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ग्राम पंचायतें होंगी टीबी मुक्त, विभाग पूर्ण रूप से तैयार

जनपद की 22 ग्राम पंचायतें होंगी टीबी मुक्त, स्वास्थ्य व पंचायती राज विभाग पूर्ण रूप से तैयार

‘टीबी मुक्त ग्राम पंचायत’को सफल बनाए जाने के लिए जनपद स्तरीय सत्यापन समितियां गठित

निर्धारित छह मानकों के अनुसार होगा ग्राम पंचायतों व उनके आंकड़ों का भौतिक सत्यापन

गाज़ीपुर। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान व राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त बनाए जाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के मद्देनजर जनपद के 12 ब्लॉक की 22 ग्राम पंचायतों को ‘टीबी मुक्त ग्राम पंचायत’ बनाए जाने के लिए चिन्हित किया गया है। शासन से निर्धारित छह मानकों को पूरा कर प्रथम चरण में सभी 22 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत घोषित किया जाएगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ देश दीपक पाल ने दी।
सीएमओ ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चिन्हित ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत बनाए जाने के लिए जनपद स्तरीय तीन सत्यापन समिति का गठन किया गया है। ब्लॉक स्तर पर गठित समितियों के द्वारा चिन्हित ग्राम पंचायतों एवं उनके आंकड़ों का भौतिक सत्यापन का कार्य पूर्ण किया जाएगा। इस अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाए जाने के लिए स्वास्थ्य एवं पंचायती राज विभाग पूर्ण रूप से तैयार व सक्रिय हैं। इस संबंध में मंगलवार को शासन स्तर से विभिन्न दिशा निर्देश प्राप्त हुये हैं, जिनको जिला पंचायती राज अधिकारी (डीपीआरओ) अंशुल कुमार मौर्य के सहयोग से पूरा किया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद के 12 ब्लॉक से 22 ग्राम पंचायतों क्रमशः रेवतीपुर से दशमंतपुर व सुगमालिया, कासिमाबाद से रोहिली व शक्करपुर, सादात से भीरभन व रानीपुर, बारचवार से पिहुली व कुबरी, मोहम्मदाबाद से करनपुरा, भांवरकोल से गोदीखास, करंडा से लीलापुर व सोनहरिया, बिरनों से माधोपुर व बल्लीपुर, देवकली से शिवदासीचक व लोनेपुर, सैदपुर से ईचवल व गौरी, मरदह से कंसहरी व कलवार, जमानिया से रामपुर सलेनपुर, करजही, जगदीशपुर व सरया को चिन्हित किया गया है। इस कार्य में पंचायती राज विभाग व अन्य विभागों का सहयोग लिया जाएगा।
एनटीईपी के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि जनपद स्तरीय सत्यापन टीम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अध्यक्ष एवं जिला क्षय रोग अधिकारीको सहयोजक नामित किया गया है। जनपद स्तरीय सत्यापन कमेटी में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं उनके द्वारा नामित सदस्य जिला पंचायती राज अधिकारी एवं उनके द्वारा नामित सदस्य, जिला क्षय रोग अधिकारी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रतिनिधि, मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रतिनिधि एवं अन्य विभागों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित करते हुए टीम का गठन किया गया है।प्रत्येक टीम में दो जनपद स्तरीय अधिकारियों (प्रथम सदस्य के रूप में चिकित्सा अधिकारी, आईएमएके प्रतिनिधि, मेडिकल कालेज के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रतिनिधि, द्वितीय सदस्य के रूप में डीपीआरओ, एडीपीआरओ, उप डीपीआरओ एवं अन्य विभाग के प्रतिनिधि) को सम्मिलित किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक टीम को एनटीईपी के सदस्य फैसिलिटेटर के रूप में सहयोग प्रदान करेंगे। इन टीमों के द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाएगा।
यह होंगे निर्धारित मानक – डीपीसी डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि टीबी मुक्त ग्राम पंचायत बनाए जाने के लिए शासन स्तर से छह मानक निर्धारित किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं-
• संभावित टीबी जांच की संख्या (प्रति 1000 की आबादी पर),
• टीबी नोटिफिकेशन दर (प्रति 1000 की आबादी पर),
• टीबी उपचार की सफलता दर,
• दवा संवेदनशीलता जांच की दर,
• निक्षय पोषण योजना
• टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत टीबी मरीजों को प्राप्त पोषण संबंधी सहायता

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एएनएम की हुई विदाई

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनिहारी पर एएनएम सविता चौबे का हुआ विदाई समारोह

गाजीपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनिहारी पर तैनात एएनएम सविता चौबे जो 31 दिसंबर को अपने नौकरी के कार्य अवधि को पूरा करते हुए सेवानिवृत हुई। उनका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सोमवार को भव्य तरीके से विदाई समारोह का आयोजन अधीक्षक डॉ धर्मेंद्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।। इस अवसर पर संबंधित कर्मियों ने सविता चौबे के कार्यकाल के दौरान किए गए बेहतर कार्य की सराहना किया। बीपीएम धीरज विश्वकर्मा ने बताया कि सविता चौबे जो नियमित टीकाकरण के साथ ही साथ विभागीय कार्यों को पूरी तत्परता से निभाते हुए सेवानिवृत हुई है। साथ ही उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दौरान जिस तरह से महामारी चली हुई थी । और टीकाकरण का कार्य जोरो पर था। ऐसे वक्त में सविता चौबे ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिसे विभाग कभी भुला नहीं पाएगा। इस कार्यक्रम में अधीक्षक डॉ धर्मेंद्र कुमार और अन्य सभी कर्मचारियों की तरफ से सविता चौबे का विधिवत विदाई समारोह किया गया। जिसमें उन्हें रामचरितमानस ,छड़ी वह अन्य उपहार दिए गए। इस अवसर पर विपिन तिवारी, बीसीपीएम विजय बहादुर, अनुराग चौबे, जेपी यादव ,रंजू देवी उपस्थिति रही। वहीं कार्यक्रम का संचालन लल्लन राम के द्वारा किया गया।

54 नए कुष्ठ रोगी हुए चिन्हित

कुष्ठ रोगी खोजी अभियान में 54 नए कुष्ठ रोगी हुए चिन्हित

ग़ाज़ीपुर।कुष्ठ रोगी खोजी अभियान जो 21 दिसंबर से 4 जनवरी तक पूरे जनपद में पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर चलाया गया। जिसका सकारात्मक परिणाम भी निकाल कर सामने आया। इस अभियान में 54 कुष्ठ रोगियों की खोज हुई है।जिन्हें एमडीटी के तहत इलाज किया गया। साथ ही यह संभव है कि इस अभियान का आने वाले कुछ समय में और परिणाम निकल कर सामने आए। क्योंकि बहुत सारे लोग सामाजिक डर से अपने इस रोग को किसी को बताना नहीं चाहते हैं। इस अभियान में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ही साथ एसीएमओ और नोडल कुष्ठ रोग डॉ रामकुमार खुद इस अभियान में ग्राउंड पर पहुंचकर रोगियों की खोज की।

नोडल डॉ रामकुमार ने बताया कि यह अभियान एक महत्वपूर्ण अभियान में था। क्योंकि सरकार के द्वारा इसे पल्स पोलियो अभियान की तर्ज पर चलाया गया था। जिसमें घर-घर स्वास्थ्य कर्मी पहुंचे और रोगियों के बारे में जानकारी हासिल किया। इसी क्रम में वह स्वयं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैदपुर के अंतर्गत ग्राम होलीपुर सहित कई गांव में रोगियों के खोज में जुटे।

यह अभियान 21 दिसंबर से शुरू होकर 4 जनवरी तक चला। जिसमें करीब 35 लाख लोगों का परीक्षण किया गया। जिसमें से 2060 संदिग्ध रोगी पाए गए। संदिग्ध की जांच के पश्चात 54 कुष्ठ रोगी की पुष्टि हुई। इसके पश्चात इन सभी मरीजों को एमडीटी योजना के तहत इलाज किया गया।

कुष्ठ एक संक्रामक रोग है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक एसिड-फास्ट रॉड के आकार का बेसिलस है। यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमजोर करता है। कुष्ठ रोग में त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।धब्बे संवेदना रहित होते हैं और रोग की शुरुआत बहुत धीमी गति व शांति से होती है। यह तंत्रिकाओं, त्वचा और आंखों को प्रभावित करता है। सभी संक्रामक रोगों में कुष्ठ रोग अत्यधिक घातक है, क्योंकि इस रोग में स्थाई शारीरिक दिव्यांगता हो सकती है एवं इस रूप में विशेष रुप से रोग में दिखने वाली दिव्यांगता ही मरीज के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव के लिए जिम्मेदार है।

यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और दिव्यांगता का कारण बन सकता है। कुष्ठ रोगियों के पैरों के तलवों में छाले, मांसपेशियों की कमजोरी और वजन में कमी सामान्य सी बात है।

कुष्ठ रोग का शीघ्र पता चल जाए तो इसका उपचार मल्टी ड्रग थेरेपी (एम.डी.टी.) द्वारा संभव है। एमडीटी के उपचार के बाद इस रोग की पुनरावृत्ति दुर्लभ होती है | कुष्ठ रोग के लक्षण दिखने पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर एमडीटी निःशुल्क उपलब्ध है।

न्यू मार्केट के दो दवा विक्रेताओं पर गिरी गाज

गाजीपुर। आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषद्यि प्रशासन लखनऊ के आदेश पर जिलाधिकारी तथा अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) के निर्देश पर औषधि निरीक्षक, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन गाजीपुर द्वारा नगर में स्थित दो थोक दवा विक्रेता चौरसिया मेडिसिन कार्नर, प्रो0-नितिन चौरसिया न्यू मार्केट मिश्र बाजार और दवा केन्द्र प्रो0-धीरज गुप्ता न्यू मार्केट मिश्र बाजार के प्रतिष्ठान का दिनांक 15 सितम्बर 2023 को औचक निरीक्षण कर छापा मारा गया था। छापेमारी के दौरान इनके प्रतिष्ठान पर रखे हुए दस्तावेजो का गहन निरीक्षण किया गया। दस्तावेजो के निरीक्षण से पता चला कि उपरोक्त प्रतिष्ठान नशीली दवाओं और फेन्सिडिल कफ सिरफ (कोडिनयुक्त) के क्रय-विक्रय में लिप्त हैं। इस मामले में आख्या सहायक आयुक्त (औषधि) वाराणसी मण्डल वाराणसी को अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रेषित की गयी थी। जिसके क्रम में बुधवार को सहायक आयुक्त (औषधि) वाराणसी मण्डल वाराणसी द्वारा कार्यवाही करते हुए दोनो थोक विक्रेताओं के प्रोडक्ट परमीशन को निरस्त कर दिया गया है। जनपद में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने हेतु औषधि निरीक्षक, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन गाजीपुर द्वारा निरन्तर जांच प्रक्रिया जारी रहेगी। इस दौरान नशीली दवाओं के दुरुपयोग करने पर दोषियों के विरुद्ध औषधि प्रसाधन एवं सामग्री अधिनियम-1940 के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही की जायेगी।

सीएमओ कार्यालय में मिला बीपीएम व बीसीपीएम को प्रशिक्षण

टीबी उन्मूलन के लिए निक्षय पोर्टल पर सही फीडिंग व कार्यों की मॉनिटरिंग जरूरी

सीएमओ कार्यालय में क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बीपीएम व बीसीपीएम को मिला प्रशिक्षण

अधिक नोटिफिकेशन, स्क्रीनिंग, निर्धारित मानकों पर शत-प्रतिशत रिपोर्टिंग पर भी दिया ज़ोर

वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाना हम सभी की प्राथमिकता – डीटीओ



गाज़ीपुर। जनपद के गोरा बाजार स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में शनिवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान समस्त 16 प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम) और ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (बीसीपीएम) को प्रशिक्षित किया गया। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल के नेतृत्व में सभी प्रतिभागियों को निक्षय पोर्टल 2.0 पर टीबी नोटिफिकेशन व निक्षय पोषण योजना की सही फीडिंग, ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग, नोटिफिकेशन और टीबी मुक्त भारत के तहत निर्धारित किए गए 11 मानकों पर लक्ष्य के सापेक्ष शत-प्रतिशत रिपोर्टिंग करने पर ज़ोर दिया। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ मनोज कुमार सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार सिंह, जिला पीपीएम समन्वयक अनुराग कुमार पाण्डेय एवं डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ वीजी विनोद ने करीब 35 स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया। डीटीओ डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि शासन समेत जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश के क्रम में जनपद में टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। इसके लिए समय-समय पर अभियान और विशेष शिविर लगाकर लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। ब्लॉक सीएचसी-पीएचसी के समस्त स्टाफ समेत एनटीईपी के सभी कर्मी और स्वास्थ्यकर्ताओं को लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाना हम सभी की प्राथमिकता है।

डीपीसी डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण में बीपीएम को निक्षय पोर्टल 2.0 और निक्षय पोषण योजना को लेकर की जा रही फीडिंग की सही मॉनिटरिंग की जानी चाहिए, जिससे जनपद की उपलब्धि बेहतर प्रदर्शित हो। बीसीपीएम को समुदाय में लोगों की ज्यादा से ज्यादा टीबी स्क्रीनिंग, नोटिफिकेशन और टीबी स्कोर के लिए निर्धारित मानकों को लेकर लक्ष्य के सापेक्ष शत-प्रतिशत रिपोर्टिंग हर माह समय से की जाए। टीबी स्कोर से ही जनपद की रैंकिंग निर्धारित की जाती है। इसके अलावा आयुष्मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के टीबी उन्मूलन कार्यों की भी मॉनिटरिंग की जाए। सामुदायिक स्तरीय बैठकों में लोगों के बीच टीबी के लक्षण, कारण, स्क्रीनिंग, जांच, उपचार व निक्षय पोषण योजना के तहत रोगियों को उपचार के दौरान हर माह दिए जा रहे 500 रुपये के बारे में भी ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार किया जाए। टीबी के सम्पूर्ण उपचार व इलाज अधूरा न छोड़ने के बारे में भी जानकारी दी जाए। कासिमाबाद ब्लॉक की बीसीपीएम शमा परवीन ने बताया कि प्रशिक्षण में टीबी के नोटिफिकेशन बढ़ाने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग जांच व उपचार के बारे में जानकारी दी गई। जन जागरूकता पर भी ज़ोर दिया गया। अब वह ब्लॉक पर जाकर समस्त स्वास्थ्यकर्मियों, सीएचओ और आशाओं को इसके बारे में विस्तार से बताएंगी जिससे वह लोगों को जागरूक कर सकें। देवकली ब्लॉक के बीपीएम प्रदीप कुमार ने कहा कि प्रशिक्षण में निक्षय पोर्टल और निक्षय पोषण योजना के सही फीडिंग को लेकर मिली जानकारी के बारे में वह डाटा ओपरेटर व अन्य संबन्धित स्वास्थ्यकर्मी को इसकी जानकारी देंगे, जिससे रिपोर्टिंग बेहतर हो सके।

सीएमओ कार्यालय में स्वास्थ्यकर्मियों को मिला प्रशिक्षण

टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने व ज्यादा से ज्यादा स्क्रीनिंग, जांच करने पर दिया जाए ज़ोर

सीएमओ कार्यालय में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को मिला प्रशिक्षण

नोटिफिकेशन के साथ ही टीबी रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार पूरा करना भी आवश्यक

वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना हम सभी की की प्राथमिकता



गाज़ीपुर। जनपद के गोरा बाजार स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में बुधवार को राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत समस्त प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के स्वास्थ्य कर्मियों और एनटीईपी के कर्मचारियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल के नेतृत्व में सीएचसी व पीएचसी के लैब टेकनीशियन (एलटी), लैब असिस्टेंट (एलए) और कोविड-19 एलटी समेत एनटीईपी के सभी कर्मचारियों को टीबी नोफिकेशन बढ़ाने और अधिक से स्क्रीनिंग व जांच करते हुए प्रिविलेन्स ऑफ टीबी रिएक्टिव (पीटीआर) के लिए प्रशिक्षण दिया गया। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ मनोज कुमार सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार सिंह और डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ वीजे विनोद ने समस्त 60 स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया। डीपीसी डॉ मिथलेश कुमार ने बताया कि शासन समेत जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश के क्रम में जनपद में टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। इसके लिए समय समय पर अभियान और विशेष शिविर लगाकर लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। एनटीईपी के सभी कर्मी, सीएचसी-पीएचसी के स्वास्थ्यकर्मियों और स्वास्थ्यकर्ताओं को लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है। वर्तमान में जनपद में टीबी का नोटिफिकेशन रेट लक्ष्य के सापेक्ष 74 प्रतिशत चल रहा है जिसको वर्ष के अंत तक शत-प्रतिशत पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नोटिफिकेशन अधिक होने के साथ ही टीबी रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार पूरा करना भी आवश्यक है। वर्तमान में जनपद का टीबी सक्सेस रेट 88 प्रतिशत चल रहा है। टीबी रोगियों को लगातार निक्षय मित्रों द्वारा गोद लेकर उनके उपचार व पोषण में मदद की जा रही है। साथ ही उन्हें भावनात्मक सहयोग भी दिया जा रहा है। वर्तमान में जनपद में 235 निक्षय मित्रों ने 402 मरीजों को गोद लिया है, जिनका उपचार चल रहा है।



दवा का पूरा कोर्स जरूरी

डॉ मिथलेश ने बताया कि यदि टीबी के लक्षणों के आधार इसकी पहचान शुरुआती दिनों में हो जाए तो मरीज छह माह के सम्पूर्ण उपचार से ठीक हो जाता है। टीबी का इलाज अधूरा छोड़ने पर यह गंभीर रूप लेकर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के रूप में सामने आता है। टीबी के मरीज ड्रग रेजिस्टेंट न हों इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला टीबी नियंत्रण इकाई मरीजों का नियमित फॉलोअप कर रही है। टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये पोषण भत्ते के रूप में सीधे मरीज के खाते में भेजे जाते हैं।

वर्ष 2025 तक प्राप्त करना है लक्ष्य

डब्ल्यूएचओ के डॉ वीजे विनोद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व स्तर पर निर्धारित समय सीमा से पांच साल पहले यानि साल 2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन के लिए एक अभियान शुरू किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, टीबी के उन्मूलन का मतलब होगा कि वर्ष 2025 तक देश की एक लाख की आबादी पर टीबी के अधिक से अधिक 44 मामले से अधिक न हों। डब्ल्यूएचओ ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार वर्तमान में देश की एक लाख की आबादी पर 199 टीबी रोगी मौजूद हैं जिसको वर्ष 2025 तक बेहद कम कर लक्ष्य को प्राप्त करना हम सभी की प्राथमिकता है।

जिले को मिली नई एम्बुलेंस की सौगात

नई एंबुलेंस मिलने से जिले की स्वास्थ्य सुविधा पकड़ेगी रफ्तार

गाजीपुर। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए लगातार कवायद किया जा रहा हैं। इसी क्रम में जनपद को शासन की तरफ से 8 नए 102 एम्बुलेंस की सौगात मिली है। जिसको मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल ने हरी झंडी दिखाकर विभिन्न ब्लॉकों के लिए रवाना किया।

102 और 108 एंबुलेंस के प्रभारी दीपक राय ने बताया कि जनपद में कुल 102 के 42 एंबुलेंस और 108 के 33 एम्बुलेंस चल रहे हैं। जिसमें से बहुत सारे एम्बुलेंस पुराने होने की वजह से बार-बार खराब होने की शिकायतें आ रही थी। जिसको देखते हुए शासन की तरफ से गाजीपुर जनपद को कुल 25 नई एंबुलेंस दिए गए। जिसमें से 8 एम्बुलेंस मंगलवार को गाजीपुर भेजे गए। जिसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल ने हरी झंडी दिखाकर विभिन्न ब्लॉकों के लिए रवाना किया।

उन्होंने बताया कि नए एंबुलेंस के आ जाने से स्वास्थ्य सुविधा में गति पकड़ेगी। वहीं अब पुराने व कंडम हो चुके एंबुलेंस को वापस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि नई मिले एंबुलेंस में 4 मनिहारी ब्लॉक, 2 जखनिया ,2 देवकली, 1 मिर्जापुर ,2 मोहम्दाबाद, 2 कासिमाबाद ,2 बाराचवर के साथ ही अन्य ब्लाकों के साथ ही जिला मुख्यालय पर भी एंबुलेंस दिया गया है।

हम टीबी के खिलाफ जंग में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के साथ:-कर्नल अजय

एनसीसी के अधिकारियों को टीबी मुक्त भारत के लिए किया जागरूक

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित

हम टीबी के खिलाफ जंग में जनपद प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के साथ – कर्नल अजय



गाज़ीपुर। क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन के लिए समुदाय को लगातार जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार को मियांपुर स्थित नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) कार्यालय पर स्वास्थ्य विभाग ने टीबी पर एक संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया। इसका आयोजन जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के निर्देशन व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ देश दीपक पाल के नेतृत्व में किया गया। इस दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज कुमार, जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार सिंह, जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक (डीपीपीएमसी) अनुराग कुमार पाण्डेय और एसटीएस सुनील कुमार यादव ने एनसीसी के अधिकारियों और छात्रों को टीबी मुक्त भारत अभियान में सहयोग करने का आग्रह किया।

एनसीसी के कर्नल सीओ अजय उनियाल ने आश्वस्त किया कि वह टीबी के खिलाफ जंग में जनपद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के साथ हैं। एनसीसी के समस्त कैडेट समुदाय में लोगों को टीबी रोग के प्रति जागरूक करेंगे। प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये हमने टीबी मुक्त भारत अभियान के बारे में बहुत कुछ सुना है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी विजन है कि वर्ष 2025 तक देश टीबी मुक्त हो जाए। इसके लिए हम सबको एक साथ टीबी के खिलाफ आवाज उठानी होगी। स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा बताया गया कि लगातार दो हफ्ते या उससे अधिक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम व कभी कभी खून आना, रात में पसीना आना, भूख न लगना और वजन में लगातार गिरावट टीबी हो सकती है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर सम्पर्क करें।


डीपीसी डॉ मिथलेश कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए विशेष अभियान चलाये जा रहे हैं। विभागीय अधिकारी व कर्मचारी के साथ ही अन्य स्टेकहोल्डर्स, निजी चिकित्सक, मेडिकल स्टोर आदि इसकी रोकथाम के लिए जुटे हुये हैं। ऐसे में आम जनमानस की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि वह इन बीमारियों से बचाव के लिए सतर्क व जागरूक रहें। इस दौरान एनसीसी के अधिकारियों को ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा’, ‘जन जन को जगाना है टीबी को भागना है’, ‘टीबी से बचाव करें और अपनों का ख्याल करें’ एवं ‘अपने बच्चों को बीमारियों से बचाएंगे, सब काम छोड़ पहले टीकाकरण कराएंगे’ आदि जन जागरूकता के संदेश दिये गए।


डॉ मिथलेश ने बताया कि क्षय रोग से संबन्धित सभी प्रकार की जांच, दवाएं सभी सरकारी चिकित्सालयों में मौजूद हैं। निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के नए मरीज को उपचार के दौरान 500 रुपये प्रति माह अच्छे पोषण के लिए सरकार द्वारा दिये जा रहे हैं। निजी चिकित्सालयों में भी जिन टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है, उन को भी 500 रुपये सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति नए क्षय रोगी की प्रथम सूचना देता है तो उसे भी सरकार द्वारा 500 रुपये प्रदान किए जाते हैं। इस मौके पर सूबेदार रतन बहादुर घाले, डीपीसी डॉ मिथलेश कुमार सिंह, डीपीपीएमसी अनुराग कुमार पाण्डेय, एसटीएस सुनील, नरेंद्र राय, रामचरन गौड़ एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।

निजी मेडिकल स्टोर करें क्षय रोगियों का नोटिफिकेशन

जनपद के सभी निजी मेडिकल स्टोर शत-प्रतिशत क्षय रोगियों का करें नोटिफिकेशन।

टीबी प्रतिरोधी औषधियों पर निजी विक्रेताओं के संवेदीकरण को लेकर आयोजित हुई कार्यशाला।

मरीजों के नोटिफिकेशन व सम्पूर्ण उपचार में सहयोग करने की सीएमओ ने की अपील।


गाजीपुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम(एनटीईपी) के शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर टीबी प्रतिरोधी (एंटी) औषधियों पर निजी औषधि विक्रेताओं का संवेदीकरण किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. देश दीपक पाल के निर्देशन पर आयोजित कार्यशाला में जनपद के करीब 1896 निजी औषधि विक्रेताओं ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. मनोज कुमार सिंह, जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) डॉ मिथलेश कुमार सिंह, जिला पब्लिक प्राइवेट मिक्स समन्वयक (डीपीपीएमसी) अनुराग कुमार पाण्डेय, जिला औषधि निरीक्षक बृजेश कुमार मौर्य, सीनियर टीबी सुपरवाइज़र (एसटीएस) सुनील कुमार वर्मा व केमिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष नागमणि मिश्रा ने विक्रेताओं को टीबी उन्मूलन, नोटिफिकेशन व सम्पूर्ण उपचार पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निक्षय पोर्टल पर समस्त निजी औषधि विक्रेता स्वयं क्षय रोगियों का पंजीकरण कर शत-प्रतिशत नोटिफिकेशन करें। इसके लिए सभी को लगातार सूचित किया जा रहा है ,जिससे निजी क्षेत्र में लक्ष्य के सापेक्ष टीबी मरीजों को शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल की जा सके। जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मिथलेश कुमार ने बताया कि निजी क्षेत्र में नोटिफिकेशन बढ़ाने के लिए निजी औषधि विक्रेताओं को लगातार सूचित किया जा रहा है। यह अभियान 14 दिसंबर तक संचालित किया जा रहा है। इन विक्रेताओं को प्रति क्षय रोगी के नोटिफिकेशन करने के लिए 500 रुपए और उपचार पूरा होने पर आउटकम देने के लिए 500 रुपए सरकार की ओर से दिये जाते हैं।

उन्होंने कहा कि जिन निजी चिकित्सालयों, चिकित्सकों, नर्सिंग होम, मेडिकल स्टोर या पैथोलॉजी लैब के अंतर्गत क्षय रोगियों का उपचार चल रहा है, उस चिकित्सालय, चिकित्सक या अन्य से नामित व्यक्ति ही निक्षय पोर्टल पर क्षय रोगियों के नोटिफिकेशन व पंजीकरण का कार्य करें। साथ ही उनके नमूनों की जांच के लिए बलगम परीक्षण केन्द्रों व अन्य जांच के लिए सैम्पल भेजना सुनिश्चित करें। इन नंबरों पर किया जा सकता है निक्षय पोर्टल से संबन्धित किसी भी प्रकार की आवश्यकता होने पर डीपीपीएमसी अनुराग कुमार पाण्डेय (9305887379) और डीपीसी डॉ मिथलेश (9415861884) से प्रातः 10 बजे से सायं पाँच बजे तक कार्य दिवस पर सम्पर्क किया जा सकता है। डीपीसी ने बताया कि इस साल अब तक जनपद में लक्ष्य 5711 के सापेक्ष 4211 टीबी मरीज नोटिफ़ाई किए जा चुके हैं, जिसमें पब्लिक सेक्टर में लक्ष्य 4886 के सापेक्ष 3672 और प्राइवेट सेक्टर में 826 के सापेक्ष 539 मरीज नोटिफ़ाई किए गए। मुख्य चिकित्साधिकारी ने सभी निजी चिकित्सकों व औषधि विक्रेताओं से राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग प्रदान करने की अपील की है। उनका कहना है कि शासन के निर्देश के क्रम में नये टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन कराना हमारी जिम्मेदारी है। अतः सभी लोग शत-प्रतिशत क्षय रोगियों का नोटिफिकेशन करना सुनिश्चित करें।

शीतलहर में रहें सतर्क, लें जानकारी और करें यह काम

गाजीपुर। अपर जिलाधिकारी (वि0/रा) ने जनपदवासियों से अपील किया है कि शीतलहर एव घने कोहरे से बचाव हेतु अत्यधिक ठण्ड/ शीतलहर होने पर छोटे बच्चों, बुजुर्गा एवं गर्भवती महिलाओं को घर के अन्दर ही रखें। अति आवश्यक हो तभी घर से बाहर जाये, स्थानीय रेडियों, दैनिक समाचार पत्र टी०वी० मोबाईल फोन एवं वाटसअप के माध्यम से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहें। स्वयं सर्तक रहे और अन्य व्यक्तियों को भी सर्तक करें। शरीर को सूखा रखें, गीले कपड़े कदापि न पहने, यह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है, गीले कपड़े से ठण्ड लगने की प्रबल सम्भावना बनी रहती है, मिटटी का तेलं, कोयले की अंगीठी, हीटर इत्यादि का प्रयोग करते समय सावधानियाँ बरते, कमरे में शुद्ध हवा का आवागमन बेन्टिलेशन, वायु- संचार बनाये रखें ताकि कमरे में विषाक्त, जहरीला धुआं इकट्ठा न हो, सोने से पहले हीटर, ब्लॉवर, कोयले की अगीठी आदि को अवश्य बंद कर दें, कई स्तरों वाल गर्म कपड़े जैसे-ऊनी कपड़े, स्वेटर, टोपी, मफलर इत्यादि का प्रयोग आपको शीतदंश/ठण्ड के प्रभाव से बचा सकता है। शरीर में ऊष्मा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए पोषक आहार एवं गर्म पेय पदार्थाे का नियमित सेवन किया जाना लाभकारी होगा, हाइपोथर्मिया के लक्षणों जैसे-असामान्य शरीर का तापमान, भ्रम या स्मृति हानि, बेहोशी, विचलन, असीमित ठिठुरना सुस्ती, थकान, तुतलाना, थकावट इत्यादि की स्थिति उत्पन्न होने पर अपने नजदीकी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सम्पर्क करें। शीतदंश/ठण्ड के लक्षणों जैसे- शरीर के अंगो का सुन्न पडना, हाथों-पैरों की उँगलियों, कान नाक आदि पर सफेद या पीले रंग के दाग उभर आने पर अपने नजदीकी चिकित्सक से परामर्श के बाद ही दवाइओ का प्रयोग करें, अपने आस-पास अकेले रहने वाले पड़ोत्तियों की जानकारी रखें, विशेषकर बुजुर्गों व्यक्तियो का पूर्ण विवरण एवं मोबाईल नम्बर अवश्य रखे, किसी भी आपात कालीन स्थिति से निपटने के लिए एक आपातकालीन डायरी बनाये जिसमें पुलिस, चिकित्सा, अग्निशमन एवं अन्य महत्त्वपूर्ण विभागों के नम्बर दर्ज रखें और इसकी जानकारी परिवार के प्रत्येक सदस्यों को होनी चाहिए, बाहर निकलते समय सिर, चेहरे, हाथ एवं पैर को गर्म कपड़े से ढके,  शीतलहर में गाड़ियों में फॉग लाईट का इस्तेमाल करें, ठंड के मौसम में पशुओं को थनैला मिल्क फीवर नेमोटाइटिस आदि रोग होने का खतरा रहता है इसलिए पशुओं को समय-समय पर चिकित्सक को दिखाते रहें, पशुओं को रात में खुले पेड़ के नीचे अथवा घर से बाहर ना निकालें, पशुओं को ठंड के समय में गुड़ व कैल्शियम टॉनिक पिलाएं, पशुओं को ठंड के मौसम में जूट की बोरी अथवा घर में पड़ा पुराना कंबल उढाएं।