बूस्टर और 5 से 6 साल पर दूसरा बूस्टर।
• 16 से 24 माह पर ओपीवी बूस्टर डोज़।
• 10 साल पर टीडी का पहला टीका और 16 साल पर दूसरा टीका।

मेडिकल कॉलेज में पहली बार दूरबीन विधि से हुआ हड्डी का सफल आपरेशन

डा. सतीश कुमार ने किया गाज़ीपुर में प्रथम दूरबीन विधि से सफ़ल आपरेशन!


गाजीपुर। महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज में शनिवार को दूरबीन विधि से प्रथम हड्डी का सफ़ल आपरेशन किया गया। मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग सर्जन डा. सतीश कुमार की कड़ी मेहनत से मरीज़ पीयूष कुमार का सफ़ल आपरेशन हुआ। आपरेशन के बाद मरीज पीयूष ने कहा कि इस जटिल आपरेशन के लिए बड़े शहरों के निजी अस्पतालों में बहुत महंगा खर्च बताया जा रहा था। ज्यादा खर्च न दे पाने के कारण मेडिकल कॉलेज के अस्थि रोग विशेषज्ञों द्वारा सफ़ल आपरेशन हुआ। इस आपरेशन में डा. सतीश के साथ डा. कृष्णा यादव, डा. रजत सिंह और निश्चेतना विभाग से डा. आर.के मिश्रा (सह आचार्य), डा. विवेक रंजन व सम्पूर्ण ओ टी स्टॉफ का सहयोग रहा। दूरबीन विधि से ये सफ़ल आपरेशन गाज़ीपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। आम तौर पर चीर फाड़ से प्रतिदिन आपरेशन अस्पताल में होते हैं, और इसमें लंबे समय तक बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है, जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। मरीजों का कहना है कि प्रधानाचार्य डा. आनंद मिश्रा के अथक प्रयास से नव निर्मित मेडिकल कॉलेज दिन पर दिन नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में सीडीओ ने दिया निर्देश

गाजीपुर। मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार वैश्य की अध्यक्षता में जिला स्वास्थ्य समिति  (शासी निकाय) की बैठक शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में जननी सुरक्षा योजना कार्यक्रम के अन्तर्गत महिलाओ को निःशुल्क भोजन, दवा एव ड्राप बैक की सुविधा, ओ0पी0डी एवं अन्य बिन्दुओं पर समीक्षा की गयी। समीक्षा के दौरान उन्होने कहा कि हेल्थ वेलनेस सेन्टर पर आवश्यक दवाओ की उपलब्धता रहे। ओ पी डी का संचालन तथा नियमित रूप से सी एच ओ एवं एन एम की उपस्थिति का निर्देश दिया। मुख्य विकास अधिकारी ने सम्बन्धित चिकित्सा अधीक्षको को हेल्थ वेनलेस सेन्टर की क्रियाशीलता बराबर चेक करते रहने का निर्देश दिया।

समीक्षा के दौरान उन्होने जननी सुरक्षा योजनार्न्तगत गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव के सम्बन्ध मे जानकारी लेते हुए इस कार्यक्रम के अन्तर्गत महिलाओ को निःशुल्क भोजन तथा दवा एव ड्राप बैक की सुविधा के साथ-साथ 48 घण्टे रोके जाने के निर्देश दिये। उन्होने जनपद में पात्र व्यक्तियों का गोल्डेन कार्ड अभियान चलाकर बनाने का निर्देश देते हुए कहा कि कोई भी पात्र लाभार्थी इस योजना से वंचित न रहें। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी ने ई-कवच, मंत्रा एप्प, जननी सुरक्षा योजना, जे0एस0वाई के भुगतान, मातृत्व मृत्यु दर की समीक्षा, परिवार कल्याण कार्यक्रम, टीकाकरण, आशा/जे एस वाई भुगतान, क्षय रोग नियंत्रण, कुष्ठ उन्मूलन, प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना, आयुष्मान कार्ड, जन्म-मृत्यु पंजीयन,एवं अन्य बिन्दुओ पर विस्तारपूर्वक समीक्षा की। उन्होने कहा कि जो भी शासन की योजनाए संचालित है उसका शत-प्रतिशत क्रियान्वयन हो, काई भी पात्र व्यक्ति योजना से वंचित न रहे। बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एन एच एम), मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, समस्त एम ओ वाई सी एंव अन्य जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

बच्चों को पिलाई गई विटामिन ए की खुराक

गाजीपुर। सुभाकरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत स्वास्थ्य उपकेंद्र महाराजगंज में बाल स्वास्थ्य पोषण माह के अंतर्गत विटामिन-ए संपूरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल एवं महाराजगंज के ग्राम प्रधान नंदू प्रताप ने गुरूवार को अभियान का शुभारंभ करते हुये बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई। अभियान के तहत जनपद के सभी टीकाकरण सत्र स्थलों पर नौ माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाई जाएगी। इस मौके पर सीएमओ ने बताया कि विटामिन ए की खुराक बच्चों को कुपोषण मुक्त करने और उनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। एसीएमओ डॉ मनोज कुमार ने बताया कि विटामिन-ए वसा में घुलनशील विटामिन है जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। इसलिए आहार में विटामिन-ए युक्त आहार को शामिल करना जरूरी है। यह सूक्षम पोषण तत्व बच्चों के विकास में मदद करता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करते हैं। इससे आँख, दांत, हड्डियां और नरम ऊतकों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। दिल, फेफड़ों, किडनी और अन्य अंगों के कार्य में विटामिन-ए मददगार है। संतुलित आहार की कमी या लिवर से जुड़े विकारों के कारण विटामिन-ए की कमी हो सकती है। शरीर में विटामिन की कमी होने पर हल्की थकान, रूखी त्वचा, रैशेज, रूखे बाल, बाल झड़ने, खून की कमी, धीमा विकास, गले और छाती में इन्फेक्शन, घाव न भरने जैसे संकेत मिलते हैं।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एसके मिश्रा ने बताया कि बुधवार (16 अगस्त) से शुरू हुये विशेष टीकाकरण अभियान के तहत जनपद के सभी टीकाकरण सत्र स्थल के माध्यम से नौ माह से पाँच वर्ष तक के 4.13 लाख बच्चों को नियमित टीकाकरण के साथ विटामिन-ए पिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें नौ से 12 माह तक के 24208, एक से दो साल के 91224, दो से पाँच वर्ष के 2.98 लाख बच्चे शामिल हैं। नौ से 12 माह के बच्चों को मीजल्स-रूबेला (एमआर) के प्रथम टीके के साथ, 16 से 24 माह के बच्चों को एमआर के दूसरे टीके के साथ, दो से पाँच वर्ष के बच्चों को छह-छह माह के अंतराल पर विटामिन ए की खुराक दी जानी है। अभियान के लिए कुल 454 एएनएम तैनात की गई हैं। इस दौरान सीएमओ ने समस्त उपस्थित कर्मियों एवं आम जनमानस के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के आगामी दिनों में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल किए जाने के लिए समस्त संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया। इस अवसर पर डीपीएम प्रभुनाथ, अधीक्षक डॉ मुंशीलाल, डब्ल्यूएचओ एसएमओ, यूनिसेफ व चाई के प्रतिनिधि, यूएनडीपी के वीसीसीएम के अतिरिक्त आईसीडीएस, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं एएनएम, आशा कार्यकर्ता, सीएचओ आदि उपस्थित रहे।