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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण

एनीमिया को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया गया प्रशिक्षण

गाजीपुर। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत साप्ताहिक आयरन संपूर्ण कार्यक्रम का प्रशिक्षण ब्लाक मरदह के सभागार में उपस्थित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सोमवार को दिया गया। प्रशिक्षण देते हुए ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक प्रेम प्रकाश राय ने बताया कि एनीमिया एक प्रमुख जन समस्या है। जिसका मुख्य कारण अल्प पोषण और खानपान में आयरन तत्वों की कमी होना है। उत्तर प्रदेश सरकार किशोर किशोरियों में एनीमिया की रोकथाम के उद्देश्य एनीमिया मुक्त भारत के अंतर्गत साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड का कार्यक्रम क्रियान्वित कर रही है। इसमें आयरन गोलियों का प्रबंधन तथा किशोरावस्था में एनीमिया से बचाव के लिए उपयुक्त आयरन एवं प्रोटीन की समुचित मात्रा वाले खाद्य पदार्थ जैसे हरी सब्जी, अंकुरित आहार दाले, गुड़, भुना चना, दूध, अंडे को आहार में शामिल करना है।

प्रचुर मात्रा में आयरन युक्त आहार का सेवन करने के साथ-साथ आयरन की गोली लेना भी अति आवश्यक है। प्रशिक्षण के उपरांत उपस्थित सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को ब्लॉक प्रमुख सीता सिंह तथा जिला पंचायत सदस्य शैलेश के द्वारा प्रमाण पत्र का वितरण किया गयाप्रमाण पत्र वितरण के उपरांत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ब्लॉक प्रमुख सीता सिंह ने कहा कि एनीमिया एक गंभीर समस्या है जो स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक व मानसिक क्षमता को भी विपरीत रूप से प्रभावित करती है यह विश्व में सबसे अधिक पाए जाने वाले पोषण संबंधी कमियों में से एक है कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना अधिकारी राजेश सिंह, मुख्य सेविका रमापति गुप्ता, कुमारी देवी, कान्ति देवी, रमामति के अलावा सैकड़ों आँगनवाड़ी कार्यकर्त्री उपस्थित थी।

राष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता कार्यक्रम को लेकर आयोजित हुआ वर्कशॉप

ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय महामारी स्वच्छता कार्यक्रम जो आगामी दिनों में बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों एवं आंगनबाड़ियों के माध्यम से चलाया जाना है। जिसको लेकर सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह ने किया। जिसमें आए हुए लोगों को महावारी स्वच्छता कार्यक्रम को लेकर चर्चा किया गया। साथ ही उन्हें यह बताया गया कि महिलाओं और किशोरियों को इसके प्रति किस तरह से जागरूक करना है। क्योंकि आज भी ग्रामीण इलाकों में महामारी को लेकर कई तरह के भ्रांतियां फैली हुई हैं।

एसीएमओ डॉ उमेश कुमार ने बताया कि न्यूट्रिशन इंटरनेशनल के द्वारा राष्ट्रीय महामारी स्वच्छता कार्यक्रम आरकेएसके कार्यक्रम के तहत चलाया जाना है। जिसको लेकर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें ब्लॉकों के सभी बीपीएम, खंड शिक्षा अधिकारी ,सीडीपीओ और इंटर कॉलेज के शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। माहवारी स्वच्छता पर खुल कर बात करने और लोगों को इसके संबंध में जागरूक करने के लिए माहवारी स्वच्छता से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। माहवारी स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए किशोरियों और महिलाओं को सेनेटरी पैड इस्तेमाल करने को लेकर जागरूक भी किया जाएगा । जिले के स्वास्थ्य विभाग के साथ ही शिक्षा विभाग और आईसीडीएस के लोगों के माध्यम से जिले के सभी आशा और एएनएम के बीच माहवारी प्रबंधन से संबंधित जानकारी दी जाएगी।

किशोरी और महिलाएं माहवारी स्वच्छता पर बात करने में बहुत संकोच करती हैं। किशोरियां को इस दौरान अपने स्कूल नहीं जा पाती हैं। अभी भी लोग इस प्राकृतिक प्रक्रियाओं के बारे में गलत अवधारणा रखते हैं। परिवार में भी इस बारे में कोई बातचीत नहीं की जाती है। इस कार्यक्रम में न्यूट्रिशन इंटरनेशनल के ज्ञानेश्वर श्रीवास्तव, सुनीता सिंह, शुभ्रा पांडे के साथ ही ब्लॉक से बीपीएम , खंड शिक्षा अधिकारी ,सीडीपीओ और इंटर कॉलेज के शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।

सावधान:- किसी भी समय अचानक निरीक्षण किया जा सकता है

गाजीपुर। मुख्य चिकत्साधिकारी हर गोविंद सिंह ने बताया है कि जनपद में संचालित सभी निजी चिकित्सालयो के संचालकों को निर्देशित किया जाता है कि उनके संस्थान का पंजीकरण जिस-जिस कार्य हेतु किया गया है संस्थान में उक्त के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का कार्य न किया जाये। किसी भी समय आकस्मिक निरीक्षण किया जा सकता है। निरीक्षण के दौरान किसी प्रकार का अनाधिकृत कार्य करते हुये पाये जाने पर दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी। जिसकी समस्त जिम्मेदारी सम्बन्धित संस्थान के संचालक की होगी। उन्होने अवगत कराया है कि जनपद में कोई भी व्यक्ति/संस्थान बिना पंजीकरण का किसी प्रकार का चिकित्सा उपचार/जॉच या अन्य कोई भी अनाधिकृत चिकित्सकीय कार्य न करें। जिसका पंजीकरण अब तक नही हुआ है वे तत्काल अपने संस्थान का पंजीकरण अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में करा लें। अन्यथा की स्थिति में कृत कार्यवाही हेतु वे स्वयं जिम्मेदार होगे।

फार्मासिस्ट को दिया गया प्रशिक्षण, किया गया अभियान का शुभारंभ

क्षय रोग के दवा डिमांड व वितरण को लेकर फार्मासिस्ट को दिया गया प्रशिक्षण

सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान का हुआ शुभारंभ

ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक टीबी मुक्त भारत करने के क्रम में विभाग के द्वारा लगातार कवायद किया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में 20 से 22 फरवरी तक जनपद के समस्त फार्मेसिस्ट का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया। जिसमें उन सभी लोगों को दवाओं के निश्चय पोर्टल के माध्यम से डिमांड और वितरण के संबंध में जानकारी दी गई। जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ मिथिलेश सिंह ने बताया कि क्षय रोग के दवाओं के रखरखाव एवं मरीजों के सुदृढ़ रूप से वितरण करना एवं निश्चय औषधि पोर्टल के माध्यम से सभी दवाओं का डिमांड व वितरण करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम जनपद के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के फार्मासिस्ट का किया गया। उन्होंने बताया कि जनपद में कुल 105 फार्मासिस्ट हैं जो 20 से 22 फरवरी तक चलने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होंगे। उन्हें दवाओं के रखरखाव के संबंध में जानकारी दी जाएगी। इस दौरान आए हुए सभी फार्मासिस्ट को क्षय रोग मरीज को गोद लेने और अन्य लोगों से गोद लेने के लिए प्रेरित करने के लिए भी प्रशिक्षण में बताया गया। जनपद में अभी तक एक 1112 मरीजों को गोद लिया गया है। जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह 21, पंकज सिंह चंचल 21, मुख्य चिकित्सा अधिकारी 2, क्षय रोग अधिकारी 2, समस्त अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी 1-1 ,क्षय रोग विभाग के कर्मचारि 1-1 ,राजकीय महिला महाविद्यालय की प्राचार्य 5, सभी शिक्षक 1-1 व अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा टीबी मरीजों को गोद लिया गया है। इस दौरान सोमवार से सक्रिय टीबी रोगी खोजी अभियान का भी शुभारंभ हुआ। जो जनपद के सभी मदरसा, वृद्धा आश्रम, बाल सुधार गृह में चलाया गया जहां पर सभी सस्पेक्टेड लोगों का बलगम परीक्षण व स्कैनिंग किया गया। वहीं अगले दो दिनों तक जिला कारागार के बंधुओं का परीक्षण किया जाएगा। जनपद में 1 जनवरी 2023 से अब तक 494 टीबी मरीज खोजे गए हैं। जबकि साल 2022 में पहले 3603 और निजी चिकित्सालय के माध्यम से 525 टीबी मरीजों को खोजा गया था।

जिला अस्पताल में पीड़ित बच्चो का किया गया नि:शुल्क इलाज

जिला अस्पताल ग़ाज़ीपुर में क्लब्फूट (टेढ़े- मेढ़े पंजे) पीड़ित बच्चो का किया गया नि:शुल्क इलाज ।

महर्षि विश्वामित्र स्वशासी मेडिकल कालेज से संबंध होने से जिला अस्पताल मे मिलने सुविधाएं बढ़ रही है

  • जिला अस्पताल में 8 क्लब्फुट के बच्चों का निःशुल्क इलाज पोनेसेटी मेथड से प्लास्टर लगाया गया ।

ग़ाज़ीपुर। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत एवं अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से जिला अस्पताल गाजीपुर में अब तक 75 बच्चो का नि:शुल्क इलाज किया जा चुका है।.जो की क्लबफुट (टेढ़े पंजे) से पीड़ित थे । जिला अस्पताल के हड्डी विभाग मे कार्यरत डॉ० सतीश सिंह तथा डॉ० के के यादव द्वारा 8 बच्चो का बुधवार को पोनसेटी मेथड से प्लास्टर लगाया गया। डॉ० सतीश सिंह ने बताया कि इन बच्चो के पैर सीधे हो जाने पर जल्द बच्चो का टेनोटॉमी(छोटा आपरेशन) किया जाएगा और फिर ये बच्चे ब्रेस (विशेष प्रकार के जूते ) पहन पाएंगे। डॉ० के के यादव ने बताया कि क्लब फुट एक जन्मजात विकृति है जन्म के समय से ही बच्चो के पैर का पंजा मुड़ा हुआ होता है। उन बच्चों के पैरों के उपचार के लिये पोंसेटी तकनीकी के सहयोग से क्लब फुट का उपचार संभव है। अनुष्का फाउंडेशन के ब्रांच मैनेजर ने बताया की बच्चे के पैर को धीरे-धीरे बेहतर स्थिति में लाना है और फिर इस पर एक प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है, जिसे कास्ट कहा जाता है। यह हर सप्ताह 5 से 8 सप्ताह तक के लिए दोहराया जाता है। आखिरी कास्ट पूरा होने के बाद, अधिकांश बच्चों के टेंडन को ढीला करने के लिए एक मामूली ऑपरेशन (टेनोटॉमी) की आवश्यकता होती है। यह बच्चे के पैर को और अधिक प्राकृतिक स्थिति में लाने में मदद करता है। जिससे पैर अपनी मूल स्थिति पर वापस न आ जाए। फिर बच्चा 4 सालो तक ब्रेस या विशेष प्रकार के जूते पहनता है जो की अनुष्का फाउंडेशन द्वारा नि:शुल्क दिया जाता है। अनुष्का फाउंडेशन के प्रोग्राम एक्जिक्यूट आनंद कुमार ने बताया कि 0 – 2 साल तक के बच्चे इस नि:शुल्क इलाज का लाभ ले सकते है हमारे संस्था के द्वारा बच्चो के प्लास्टर में लगने वाला जिप्सोना तथा और ब्रेस ( विशेष प्रकार का जूता ) नि: शुल्क प्रदान किया जाता है।कभी-कभी इस प्रक्रिया के काम नहीं करने का मुख्य कारण यह होता है कि ब्रेसिज़ (विशेष प्रकार के जूते) लगातार उपयोग नहीं किये जाते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपका बच्चा लंबे समय तक विशेष जूते और ब्रेसिज़ आमतौर पर तीन महीने के लिए पूरे समय और फिर रात में पहनाने होते है।

मानसिक रोगियों का हुआ ईलाज

गाजीपुर। शासन के मंशा के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम के अनुपालन एवं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह के निर्देशानुसार बुधवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मुहम्मदाबाद पर वृहद मानसिक स्वास्थ्य ओपीडी डा0 नवीन कुमार सिंह साईक्राईटी एवं उनकी टिम के द्वारा क्षेत्र से आए 43 मरीजों का उपचार किया गया। जिसमे परामर्श एवं अन्य आवश्यक सलाह भी दिया गया। इस ओपीडी सेवा में मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्तियों एवं मंद बुद्धि बालको को अधिक से अधिक मानसिक सेवाओं का लाभ दिया गया।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद के चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के ओपीडी के लिए क्षेत्र में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कराया गया था। जिसके तहत उक्त दिवस पर कुल 43 मरीज पहुंचे जिनका डॉ नवीन सिंह एवं उनकी टीम के द्वारा इलाज एवं परामर्श दिया गया। उन्होंने बताया की उक्त दिवस पर हर तरह के टेंशन, सर दर्द, माइग्रेन (अधकपारी), काम में मन न लगना मन उदास, अकेलापन आत्म हत्या का विचार आना, अकेले बुदबुदाना, वेवजह बात करना, नींद का न आना या बार बार नींद खुल जाना, बुढ़ापे में याददाश्त की कमी, मन्दबुद्धि बच्चों में चिड़चिड़ापन , पढ़ाई में मन न लगना, बार बार हाथ पैर धोना ज्यादा सफाई,एक ही विचार बार बार आना, हिस्टीरिया, शराब, गांजा, तम्बाकू, भाग, चरस , स्मैक आदि, सेक्स में रूचि न होना , शीघ्र पतन, दांत की समस्या, हबराहट , बेचैनी, चिन्ता, आवश्यक डर लगना, बार बार बेहोशी, तथा बच्चों एवं बुजुर्ग की व्यवहारिक समस्या इत्यादि से ग्रसित का उपचार, परामर्श इत्यादि किया गया। इस तरह के लक्षण हो तो उपचार कराएं। गांव में झाड़-फूंक, ओझा के चक्कर में न पड़ें। इसके लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य की टीम जिला अस्पताल में उपचार के लिए मुस्तैद रहती है। यहां मानसिक रोगियों के लिए काउंसिलिग की भी सुविधा है। जिसमे ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक संजीव कुमार, फार्मासिस्ट इमरान, बीसीपीएम मनीष कुमार, डा0 पी पी सिंह , बब्लू यादव, आशुतोष पाण्डेय, इत्यादि एवं सतीश कुमार नर्स सहयोग में रहे।

जनपद के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर लगेगा एक दिवसीय ओपीडी

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जनपद के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर लगेगा एक दिवसीय ओपीडी

ग़ाज़ीपुर।मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जनपद के स्वास्थ्य केंद्रों पर एक दिवसीय ओपीडी किए जाने का शासनादेश आया है। जिसको लेकर विभाग की तरफ से माइक्रो प्लान बना लिया गया है। इस क्रम में सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद पर ओपीडी कार्यक्रम को लेकर सीएचओ, एएनएम, एचवी, आशा एवं आशा संगिनी के साथ ओपीडी सफल बनाने हेतु क्षेत्र में प्रचार प्रसार करने को लेकर प्रशिक्षण दिया गया । आयोजित ओपीडी मानसिक स्वास्थ्य के डॉ नवीन कुमार सिंह एवं उनकी टीम के द्वारा किया जाएगा।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि शासन के मंशा के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य देखरेख के अंतर्गत ओपीडी एवं मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बैठक में आए हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि ओपीडी में आने वाले मंदबुद्धि बालकों को अधिक से अधिक मानसिक सेवाओं का लाभ दिया जाय इसी को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार करने हेतु बैठक किया गया। जिसमें मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों को अधिक से अधिक ओपीडी तक पहुंचाने को लेकर उन्हें प्रशिक्षित किया गया।

उन्होंने बताया कि ओपीडी में सर दर्द ,माइग्रेन काम में मन न लगना, मन उदास, अकेलापन, आत्महत्या का विचार आना ,अकेले में बुदबुदाना , बेवजह अकेले में बात करना, नींद का ना आना या बार-बार नींद खुल जाना, बुढ़ापे में यादाश्त की कमी, मंदबुद्धि बच्चों में चिड़चिड़ापन, पढ़ाई में मन ना लगना, बार-बार हाथ पैर धोना, हिस्टीरिया, शराब गाजा तंबाकू के साथ ही सेक्स में रुचि ना होना, शीघ्रपतन ,दांत की समस्या सहित कई तरह के रोगों से ग्रसित लोगों का इस ओपीडी में उपचार व परामर्श दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मरदह 8 फरवरी, मोहम्मदाबाद 15 फरवरी, रेवतीपुर 22 मार्च ,भदौरा 1 मार्च, जमानिया 15 मार्च ,करंडा 22 मार्च ,मनिहारी 5 अप्रैल ,बिरनो 12 अप्रैल और कासिमाबाद में 26 अप्रैल को मानसिक स्वास्थ्य ओपीडी कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

कार्यक्रम में संजीव कुमार ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक, फार्मासिस्ट इमरान, बीसीपीएम मनीष कुमार के साथ सीएचओ ,एएनएम,आशा व आशा संगिनी व अन्य लोग मौजूद रहे।

एंबुलेंस कर्मियों को किया गया सम्मानित

बेहतर कार्य करने के लिए 44 एंबुलेंस कर्मियों को किया गया सम्मानित

पिछले 1 साल में एंबुलेंस के अंदर 60 बाल बालक और बालिकाओं ने लिया जन्म

ग़ाज़ीपुर। 102 और 108 एंबुलेंस उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल है। इस योजना के माध्यम से अब तक लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा चुकी है। ऐसे लोगों की जिंदगी बचाने वाले इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन, एंबुलेंस के पायलट के बेहतर कार्य को देखते हुए कुल 44 लोगों को जिला अस्पताल पर मंडल प्रभारी सुमित कुमार दुबे के द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। 102 और 108 एंबुलेंस के ब्लॉक प्रभारी दीपक राय ने बताया कि शासन की मंशा के अनुरूप आमजन के द्वारा कॉल किए जाने पर बताए गए लोकेशन पर क्विक रिस्पांस करते हुए समय पर पहुंचना और फिर उन्हें स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में कुल 44 इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन और पायलट ने अपनी महती भूमिका निभाई है।। जिससे प्रभावित होकर मंडल प्रभारी सुमित कुमार दुबे के द्वारा सभी को प्रशस्ति पत्र देकर शुक्रवार को सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि जनपद में 37 एंबुलेंस 108 के हैं जबकि 42 ,102 एंबुलेंस है। जिनके माध्यम से जनवरी माह में 20 हजार लाभार्थियों को सेवा प्रदान किया गया है। वहीं अगर हम पिछले साल 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 की बात करें तो कुल 1.35 लाख लाभार्थियों ने एंबुलेंस सेवा का लाभ उठाया है। साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले साल एंबुलेंस के अंदर कुल 60 डिलेवरी इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन और पायलट के सहयोग से कराया गया है। जिसमें 40 कन्या और 20 बालको ने जन्म लिया है। साथ ही बहुत सारे ऐसे क्रिटिकल मरीज भी रहे हैं जिन्हें उपचार के लिए बीएचयू वाराणसी भी पहुंचाया गया। इस मौके पर संदीप चौबे, अखंड सिंह, आशुतोष एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

20 फरवरी से 3 मार्च तक चलेगा अभियान

20 फरवरी से 3 मार्च तक चलेगा सघन टीबी रोगी खोज अभियान

ग़ाज़ीपुर। साल 2025 तक टीबी रोगी मुक्त भारत बनाने के क्रम में इन दिनों विभाग की तरफ से लगातार कवायद चल रहा है। जिस के क्रम में 20 फरवरी से 3 मार्च तक सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा । यह अभियान 5-5 दिनों के दो चरणों में चलाया जाना है। जिसका मुख्य उद्देश्य समुदाय में क्षय रोगी को खोजना है और उन्हें इलाज पर रखकर स्वस्थ करना। जिससे कि 2025 का लक्ष्य पूरा किया जा सके। जिला कार्यक्रम समन्वयक क्षय रोग विभाग डॉ मिथिलेश सिंह ने बताया कि 20 फरवरी से 3 मार्च तक चलने वाला 10 दिवसीय टीबी रोगी खोज अभियान जिस के क्रम में 20 फरवरी से 25 फरवरी तक शहरी एवं ग्रामीण मलिन बस्ती एवं हाई रिस्क जनसंख्या ( एचआईवी और मधुमेह) के 20 % जनसंख्या को कवर करना है।इसके बाद 26 फरवरी से 3 मार्च तक जनपद के अनाथालय, वृद्धआश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय, कारागार, चिन्हित समूह, सब्जी मंडी, फल मंडी, लेबर मार्केट, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट, ईट भट्ठा के साथ साप्ताहिक बाजार को भी आच्छादित करना है। उन्होंने बताया कि जिला जेल के समस्त कैदियों का टीबी एचआईवी की जांच कराए जाने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। साथ ही सभी कैदियों का टीबी एचआईवी की जांच त्रैमासिक रूप से भी किया जाना सुनिश्चित किया गया है। क्षय रोग विभाग के आंकड़ों की बात करें तो जनपद में 1 जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक प्राइवेट अस्पतालों के माध्यम से 525 और स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से 3575 क्षय रोग के मरीज खोजे गए थे। इसके अलावा 1 जनवरी से 31 जनवरी तक प्राइवेट अस्पतालों से 28 और स्वास्थ्य केंद्रों से 288 मरीजों को चिन्हित किया जा चुका है। वही पिछले दिनों टीबी मरीजों को गोद लिए जाने का अभियान चलाया गया था। जिसमें जनपद के कुल 41 लोगों ने अब तक 1112 टीवी मरीजों को गोद लेकर उन्हें प्रत्येक माह पोषण देकर उन्हें स्वस्थ करने की कवायद में लगे हुए हैं।

निकाली गई जागरूकता रैली

स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के तहत निकाली गई जागरूकता रैली

ग़ाज़ीपुर। स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान जो 30 जनवरी यानी महात्मा गांधी के पुण्यतिथि से शुरू होकर 13 फरवरी तक जनपद में चलेगा। इसी कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह के निर्देशन में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के तहत एक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। जो विकास भवन से शुरू होकर जिला महिला अस्पताल स्थित कुष्ठ रोग विभाग पर जाकर खत्म हुआ। इस दौरान बैनर, पोस्टर, पंपलेट के माध्यम से लोगों को कुष्ठ रोग के बारे में जानकारी दी गई। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ एसडी वर्मा ने बताया कि शासन की तरफ से 30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें अधिक से अधिक लोगों तक कुष्ठ रोगों के प्रति जागरूकता और कुष्ठ रोग की पहचान के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसी के साथ जागरूकता रैली निकाली गई है। इस रैली में पूरे रास्ते बैनर पोस्टर पंपलेट और लाउडस्पीकर के माध्यम से कुष्ठ रोग के पहचान के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि इस तरह की कोई भी लक्षण दिखे तो ऐसे लोग तत्काल स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर डॉक्टर से संपर्क करें और इस का निशुल्क इलाज कराए। जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ एसडी वर्मा ने बताया कि कुष्ठ रोग से डरने की आवश्यकता नहीं है। शरीर का कोई भी दाग धब्बा जिस पर सुन्नपन हो, उसमें खुजली ना हो, पसीना ना आता हो, कुष्ठ रोग हो सकता है । कान पर गांठे होना, हथेली और तलवों पर सुन्नपन होना कुष्ठ रोग के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग की दवा सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। आज के इस कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ उमेश कुमार, डॉ जे एन सिंह, डॉ सुजीत मिश्रा आशा कार्यकर्ता विभाग के एनएमएम एनएमएस के साथ ही अन्य लोग भी मौजूद रहे।